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न्याय के लिए शहीद के परिजन लगा रहे खरगोन से लेकर भोपाल तक के चक्कर, नहीं मिल रहा न्याय - युद्ध

साल 1999 में करगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए जिले के घुघरियाखेड़ी निवासी लांस नायक शहीद राजेन्द्र सिंह यादव के परिजनों को आज तक न्याय नहीं मिला है.

शहीद की बेटी
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Published : Feb 26, 2019, 3:06 PM IST

खरगोन। जब सेना के जवान शहीद होते हैं, तो उस वक्त नेता बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन समय के साथ उन्हीं वादों को भुला दिया जाता है. ऐसा ही एक मामला खरगोन जिले में सामने आया है, जिसमें साल 1999 में करगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए जिले के घुघरियाखेड़ी निवासी लांस नायक शहीद राजेन्द्र सिंह यादव हैं, जिनके परिजनों को आज तक न्याय नहीं मिला है.

शहीद की बेटी


साल 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए करगिल युद्ध में दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाले खरगोन जिले के छोटे से गांव घुघरियाखेड़ी में रहने वाले लांसनायक शहीद राजेन्द्र यादव को न्याय दिलाने के लिए आज भी उनके परिजन भटक रहे हैं. बता दें कि शहीद परिवार और उनके गांव के लोग आसपास के स्कूलों का नाम शहीद राजेन्द्र यादव के नाम पर रखना चाहते थे, लेकिन उन्हें इसमें सफलता नहीं मिली. जब सब तरफ से परिजन और ग्रामीण नाकामयाब रहे, तो अब शहीद लांस नायक राजेन्द्र यादव की बेटी अपने पिता को न्याय दिलाने के लिए मैदान में उतर पड़ी है.


वहीं अमर शहीद राजेन्द्र यादव समाज सेवा समिति के अध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने बताया कि हम साल 2000 से लगातार स्कूलों को शहीद के नाम पर करवाना चाहते हैं, जिसके लिए कई मंत्रियों और कलेक्टर से लेकर भोपाल तक के अधिकारियों के चक्कर लगाए. परिजनों ने बताया कि लगभग ढाई वर्ष पूर्व तात्कालिक आदिवासी विकास मंत्री कुंवर विजय शाह ने स्कूलों के नाम शहीदों के नाम पर रखने की घोषणा भी की थी, लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ भी नहीं मिला.

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खरगोन। जब सेना के जवान शहीद होते हैं, तो उस वक्त नेता बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन समय के साथ उन्हीं वादों को भुला दिया जाता है. ऐसा ही एक मामला खरगोन जिले में सामने आया है, जिसमें साल 1999 में करगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए जिले के घुघरियाखेड़ी निवासी लांस नायक शहीद राजेन्द्र सिंह यादव हैं, जिनके परिजनों को आज तक न्याय नहीं मिला है.

शहीद की बेटी


साल 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए करगिल युद्ध में दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाले खरगोन जिले के छोटे से गांव घुघरियाखेड़ी में रहने वाले लांसनायक शहीद राजेन्द्र यादव को न्याय दिलाने के लिए आज भी उनके परिजन भटक रहे हैं. बता दें कि शहीद परिवार और उनके गांव के लोग आसपास के स्कूलों का नाम शहीद राजेन्द्र यादव के नाम पर रखना चाहते थे, लेकिन उन्हें इसमें सफलता नहीं मिली. जब सब तरफ से परिजन और ग्रामीण नाकामयाब रहे, तो अब शहीद लांस नायक राजेन्द्र यादव की बेटी अपने पिता को न्याय दिलाने के लिए मैदान में उतर पड़ी है.


वहीं अमर शहीद राजेन्द्र यादव समाज सेवा समिति के अध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने बताया कि हम साल 2000 से लगातार स्कूलों को शहीद के नाम पर करवाना चाहते हैं, जिसके लिए कई मंत्रियों और कलेक्टर से लेकर भोपाल तक के अधिकारियों के चक्कर लगाए. परिजनों ने बताया कि लगभग ढाई वर्ष पूर्व तात्कालिक आदिवासी विकास मंत्री कुंवर विजय शाह ने स्कूलों के नाम शहीदों के नाम पर रखने की घोषणा भी की थी, लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ भी नहीं मिला.

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एंकर
जब सेना का जवान शहीद होता है तो नेता बड़े बड़े वादे किए जाते है। परन्तु समय के साथ उन्ही वादों को बिसरा दिया जाता है। ऐसा एक मामला खरगोन जिले में सामने आया है। जिसमे वर्ष 1998 में कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए खरगोन जिले के घुघरियाखेड़ी निवासी लांस नायक शहीद राजेन्द्रसिंह यादव है। जिनकी शहादत के 20 बाद भी उनका परिवार उन्हें न्याय दिलाने के लिए कलेक्टोरेट का चक्कर लगा रहे है। अब उनकी बेटी ने कलेक्टर से मिल कर न्याय देने कि मांग की।

वर्ष 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए कारगिल के युद्ध मे दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाले खरगोन जिले के छोटेसे गांव में रहने वाले लांसनायक शहीद राजेन्द्र यादव को न्याय दिलाने के लिए आज भी उनके परिजन भटक रहे है। शहीद परिवार और उनके गृह ग्रामवासियो ने आसपास की स्कूलों को अमर शहीद राजेन्द्र यादव के नाम रखना चाहते परन्तु शासन स्तर पर लम्बित है। लांसनायक राजेंद्र यादव जब शहीद हुए थे तब बहुत छोटी थी। जब सब तरफ से परिजनों औऱ ग्रामीणों को सफलता नही मिली तो आज अमर शहीद लांस नायक राजेन्द्र यादव की बेटी अपने शहीद पिता को न्याय दिलाने के लिए मैदान में उतरना पड रहा है। उन्होंने मीडिया के माध्य्म से प्रशासन में बैठे नुमाइंदों को जम कर लताड़ लगाई।
बाइट1- मेघा यादव शहीद की बेटी
वही कलेक्टर से मिलने और आश्वासन के बाद मेघा ने अपना नरम रुख अपनाते हुए कहा कि कलेक्टर गोपालचंद्र डाड़ ने आश्वासन दिया और सन्तोष पूर्ण आश्वासन दिया है।
बाइट 2- मेघा यादव शहीद की बेटी
वही अमर शहीद राजेन्द्र यादव समाज सेवा समिति के अध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने बताया कि हम वर्ष 2000 से लगातार स्कूलों को शहीद के नाम पर करवाना चाहते है। जिसके लिए कई मंत्रियों और कलेक्टर से लेकर भोपाल तक के अधिकारियों के चक्कर लगाए है। लगभग ढाई वर्ष पूर्व तत्कालिक आदिवासी विकास मंत्री कुंवर विजय शाह ने घोषणा की थी ओर घोषणा घोषणा ही रही है। परन्तु आश्वासन के सिवा कुछ नही मिला। दिल मे दुख होता है। प्रशासन की इस तरह की लापरवाही से हमने घुघरियाखेड़ी में धरना भी दिया था। परंतु हाल ही में आए कलेक्टर गोपालचंद्र डाड़ से मिलने पर आशा की किरण जागी है, क्योकि आज हम बिठा कर उन्होंने हमारे सामने खरगोन से लेकर भोपाल तक मोबाइल से बात की ओर जल्द ही स्कूलों का अमर शहीद राजेन्द्र यादव के नामकरण करने का कहा है।
बाइट- भूपेंद्र गुप्ता अमर शहीद राजेन्द्र यादव समाज सेवा समिति घुघरियाखेड़ी


Body:वर्ष 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए कारगिल के युद्ध मे दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाले खरगोन जिले के छोटेसे गांव में रहने वाले लांसनायक शहीद राजेन्द्र यादव को न्याय दिलाने के लिए आज भी उनके परिजन भटक रहे है। शहीद परिवार और उनके गृह ग्रामवासियो ने आसपास की स्कूलों को अमर शहीद राजेन्द्र यादव के नाम रखना चाहते परन्तु शासन स्तर पर लम्बित है। लांसनायक राजेंद्र यादव जब शहीद हुए थे तब बहुत छोटी थी। जब सब तरफ से परिजनों औऱ ग्रामीणों को सफलता नही मिली तो आज अमर शहीद लांस नायक राजेन्द्र यादव की बेटी अपने शहीद पिता को न्याय दिलाने के लिए मैदान में उतरना पड रहा है। उन्होंने मीडिया के माध्य्म से प्रशासन में बैठे नुमाइंदों को जम कर लताड़ लगाई।
बाइट1- मेघा यादव शहीद की बेटी
वही कलेक्टर से मिलने और आश्वासन के बाद मेघा ने अपना नरम रुख अपनाते हुए कहा कि कलेक्टर गोपालचंद्र डाड़ ने आश्वासन दिया और सन्तोष पूर्ण आश्वासन दिया है।
बाइट 2- मेघा यादव शहीद की बेटी
वही अमर शहीद राजेन्द्र यादव समाज सेवा समिति के अध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने बताया कि हम वर्ष 2000 से लगातार स्कूलों को शहीद के नाम पर करवाना चाहते है। जिसके लिए कई मंत्रियों और कलेक्टर से लेकर भोपाल तक के अधिकारियों के चक्कर लगाए है। लगभग ढाई वर्ष पूर्व तत्कालिक आदिवासी विकास मंत्री कुंवर विजय शाह ने घोषणा की थी ओर घोषणा घोषणा ही रही है। परन्तु आश्वासन के सिवा कुछ नही मिला। दिल मे दुख होता है। प्रशासन की इस तरह की लापरवाही से हमने घुघरियाखेड़ी में धरना भी दिया था। परंतु हाल ही में आए कलेक्टर गोपालचंद्र डाड़ से मिलने पर आशा की किरण जागी है, क्योकि आज हम बिठा कर उन्होंने हमारे सामने खरगोन से लेकर भोपाल तक मोबाइल से बात की ओर जल्द ही स्कूलों का अमर शहीद राजेन्द्र यादव के नामकरण करने का कहा है।
बाइट- भूपेंद्र गुप्ता अमर शहीद राजेन्द्र यादव समाज सेवा समिति घुघरियाखेड़ी


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