खरगोन। रिटायरमेंट के बाद लोग अक्सर घर बैठ जाते हैं, लेकिन खरगोन के रिटार्यड पर्यावरणविद अजय नामदेव रिटायरमेंट के बाद भी शिक्षा की अलख जगाने के साथ-साथ पर्यावरण को लेकर हर साल तीन हजार पौधों का वितरण करते आर रहे हैं. साथ ही कोरोना काल में उन्होंने नौ हजार मास्क खुद बनाकर बांटे हैं.
साइंटिस्ट अजय नामदेव का कहना है कि जनरल लोग रिटायरमेंट के बाद घर बैठ जाते है. लेकिन रिटायरमेंट के बाद कभी घर में रहने के बारे में नहीं सोचा था. सेवा में रहते जितना कार्य किया उससे अधिक कार्य करने की कोशिश करता हुं. वहीं अचानक लॉकडाउन लग गया, तो हम दोनों पति पत्नी ने घर पर ही नौ हजार से अधिक मास्क बना कर पूरे जिले में जरूरतमंदों को बांटे. अभी वर्तमान में स्कूल कॉलेजों को बना कर दे रहे हैं.
किचन गार्डन से पौधों का वितरण
प्रचार्य पद से रिटायर्ड हुए पर्यावरणविद अजय ने बताया कि सेवा में रहते हुए पर्यावरण को लेकर कई कार्य किए हैं. तो रिटायरमेंट के बाद खरगोन जिले में राखी के पूर्व मनाया जाने वाला पर्व विरपोस के लिए गायत्री परिवार की ओर से बहनों की ओर से भाइयों को वितरित किए जाते हैं. इस वर्ष साढ़े तीन हजार आम पौधे वितरित किए है. इसी के साथ ऊन घोटियां गर्ल्स कॉलेज भी गए हैं. मई से ही हमने पौधा वितरण शुरू किए थे. लोगों के उपयोग किए गए आम की गुठलियों को उपजाऊ मिट्टी प्लास्टिक की थैलियों में भरकर पौधे तैयार किए हैं, अंतिम चरण शेष है.
विज्ञान और अंधविश्वास के प्रति किया जागरुक
प्राचार्य पद से रिटायर्ड अजय बताते है कि पर्यावरण के साथ साथ शिक्षक होने साइंस के प्रति भी रुझान रहा है. डिस्ट्रिक्ट साइंस डिपार्टमेंट में अट्ठारह वर्ष तक जिला समन्वयक रहा. जिससे कई राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण लिए. इसलिए उनकी वैज्ञानिक सोच आज भी बरकरार है. अजय को दो बार राष्ट्रीय अवार्ड भी मिले है. जिससे वे आज भी अपने वाहन में साइंस उपकरण भर कर पहले स्कूल ले जाते हैं और कॉलेजों में बिना बताए सात से आठ घण्टे की कार्य शाला करते हैं. वहीं स्कूल कॉलेजों के बच्चों को अंधविश्वास के बारे में जादू के माध्यम से बताते हैं. जिससे उनका उद्देश्य है कि बच्चों में विज्ञान के प्रति सोच डेवलप्ड हो. ये एक अभियान है जिसको आज भी बरकरार रखा है. अब तक 58 स्कूल कॉलेजों में सेमिनार स्वयं के खर्च से आयोजित कर चुके हैं.
जनहित याचिकाओं में मिली सफलता
अजय ने बताया कि वे निर्वाचन आयोग के जिला सलाहकार भी रहे हैं. 30 साल की सर्विद में 29 ट्रांसफर हुए है. जिससे हर कलेक्टर का इलेक्शन एडवाइजर भी रहे हैं. अजय ने बताया कि इस दौरान जो भी कमियां लगी वह उन्होंने विस्तृत पत्र के माध्यम से चुनाव आयोग को लिखा जिससे उन्हें बधाई पत्र भी मिला है. चुनाव में नामांकन के दौरान शक्ति प्रदर्शन करने को लेकर एक जनहित याचिका दर्ज की जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर करते हुए निर्वाचन आयोग को आदेश जारी किया है कि जल्द कानून बनाकर शक्ति प्रदर्शन के बदले ऑनलाइन नामांकन करने की सुविधा करें. साथ ही मतदान दलों का गठन न करते हुए मोबाइल से मतदान करने की सुविधा दी जाए. जिससे शासन का पैसा बचेगा. साथ ही दल बदलने वालों का 200 करोड़ रेट है, तो चुनाव खर्च उस विजय उम्मीदवार से वसूला जाए. पूर्व हारे हुए उम्मीदवार को विजयी घोषित कर दल बदलने वाले और उसके परिवार के सदस्यों को चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.
देह दान और अंग दान प्रक्रिया में सरलता लाने का प्रयास
अजय ने बताया कि उन्होंने और पत्नी ने देह दान कर लोगों को जीवनदान देने के लिए रजिस्ट्रशन करवाया है. इसको लेकर उन्होंने पीएम को पत्र लिखकर कानून और नियम सरलीकरण का सुझाव दिया है. एक जिंदा व्यक्ति सौ लोगों की जान बचा सकता है.
प्रधानमंत्री को दिए सुझाव
पीएम नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त पर भाषण के लिए सुझाव मांगे थे. अजय ने नमो एप पर 13 पृष्ठ का सुझाव पत्र दिया था, जिसमें से अधिकांश सुझावों को सम्मिलित किया गया.