ETV Bharat / state

प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार नन्हेश्वर धाम, जनसहयोग की राशि से कराया जा रहा जीर्णोद्धार - temple

भगवानपुरा विकासखंड में प्रकृति की गोद में बसा है ऐतिहासिक नन्हेश्वर धाम, लेकिन ये मंदिर प्रशासन की उपेक्षा का शिकार है. अब इसके जीर्णोद्धार के लिए जनसहयोग लिया जा रहा है. कई नेताओं ने भी इसके लिए दान किया है, लेकिन शासन-प्रशासन की ओर से इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं.

प्रशासन की उपेक्षा का शिकार नन्हेश्वर धाम
author img

By

Published : Nov 20, 2019, 11:57 AM IST

Updated : Nov 20, 2019, 2:49 PM IST

खरगोन। भगवानपुरा विकासखंड में प्राकृतिक सुंदरता के बीच ऐतिहासिक धरोहर नन्हेश्वर धाम स्थित है, लेकिन यह प्रशासन की उपेक्षा का शिकार है. यहां शिवलिंग पूरे वर्ष मंदिर के नीचे बावड़ी में डूबा रहता है. 7 जनवरी को वर्ष में एक बार बावड़ी का पानी खाली किया जाता है और यहां पर उसी दिन एक मेला भी लगता है.

प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार नन्हेश्वर धाम

मंदिर की देखरेख करने वाले हरि ओम बाबा ने बताया कि इस मंदिर का नर्मदा पुराण में उल्लेख है. यह मार्कंडेय ऋषि की तपोभूमि है. उन्होंने कहा कि यहीं से संजीवनी बूटी मिली थी. 1333 में इसे खंडित कर दिया गया था. फिलहाल जनसहयोग से मंदिर का जीर्णोद्धार किया जा रहा है. ऐतिहासिक दृष्टिकोण रखने वाली यह भूमि उपेक्षा का शिकार है. यहां तक पहुंचने का मार्ग जर्जर है. अब लोगों ने इसके जीर्णोद्धार के लिए राशि दी है, जिससे इसका काम कराया जा रहा है.

खरगोन। भगवानपुरा विकासखंड में प्राकृतिक सुंदरता के बीच ऐतिहासिक धरोहर नन्हेश्वर धाम स्थित है, लेकिन यह प्रशासन की उपेक्षा का शिकार है. यहां शिवलिंग पूरे वर्ष मंदिर के नीचे बावड़ी में डूबा रहता है. 7 जनवरी को वर्ष में एक बार बावड़ी का पानी खाली किया जाता है और यहां पर उसी दिन एक मेला भी लगता है.

प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार नन्हेश्वर धाम

मंदिर की देखरेख करने वाले हरि ओम बाबा ने बताया कि इस मंदिर का नर्मदा पुराण में उल्लेख है. यह मार्कंडेय ऋषि की तपोभूमि है. उन्होंने कहा कि यहीं से संजीवनी बूटी मिली थी. 1333 में इसे खंडित कर दिया गया था. फिलहाल जनसहयोग से मंदिर का जीर्णोद्धार किया जा रहा है. ऐतिहासिक दृष्टिकोण रखने वाली यह भूमि उपेक्षा का शिकार है. यहां तक पहुंचने का मार्ग जर्जर है. अब लोगों ने इसके जीर्णोद्धार के लिए राशि दी है, जिससे इसका काम कराया जा रहा है.

Intro:मध्य प्रदेश खरगोन जिला यूं तो कई ऐतिहासिक कहानी और किस्से के लिए जाना जाता है. ऐसे ही उपेक्षा का शिकार ऐतिहासिक धरोहर 21 कल्प पुरानी मार्कंडेय ऋषि की तपोभूमि भगवानपुरा के नन्हेश्वर धाम है. जहां पर्यटन की संभावनाएं हैं.


Body:खरगोन जिले के भगवानपुरा विकासखंड कि प्राकृतिक छटाओ के बीच ऐतिहासिक धरोहर नन्हेश्वर धाम एक अच्छा पर्यटन स्थल बन सकता है। परंतु उपेक्षा का शिकार है। स्कूल की छात्राओं को लेकर आए शिक्षक भलसे ने बताया कि नन्हेश्वर धाम पर हम स्कूल के बच्चों के साथ वैज्ञानिक खोज यात्रा के तहत हम यहां आए हैं। गणेश्वर धाम प्राकृतिक छटा ओं के बीच ऐसा मंदिर है। जहां शिवलिंग पूरे वर्ष मंदिर के नीचे बावड़ी में डूबा रहता है 7 जनवरी को वर्ष में एक बार बावड़ी का पानी खाली किया जाता है और यहां पर उसी दिन एक मेला भी लगता है।
बाइट राकेश भालसे शिक्षक
वही मंदिर की देखरेख करने वाले हरि ओम बाबा ने बताया इस मंदिर का नर्मदा पुराण में उल्लेख है यह मार्कंडेय ऋषि की तपोभूमि है। यहीं से संजीवनी बूटी मिली थी। इसे 21 कल्प पूर्व मतलब 90 करोड़ 59 लाख 45 हजार साल पुरानी बात है। हरि ओम बाबा ने आगे बताया कि वर्ष 1333 में इसे खंडित कर दिया था। तब से यह उपेक्षा का शिकार है। अब जन सहयोग से मंदिर का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। ऐतिहासिक दृष्टिकोण रखने वाली यह भूमि उपेक्षा का शिकार है। यहां तक पहुंचने का मार्ग जर्जर है। जन सहयोग एवं नेताओं की निधि से इसे पूरा चलने का प्रयास है चल रहा है।
बाइट हरि ओम बाबा


Conclusion:
Last Updated : Nov 20, 2019, 2:49 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.