खरगोन। भगवानपुरा विकासखंड में प्राकृतिक सुंदरता के बीच ऐतिहासिक धरोहर नन्हेश्वर धाम स्थित है, लेकिन यह प्रशासन की उपेक्षा का शिकार है. यहां शिवलिंग पूरे वर्ष मंदिर के नीचे बावड़ी में डूबा रहता है. 7 जनवरी को वर्ष में एक बार बावड़ी का पानी खाली किया जाता है और यहां पर उसी दिन एक मेला भी लगता है.
मंदिर की देखरेख करने वाले हरि ओम बाबा ने बताया कि इस मंदिर का नर्मदा पुराण में उल्लेख है. यह मार्कंडेय ऋषि की तपोभूमि है. उन्होंने कहा कि यहीं से संजीवनी बूटी मिली थी. 1333 में इसे खंडित कर दिया गया था. फिलहाल जनसहयोग से मंदिर का जीर्णोद्धार किया जा रहा है. ऐतिहासिक दृष्टिकोण रखने वाली यह भूमि उपेक्षा का शिकार है. यहां तक पहुंचने का मार्ग जर्जर है. अब लोगों ने इसके जीर्णोद्धार के लिए राशि दी है, जिससे इसका काम कराया जा रहा है.