खरगोन। जिले की तीसरी बड़ी और एमपी की 183 नंबर की विधानसभा सीट महेश्वर में बीजेपी का प्रचार शुरू हो चुका है. बीजेपी ने यहां अपना प्रत्याशी राजकुमार मेव को घोषित कर दिया है. महेश्वर विधानसभा सीट पर इस बार कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है, क्योंकि दूसरी तरफ डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ हैं, जो वर्तमान विधायक भी हैं और उनके परिवार का यहां वर्चस्व रहा है. वे अपने पिता की विरासत को बखूबी संभाल रही है. भले ही बीजेपी ने सीट पर प्रत्याशी घोषित कर दिया और कांग्रेस की लिस्ट नहीं आई, लेकिन लोग मानकर चल रहे हैं कि साधौ ही यहां से चुनाव लड़ेंगी.
महेश्वर सीट का जातीय समीकरण: अब जरा इस सीट के जातीय समीकरण पर बात करें तो यहां ज्यादा मतदाता अनुसूचित जाति के ही हैं. इनके अलावा पाटीदार, वैश्य, ब्राह्मण, गुर्जर और मीणा समाज के मतदाताओं की बड़ी संख्या है. इस सीट पर कुल मतदाता 2,20,739 हैं, तो इनमें पुरूष मतदाता 1,11,439 और महिला मतदाता 1,09,299 हैं. जबकि 1 अन्य हैं. साल 2018 में यहां से विजयलक्ष्मी साधौ 35 हजार वोट से जीती थीं. उन्हें 83,087 वोट मिले थे और दूसरे नंबर पर राजकुमार मेव रहे थे. जो निर्दलीय चुनाव लड़े थे. उन्हें 47251 वोट मिले थे. जबकि बीजेपी तीसरे नंबर पर रही थी.
इस बार बीजेपी ने महेश्वर से राजकुमार मेव को ही टिकट दे दिया. राजकुमार मेव ने साल 2013 के चुनाव में जीत दर्ज की थी, लेकिन 2018 में उन्हें टिकट नहीं दिया गया. इसके बाद उन्होंने पार्टी से बागी होकर निर्दलीय ही चुनाव लड़ लिया. जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी को तीसरे नंबर पर धकेल दिया. इसके बाद बीजेपी ने उन्होंने निष्काषित कर दिया, लेकिन 2020 में वो फिर बीजेपी में शामिल हो गए और बीजेपी ने अब उन्हें ही टिकट दे दिया है. भाजपा को डर था कि ऐसा नहीं किया तो मेव फिर मैदान में उतरकर खेल बिगाड़ देंगे. दूसरा कारण यह भी है कि महेश्वर विधानसभा क्षेत्र में जनसंघ और जनता पार्टी एक-एक बार एवं बीजेपी के उम्मीदवार दो बार सफल हुए हैं. जबकि कांग्रेस 1952, 1957, 1967, 1972, 1980, 1985, 1993, 1998 एवं 2008 में विजय रही है. साधौ परिवार का वर्चस्व रहा है. वर्तमान विधायक के पिता दिवंगत सीताराम साधौ यहां से 5 बार विधायक चुने गए हैं. इसके बाद उनकी बेटी डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ भी 5 बार विधायक चुनी गईं है.
महेश्वर को चुनावी इतिहास: 1957 में पहली बार महेश्वर सीट बनी और और इसे नंबर मिला 72. पहली बार से ही ये सीट एससी के लिए रिजर्व थी. इसी सीट पर पहला चुनाव में कांग्रेस ने वल्लभदास सीताराम को टिकट दिया और उनके सामने सीताराम साधौ थे. जीत वल्लभदास को मिली. 1962 के चुनाव में कांग्रेस ने सीताराम साधौ को टिकट दिया और सामने थे जनसंघ के भीकाजी टांटया. यह चुनाव जनसंघ ने जीता. भीकाजी ने कांग्रेस के सीताराम साधौ को 4748 वोट से हरा दिया. 1967 के चुनाव में फिर से पुराने कैंडीडेट आमने सामने थे. कांग्रेस की तरफ से सीताराम साधौ और जनसंघ की तरफ से भीकाजी टांटयाजी थे. इस बार कांग्रेस के सीताराम साधौ ने भीकाजी को 3318 वोट से चुनाव हरा दिया. 1972 में महेश्वर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपने विधायक सीताराम साधौ को टिकट दिया और वे जीतकर विधायक बने. उन्होंने भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार भंवरलाल गोखले को 10880 वोटों से चुनाव हराया. 1977 में जनता पार्टी के उम्मीदवार नाथूभाई सावले जीते और विधायक बने. उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार सीताराम साधौ को 1209 वोटों से हराया. 1980 में कांग्रेस ने फिर से अपना उम्मीदवार सीताराम साधौ को बनाया और वे जीते और इस सीट से विधायक बने. उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ रही बीजेपी के उम्मीदवार तुकाराम सुखलाल को 6331 वोटों से हराया.
पिता की विरासत बेटी ने संभाली: 1985 में कांग्रेस ने सीतराम साधौ की बेटी विजयलक्ष्मी साधौ को उम्मीदवार बनाया और जीतकर विधायक बनीं. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार मदनलाल वर्मा को 5146 वोटों से हराया. 1990 में फिर से कांग्रेस ने विजय लक्ष्मी साधौ को उम्मीदवार बनाया, लेकिन इस बार जीत बीजेपी के उम्मीदवार मदन वर्मा को मिली और वे जीतकर विधायक बने. वर्मा ने विजय लक्ष्मी सीताराम साधौ को कुल 15086 वोटों से हराया, लेकिन 1993 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की उम्मीदवार विजयलक्ष्मी साधौ ने फिर से यह सीट जीतकर विधायकी हासिल कर लीय साधौ ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार जगदीश रोकड़े को 5878 वोटों से शिकस्त दीय 1998 में कांग्रेस की तरफ से उम्मीदवार बनकर डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ फिर मैदान में थी और जीतीं भी. इस बार साधौ ने बीजेपी के उम्मीदवार जगदीश रोकड़े को महज 277 वोटों से मात दी. इसका नतीजा यह हुआ कि 2003 के चुनाव में महेश्वर विधानसभा से जब बीजेपी ने भूपेन्द्र आर्य को उम्मीदवार बनाया तो वे जीतकर विधायक बने, बीजेपी के आर्य ने कांग्रेस की उम्मीदवार डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ को 8348 वोटों से बड़ी हार दी. लेकिन यह सीट साधौ परिवार से अधिक दिन दूर नहीं रह पाती थी.
2008 से 2018 का आंकडा: 2008 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की तरफ से बतौर उम्मीदवार फिर डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ मैदान में थी और वे जीतीं और विधायक बनीं. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर पहली बार चुनाव लड़ रहे राजकुमार मेव को 673 वोटों से हराया. यह छोटी हार बीजेपी ने अगले चुनाव में जीत में बदल ली. 2013 में महेश्वर विधानसभा से बीजेपी ने फिर राजकुमार मेव को उम्मीदवार बनाया और वे जीतकर विधायक बने. उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार सुनील खांडे को 4727 वोटों से हराया. आखिरकार 2018 में फिर से कांग्रेस ने डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ को उम्मीदवार बनाया और वे जीतकर विधायक बनीं. साधौ ने इस बार निर्दलीय उम्मीदवार राजकुमार मेव को बड़े अंतर 35836 वोटों से मात दी.