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MP Seat Scan Kasrawad: कसरावद विधानसभा पर हुए 10 चुनाव, 7 में कांग्रेस तो 3 बार जीती है BJP, यादव परिवार का है दबदबा

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 8, 2023, 3:57 PM IST

एमपी के खरगोन जिले की 184 नंबर वाली कसरावद विधानसभा सीट लगभग कांग्रेस के यादव परिवार के पास रही है. पहले स्वर्गीय सुभाष यादव और फिर उनके बेटे सचिन यादव इस सीट से विधायक बने. बीते दो बार से भी वही हैं और फिलहाल उनका कोई बड़ा विरोध भी नहीं है. ऐसे में बीजेपी के लिए दोहरी चुनौती है, इसलिए इस सीट से बीजेपी ने अपना प्रत्याशी जल्दी घोषित कर दिया है.

MP Seat Scan Kasrawad
एमपी सीट स्कैन कसरावद

खरगोन। कसरावद विधानसभी सीट पर 2018 की तस्वीर बनती दिखाई दे रही है. एक बार फिर बीजेपी ने यहां से आत्माराम पटेल को टिकट दिया है. यह वही आत्मराम पटेल हैं, जो 2018 में भले ही हार गए, लेकिन इन्होंने एक समय कांग्रेस के दिग्गज नेता सुभाष यादव को हराकर पूरे प्रदेश में सबको चौंका दिया था. 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के आत्मराम पटेल ने कांग्रेस के सचिन यादव को कड़ी टक्कर दी थी. हालांकि सचिन यादव यह चुनाव 5,539 वोटों से जीतकर विधायक बने और फिर सरकार में मंत्री भी बने थे. इसी कारण कसरावद सीट कांग्रेस के गढ़ के रूप में पहचानी जाती है.

मध्यप्रदेश में सहकारिता के जनक माने जान वाले सुभाष यादव ने इस सीट पर एक बड़ा नेटवर्क तैयार किया है. यहां यादव समाज का बाहुल्य तो है ही, लेकिन पाटीदार, राजपूत, पटेल यानी कुर्मी और मीणा समुदाय की भी अच्छी खासी संख्या है. यह लोग चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं और इनसे यादव परिवार का वैसा ही रिश्ता है, जैसे बुधनी में शिवराज का अपने मतदाताओं से है. इस विधानसभा में लगभग 2 लाख मतदाता हैं. इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 107010 और महिला मतदाताओं की संख्या 100811 है. इस विधानसभा में भी रोजगार एक बड़ा मुद्दा है. कसरावद सीट पहली बार साल 1977 में अस्तित्व में आई थी. अब तक कुल 10 चुनाव इस सीट पर हो चुके हैं. इनमें से 1993, 1998, 2003 में सुभाष यादव ने जीतकर हैट्रिक बनाई थी. लेकिन 2008 का चुनाव वे हार गए और यह उनका अंतिम चुनाव साबित हुआ. 2013 में सचिन ने फिर से अपने पिता की सीट वापिस ले ली. बीजेपी दो बार और जनता पार्टी एक बार इस सीट को जीत पाई थी.

MP Seat Scan Kasrawad
कसरावद सीट के मतदाता

सीट बनते ही जनता पार्टी ने खाता खोला, लेकिन फिर कांग्रेस हो गई हावी: कसरावद विधानसभा 1977 में बनी. 1977 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने चांदमल लूनिया को और जनता पार्टी ने बंकिम जोशी को उम्मीदवार बनाया. जीत मिली जनता पार्टी के जोशी को, उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार चांदमल लुनिया को 4928 वोटों से हराया. 1980 में कसरावद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने रमेशचंद्र आनंदराव को उम्मीदवार बनाया और वे जीतकर विधायक बने. उन्हें कुल 24604 वोट मिले. भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार बाबू सिंह सोलंकी कुल 18546 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे और वे 6058 वोटों से हार गये. 1985 में कसरावद विधानसभा क्षेत्र में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने रमेश चंद्र मंडलोई को उम्मीदवार बनाया और वे जीतकर विधायक बने. उन्हें कुल 25832 वोट मिले. इस बार बीजेपी की तरफ से उम्मीदवार कैलाश जोशी थे, जिन्हें कुल 17249 वोट मिले और वे 8583 वोटों से चुनाव हार गए. 1990 में कसरावद से भारतीय जनता पार्टी ने गजानंद जीनवाला को उम्मीदवार बनाया और वे जीते व विधायक बने. उन्हें कुल 31055 वोट मिले. वहीं दूसरे नंबर पर रहे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार चांद मल लुनिया, जिन्हें कुल 14788 वोट मिले और वे 16267 वोटों से हार गए.

कसरावद सीट पर यादव की इंट्री हुई और कांग्रेस ने बनाई हैट्रिक: 1993 में कसरावद विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने सुभाष चंद्र गंगाराम यादव को उम्मीदवार बनाया. जबकि बीजेपी ने पाटीदार समुदाय के गजानंद पाटीदार को टिकट दिया. इस चुनाव में सुभाष यादव पहली बार विधायक बने. उन्हें कुल 48720 वोट मिले. उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार गजानंद पाटीदार को 11587 वोटों से हराया. इसके बाद 1998 में फिर से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने सुभाष यादव को उम्मीदवार बनाया और जीतकर विधायक बने. उन्हें कुल 62447 वोट मिले. बीजेपी के उम्मीदवार दशरथसिंह पटेल कुल 40969 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे. वे 21478 वोटों से हार गए. 2003 में कांग्रेस ने तीसरी बार सुभाष यादव काे उम्मीदवार बनाया और यादव ने जीत दर्ज करके हैट्रिक बनाई. उन्हें कुल 64861 वोट मिले और उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार रामेश्वर पाटीदार को 15727 वोटों से हरा दिया.

MP Seat Scan Kasrawad
कसरावद सीट का रिपोर्ट कार्ड

कुछ और सीट स्कैन यहां पढ़ें...

MP Seat Scan Kasrawad
साल 2018 का रिजल्ट

भीतरघात से हारे यादव, अंतिम चुनाव सिद्ध हुआ: कसरावद विधानसभा क्षेत्र से 2008 में भी कांग्रेस ने सुभाष यादव को प्रत्याशी बनाया, जबकि बीजेपी ने पहली बार पटेल समुदाय के आत्माराम पटेल को मैदान में उतारा. पहली ही बार में बीजेपी के उम्मीदवार आत्माराम पटेल जीते और विधायक बने. उन्हें कुल 65041 वोट मिले. वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार सुभाष यादव को कुल 43252 वोटों के साथ दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा. वे 21789 वोटों से हार गए थे. तब कहा जाता था कि उनके साथ पार्टी के ही नेताओं ने जबरदस्त भीतरघात किया था. यह चुनाव उनका आखिरी चुनाव सिद्ध हुआ. 26 जून 2013 को यानी चुनाव से ठीक छह महीने पहले उनका निधन हो गया. उनके निधन के बाद 2013 के चुनाव में कसरावद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने सुभाष यादव के बेटे सचिन यादव को उम्मीदवार बनाया सचिन ने इस चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार आत्माराम पटेल को 11805 वोटों से हराकर पिता की विरासत को संभाला. 2018 के कसरावद विधानसभा चुनाव में भी सचिन यादव ने जीत का सिलसिला कायम रखा. इस बार कांग्रेस ने सचिन सुभाषचंद्र यादव को ही उम्मीदवार बनाया था और उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार आत्माराम पटेल को कुल 5539 वोटों से हराकर यह चुनाव जीता.

खरगोन। कसरावद विधानसभी सीट पर 2018 की तस्वीर बनती दिखाई दे रही है. एक बार फिर बीजेपी ने यहां से आत्माराम पटेल को टिकट दिया है. यह वही आत्मराम पटेल हैं, जो 2018 में भले ही हार गए, लेकिन इन्होंने एक समय कांग्रेस के दिग्गज नेता सुभाष यादव को हराकर पूरे प्रदेश में सबको चौंका दिया था. 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के आत्मराम पटेल ने कांग्रेस के सचिन यादव को कड़ी टक्कर दी थी. हालांकि सचिन यादव यह चुनाव 5,539 वोटों से जीतकर विधायक बने और फिर सरकार में मंत्री भी बने थे. इसी कारण कसरावद सीट कांग्रेस के गढ़ के रूप में पहचानी जाती है.

मध्यप्रदेश में सहकारिता के जनक माने जान वाले सुभाष यादव ने इस सीट पर एक बड़ा नेटवर्क तैयार किया है. यहां यादव समाज का बाहुल्य तो है ही, लेकिन पाटीदार, राजपूत, पटेल यानी कुर्मी और मीणा समुदाय की भी अच्छी खासी संख्या है. यह लोग चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं और इनसे यादव परिवार का वैसा ही रिश्ता है, जैसे बुधनी में शिवराज का अपने मतदाताओं से है. इस विधानसभा में लगभग 2 लाख मतदाता हैं. इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 107010 और महिला मतदाताओं की संख्या 100811 है. इस विधानसभा में भी रोजगार एक बड़ा मुद्दा है. कसरावद सीट पहली बार साल 1977 में अस्तित्व में आई थी. अब तक कुल 10 चुनाव इस सीट पर हो चुके हैं. इनमें से 1993, 1998, 2003 में सुभाष यादव ने जीतकर हैट्रिक बनाई थी. लेकिन 2008 का चुनाव वे हार गए और यह उनका अंतिम चुनाव साबित हुआ. 2013 में सचिन ने फिर से अपने पिता की सीट वापिस ले ली. बीजेपी दो बार और जनता पार्टी एक बार इस सीट को जीत पाई थी.

MP Seat Scan Kasrawad
कसरावद सीट के मतदाता

सीट बनते ही जनता पार्टी ने खाता खोला, लेकिन फिर कांग्रेस हो गई हावी: कसरावद विधानसभा 1977 में बनी. 1977 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने चांदमल लूनिया को और जनता पार्टी ने बंकिम जोशी को उम्मीदवार बनाया. जीत मिली जनता पार्टी के जोशी को, उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार चांदमल लुनिया को 4928 वोटों से हराया. 1980 में कसरावद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने रमेशचंद्र आनंदराव को उम्मीदवार बनाया और वे जीतकर विधायक बने. उन्हें कुल 24604 वोट मिले. भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार बाबू सिंह सोलंकी कुल 18546 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे और वे 6058 वोटों से हार गये. 1985 में कसरावद विधानसभा क्षेत्र में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने रमेश चंद्र मंडलोई को उम्मीदवार बनाया और वे जीतकर विधायक बने. उन्हें कुल 25832 वोट मिले. इस बार बीजेपी की तरफ से उम्मीदवार कैलाश जोशी थे, जिन्हें कुल 17249 वोट मिले और वे 8583 वोटों से चुनाव हार गए. 1990 में कसरावद से भारतीय जनता पार्टी ने गजानंद जीनवाला को उम्मीदवार बनाया और वे जीते व विधायक बने. उन्हें कुल 31055 वोट मिले. वहीं दूसरे नंबर पर रहे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार चांद मल लुनिया, जिन्हें कुल 14788 वोट मिले और वे 16267 वोटों से हार गए.

कसरावद सीट पर यादव की इंट्री हुई और कांग्रेस ने बनाई हैट्रिक: 1993 में कसरावद विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने सुभाष चंद्र गंगाराम यादव को उम्मीदवार बनाया. जबकि बीजेपी ने पाटीदार समुदाय के गजानंद पाटीदार को टिकट दिया. इस चुनाव में सुभाष यादव पहली बार विधायक बने. उन्हें कुल 48720 वोट मिले. उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार गजानंद पाटीदार को 11587 वोटों से हराया. इसके बाद 1998 में फिर से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने सुभाष यादव को उम्मीदवार बनाया और जीतकर विधायक बने. उन्हें कुल 62447 वोट मिले. बीजेपी के उम्मीदवार दशरथसिंह पटेल कुल 40969 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे. वे 21478 वोटों से हार गए. 2003 में कांग्रेस ने तीसरी बार सुभाष यादव काे उम्मीदवार बनाया और यादव ने जीत दर्ज करके हैट्रिक बनाई. उन्हें कुल 64861 वोट मिले और उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार रामेश्वर पाटीदार को 15727 वोटों से हरा दिया.

MP Seat Scan Kasrawad
कसरावद सीट का रिपोर्ट कार्ड

कुछ और सीट स्कैन यहां पढ़ें...

MP Seat Scan Kasrawad
साल 2018 का रिजल्ट

भीतरघात से हारे यादव, अंतिम चुनाव सिद्ध हुआ: कसरावद विधानसभा क्षेत्र से 2008 में भी कांग्रेस ने सुभाष यादव को प्रत्याशी बनाया, जबकि बीजेपी ने पहली बार पटेल समुदाय के आत्माराम पटेल को मैदान में उतारा. पहली ही बार में बीजेपी के उम्मीदवार आत्माराम पटेल जीते और विधायक बने. उन्हें कुल 65041 वोट मिले. वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार सुभाष यादव को कुल 43252 वोटों के साथ दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा. वे 21789 वोटों से हार गए थे. तब कहा जाता था कि उनके साथ पार्टी के ही नेताओं ने जबरदस्त भीतरघात किया था. यह चुनाव उनका आखिरी चुनाव सिद्ध हुआ. 26 जून 2013 को यानी चुनाव से ठीक छह महीने पहले उनका निधन हो गया. उनके निधन के बाद 2013 के चुनाव में कसरावद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने सुभाष यादव के बेटे सचिन यादव को उम्मीदवार बनाया सचिन ने इस चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार आत्माराम पटेल को 11805 वोटों से हराकर पिता की विरासत को संभाला. 2018 के कसरावद विधानसभा चुनाव में भी सचिन यादव ने जीत का सिलसिला कायम रखा. इस बार कांग्रेस ने सचिन सुभाषचंद्र यादव को ही उम्मीदवार बनाया था और उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार आत्माराम पटेल को कुल 5539 वोटों से हराकर यह चुनाव जीता.

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