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निमाड़-मालवा में हुई गणगौर पर्व की शुरुआत, ज्वारा रूपी माता को रथ पर बैठा कर घर ले आए भक्त

मध्य प्रदेश के निमाड़, मालवा और राजस्थान में गणगौर पर्व की शुरुआत हो गई है. महिलाएं और पुरूष बेटी के रूप में ज्वारा रूपी गणगौर माता को रथ में बैठा कर आज अपने घर ले आए हैं.

गणगौर पर्व की शुरुआत
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Published : Apr 8, 2019, 8:13 PM IST

खरगोन| मध्य प्रदेश के निमाड़, मालवा और राजस्थान में मनाए जाने वाले गणगौर पर्व की शुरुआत हो गई है. सोमवार को ब्रम्ह मुहर्त में बाड़ी के पट खुलते ही महिला-पुरूष बेटी के रूप में ज्वारा रूपी गणगौर माता को रथ में बैठा कर घर ले आए.

गणगौर पर्व की शुरुआत

खरगोन की सोनम ने बताया कि आज माता पार्वती को बेटी के रूप में रथ में बैठा कर घर ले जाते हैं और दो दिन बाद विसर्जन किया जाता है. वहीं बाड़ी के पुजारी पंडित गोपाल कृष्ण जोशी ने कहा कि आज के पर्व का विशेष महत्व है. शिवरात्रि पर शिव पार्वती का विवाह के बाद आज के दिन बेटी रनु बाई जो पार्वती का रूप हैं, उनको दामाद के साथ घर बुला कर पाठ बैठाया जाता है.

वहीं गणगौर की एक कहानी भी है. जिसमें रणु बाई अपने ससुराल से नाराज होकर मायके आती हैं. जिन्हें मनाने के लिए एक-एक कर ससुराल से लोग मनाने आते हैं. जब धनियर राजा लेने आते हैं, तो पिता कहते हैं कि बेटी ससुर आए जेठ आए देवर आए तुम नहीं मानी, परन्तु अब कुंवर जी आए अब तो जाना ही पड़ेगा.

खरगोन| मध्य प्रदेश के निमाड़, मालवा और राजस्थान में मनाए जाने वाले गणगौर पर्व की शुरुआत हो गई है. सोमवार को ब्रम्ह मुहर्त में बाड़ी के पट खुलते ही महिला-पुरूष बेटी के रूप में ज्वारा रूपी गणगौर माता को रथ में बैठा कर घर ले आए.

गणगौर पर्व की शुरुआत

खरगोन की सोनम ने बताया कि आज माता पार्वती को बेटी के रूप में रथ में बैठा कर घर ले जाते हैं और दो दिन बाद विसर्जन किया जाता है. वहीं बाड़ी के पुजारी पंडित गोपाल कृष्ण जोशी ने कहा कि आज के पर्व का विशेष महत्व है. शिवरात्रि पर शिव पार्वती का विवाह के बाद आज के दिन बेटी रनु बाई जो पार्वती का रूप हैं, उनको दामाद के साथ घर बुला कर पाठ बैठाया जाता है.

वहीं गणगौर की एक कहानी भी है. जिसमें रणु बाई अपने ससुराल से नाराज होकर मायके आती हैं. जिन्हें मनाने के लिए एक-एक कर ससुराल से लोग मनाने आते हैं. जब धनियर राजा लेने आते हैं, तो पिता कहते हैं कि बेटी ससुर आए जेठ आए देवर आए तुम नहीं मानी, परन्तु अब कुंवर जी आए अब तो जाना ही पड़ेगा.

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मध्यप्रदेश के निमाड़ मालवा ओर राजस्थान में मनाया जाने वाला पर्व गणगौर की शुरुआत हो गई है। आज सुबह से ही माता की बड़ियो में सुबह ब्रम्ह मुहर्त में बाड़ी के पट खुलते ही ही महिला पुरूष बड़ियो में पहुंचे ओर बेटी के रूप में ज्वारा रूपी गणगौर माता रथ में बैठा कर शिरोधार्य कर घर ले गए।




Body:मध्यप्रदेश के निमाड़ मालवा और राजस्थान में प्रमुख रूप से मनाया जाने वाला गणगौर पर्व की शुरुआत हो चुकी है। आज सुबह से ही श्रद्धलु माता की बाड़ियों में पहुचे ओर माता को बेटी के रूप में ज्वारों को रथ में बैठा कर रथ को महिला पुरुषों ने सिरोधार्य कर घर ले गए। खरगोन की सोनम ने बताया कि
आज माता पार्वती को बेटी के रूप में रथ में बैठा कर घर ले जाते है और दो दिन बाद विसर्जन किया जाता है।
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वही बाड़ी के पुजारी है पंडित गोपाल कृष्ण जोशी ने कहा कि आज के पर्व का विशेष महत्व है। शिवरात्रि पर शिव पार्वती का विवाह के बाद आज के दिन बेटी रनु बाई जो पार्वती का रूप है को दामाद के साथ घर बुला कर पाट बैठाया जाता था। वही इसकी एक कहानी भी है। जिसमे रणु बाई आपने ससुराल से नाराज होकर मायके आती है। जिसे मनाने के लिए एक एक कर ससुर देवर जेठ मनाने आते है । तो रणुबाई नही मानती है। जब धनियर राजा लेने आते है तो पिता कहते है कि बेटी ससुर आए जेठ आए देवर आए तुम नही मानी परन्तु अब कुँवर जी आए अब तो जाना ही पड़ेगा।
बाइट- गोपाल जोशी पंडित


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