खरगोन| मध्य प्रदेश के निमाड़, मालवा और राजस्थान में मनाए जाने वाले गणगौर पर्व की शुरुआत हो गई है. सोमवार को ब्रम्ह मुहर्त में बाड़ी के पट खुलते ही महिला-पुरूष बेटी के रूप में ज्वारा रूपी गणगौर माता को रथ में बैठा कर घर ले आए.
खरगोन की सोनम ने बताया कि आज माता पार्वती को बेटी के रूप में रथ में बैठा कर घर ले जाते हैं और दो दिन बाद विसर्जन किया जाता है. वहीं बाड़ी के पुजारी पंडित गोपाल कृष्ण जोशी ने कहा कि आज के पर्व का विशेष महत्व है. शिवरात्रि पर शिव पार्वती का विवाह के बाद आज के दिन बेटी रनु बाई जो पार्वती का रूप हैं, उनको दामाद के साथ घर बुला कर पाठ बैठाया जाता है.
वहीं गणगौर की एक कहानी भी है. जिसमें रणु बाई अपने ससुराल से नाराज होकर मायके आती हैं. जिन्हें मनाने के लिए एक-एक कर ससुराल से लोग मनाने आते हैं. जब धनियर राजा लेने आते हैं, तो पिता कहते हैं कि बेटी ससुर आए जेठ आए देवर आए तुम नहीं मानी, परन्तु अब कुंवर जी आए अब तो जाना ही पड़ेगा.