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महेश्वरी साड़ी के अस्तित्व पर मंडरा रहा खतरा, बुनकरों के पास नहीं काम - Weavers' financial situation deteriorated

लॉकडाउन के कारण दुनिया भर में मशहूर महेश्वरी साड़ी का अस्तित्व खतरे में आ गया है. एक ओर जहां महेश्वरी साड़ी निर्माताओं को काफी नुकसान हुआ है तो वहीं बुनकरों की आर्थिक स्थिति भी दयनीय हो चुकीहै.

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महेश्वरी साड़ी
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Published : Jun 10, 2020, 3:18 AM IST

Updated : Jun 10, 2020, 11:03 AM IST

खरगोन। महेश्वरी साड़ियों ने निमाड़ अंचल और खरगोन जिले को विश्व पटल पर पहचान दिलाई है. लेकिन कोरोना ग्रहण के कारण महेश्वरी साड़ी का अस्तित्व खतरे में आ गया है. एक ओर जहां महेश्वरी साड़ी निर्माताओं को काफी नुकसान हुआ है तो वहीं बुनकरों की हालत भी दयनीय है. खरगोन और महेश्वर का नाम महेश्वरी साड़ियों के लिए दुनिया भर में जाना जाता है. लेकिन बीते दो महीनों से हुए लॉकडाउन के चलते महेश्वरी साड़ी के बुनकरों और साड़ी निर्माताओं के ऊपर कोरोना रूपी ग्रहण लग गया है, जिससे बचने के लिए अब सरकार को प्रयास करने होंगे. महेश्वरी साड़ी के बुनकर अनीस अंसारी ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते बुनकरों के सामने सबसे बड़ा आर्थिक संकट आ खड़ा हुआ है. बीते दो माह से घर चलाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

महेश्वरी साड़ी का अस्तित्व खतरे में

लॉकडाउन में बुनकरों के पास कोई काम नही है. बेरोजगारी से परेशान होकर कोई बुनकर ठेला तो कोई सब्जी तो कोई आलू प्याज बेच रहे हैं. वहीं जिनका पुश्तैनी धंधा है, वो आज तगरियां उठाकर घर चला रहे हैं. आज बुनकर कर्ज के तले दबता चला जा रहा है. इस धंधे को बचाने के लिए सरकार को प्रयास करने होंगे, जिससे बुनकरों को सीधा लाभ मिल सके.

अजीज अंसारी ने बताया कि कोरोना महामारी का पूरे देश में हर वर्ग पर प्रभाव पड़ा है. कोरोना महामारी के दौरान माहेश्वरी साड़ी उद्योग के लगभग सात हजार बुनकर घरों में बैठे हैं. महेश्वर में जितने भी कारखाने चलते थे, वे सभी बंद हैं और बुनकरों को खाने के लाले पड़े हुए हैं. इसे बचाने के लिए शासन को आगे आना होगा. अभी तक बुनकरों को शासन की ओर से किसी तरह की कोई राहत राशि नहीं मिल पाई है.

बुनकरों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग की है कि तीन सौ साल से चली आ रही महेश्वरी साड़ी को बचाने का प्रयास करें. साथ ही इसमें जो युवा महेश्वरी साड़ी के धंधे को अपना कर बचाने का प्रयास कर रहे हैं, उनकी मदद करना होगी. जानकारी के मुताबिक कोरोना महामारी के दौरान 50 करोड़ का नुकसान हुआ है. जो मार्च, अप्रैल और मई में शादियों का पीक सीजन होता है. इसके पहले ऑर्डर पर साड़ियां बन चुकी थीं, लेकिन लॉकडाउन लग गया और माल बाजार तक नहीं जा पाया.

खरगोन। महेश्वरी साड़ियों ने निमाड़ अंचल और खरगोन जिले को विश्व पटल पर पहचान दिलाई है. लेकिन कोरोना ग्रहण के कारण महेश्वरी साड़ी का अस्तित्व खतरे में आ गया है. एक ओर जहां महेश्वरी साड़ी निर्माताओं को काफी नुकसान हुआ है तो वहीं बुनकरों की हालत भी दयनीय है. खरगोन और महेश्वर का नाम महेश्वरी साड़ियों के लिए दुनिया भर में जाना जाता है. लेकिन बीते दो महीनों से हुए लॉकडाउन के चलते महेश्वरी साड़ी के बुनकरों और साड़ी निर्माताओं के ऊपर कोरोना रूपी ग्रहण लग गया है, जिससे बचने के लिए अब सरकार को प्रयास करने होंगे. महेश्वरी साड़ी के बुनकर अनीस अंसारी ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते बुनकरों के सामने सबसे बड़ा आर्थिक संकट आ खड़ा हुआ है. बीते दो माह से घर चलाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

महेश्वरी साड़ी का अस्तित्व खतरे में

लॉकडाउन में बुनकरों के पास कोई काम नही है. बेरोजगारी से परेशान होकर कोई बुनकर ठेला तो कोई सब्जी तो कोई आलू प्याज बेच रहे हैं. वहीं जिनका पुश्तैनी धंधा है, वो आज तगरियां उठाकर घर चला रहे हैं. आज बुनकर कर्ज के तले दबता चला जा रहा है. इस धंधे को बचाने के लिए सरकार को प्रयास करने होंगे, जिससे बुनकरों को सीधा लाभ मिल सके.

अजीज अंसारी ने बताया कि कोरोना महामारी का पूरे देश में हर वर्ग पर प्रभाव पड़ा है. कोरोना महामारी के दौरान माहेश्वरी साड़ी उद्योग के लगभग सात हजार बुनकर घरों में बैठे हैं. महेश्वर में जितने भी कारखाने चलते थे, वे सभी बंद हैं और बुनकरों को खाने के लाले पड़े हुए हैं. इसे बचाने के लिए शासन को आगे आना होगा. अभी तक बुनकरों को शासन की ओर से किसी तरह की कोई राहत राशि नहीं मिल पाई है.

बुनकरों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग की है कि तीन सौ साल से चली आ रही महेश्वरी साड़ी को बचाने का प्रयास करें. साथ ही इसमें जो युवा महेश्वरी साड़ी के धंधे को अपना कर बचाने का प्रयास कर रहे हैं, उनकी मदद करना होगी. जानकारी के मुताबिक कोरोना महामारी के दौरान 50 करोड़ का नुकसान हुआ है. जो मार्च, अप्रैल और मई में शादियों का पीक सीजन होता है. इसके पहले ऑर्डर पर साड़ियां बन चुकी थीं, लेकिन लॉकडाउन लग गया और माल बाजार तक नहीं जा पाया.

Last Updated : Jun 10, 2020, 11:03 AM IST
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