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आज मनाई जा रही है गोवर्धन पूजा, पशुपालकों के लिए बेहद खास है आज का दिन

दीपावली के दूसरे दिन निमाड़ में गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन गाय के गोबर से पशु पालक गोवर्धन पर्वत बनाकर पूजते हैं.

गोबर का गोवर्धन बनाकर होती है पूजा
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Published : Oct 28, 2019, 1:14 PM IST

Updated : Oct 28, 2019, 3:06 PM IST

खरगोन। जिले में दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. खासकर किसान और पशुपालक घर में पले जानवरों का पूजन करते हैं. इस दिन गाय के गोबर से पशुपालक गोवर्धन बनाकर पूजा करते हैं.

गोवर्धन पूजा

स्थानीय महिलाओं ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण ने गोकुलवासियों को इंद्र की पूजा करने से मना कर दिया था. जिससे इंद्र ने नाराज होकर भारी बारिश करनी शुरू कर दी. इंद्र का घमंड तोड़ने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी ऊंगली पर उठाया था और उनके नीचे आश्रय लेकर गांववालों और मवेशियों ने अपनी जिंदगी बचाई थी.

लोगों ने बताया कि दीपावली के दूसरे दिन गाय को लक्ष्मी के रूप में पूजते हैं. साथ ही प्रकृति के संरक्षण के लिए गोवर्धन की पूजा की जाती है. जिसका एक ही सन्देश है कि प्रकृति का और गायों का संवर्धन और संरक्षण करें.

खरगोन। जिले में दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. खासकर किसान और पशुपालक घर में पले जानवरों का पूजन करते हैं. इस दिन गाय के गोबर से पशुपालक गोवर्धन बनाकर पूजा करते हैं.

गोवर्धन पूजा

स्थानीय महिलाओं ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण ने गोकुलवासियों को इंद्र की पूजा करने से मना कर दिया था. जिससे इंद्र ने नाराज होकर भारी बारिश करनी शुरू कर दी. इंद्र का घमंड तोड़ने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी ऊंगली पर उठाया था और उनके नीचे आश्रय लेकर गांववालों और मवेशियों ने अपनी जिंदगी बचाई थी.

लोगों ने बताया कि दीपावली के दूसरे दिन गाय को लक्ष्मी के रूप में पूजते हैं. साथ ही प्रकृति के संरक्षण के लिए गोवर्धन की पूजा की जाती है. जिसका एक ही सन्देश है कि प्रकृति का और गायों का संवर्धन और संरक्षण करें.

Intro:दीपावली के दूसरे दिन निमाड़ में गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन गाय के गोबर से पशु पालक गोवर्धन बनाकर पूजते है।


Body:खरगोन जिले में दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। खास कर किसान और पशु पालक परिवारों द्वारा पूजन किया जाता है। खरगोन की गायत्री ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण ने गोकुल वासियो को इंद्र की पूजा करने से मना कर दिया था। जिससे इंद्र ने नाराज होकर बारिश शुरू कर दी। इंद्र का घमंड तोड़ने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था। साथ एक ग्वाले की पशुओं के पैरों में आकर मौत हो गई थी । तब से गोवर्धन पूजा हो रही है।
बाइट- गायत्री पशुपालक
वही शालिनी रतोरिया ने बताया कि दीपावली के दूसरे दिन गाय को लक्ष्मी के रूप में पूजते है। साथ ही प्रकृति के संरक्षण के लिए गोवर्धन की पूजा की जाती है। जिसका एक ही सन्देश है कि प्रकृति का और गो संवर्धन करे।
बाइट शालिनी रतोरिया पशु पालक


Conclusion:
Last Updated : Oct 28, 2019, 3:06 PM IST
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