खरगोन। 29 नवम्बर से शुरू हुई एनर्जी स्वराज यात्रा पीजी कॉलेज पहुंची, जहां पर लेक्चर के बाद पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया. इस दौरान एनर्जी स्वराज यात्रा प्रभारी और आईआईटी मुम्बई के प्रोफेसर चेतन सोलंकी ने बताया कि, आधुनिकता की दौड़ ने मानव जीवन का अस्तित्व खतरे में डाल दिया है. मानव जीवन के अस्तित्व का काउंट डाउन शुरू हो गया है. अगर अभी नहीं सम्भले, तो कभी नहीं सम्भल पाएंगे, जिसके लिए सरकार के साथ-साथ आम लोगों को अपने विद्युत कनेक्शन कटवाने होंगे. उन्होंने कहा कि, हमारे द्वारा कार्बन का उत्सर्जन किया जा रहा है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए संकट पैदा करेगा. इसलिए ये जरूरी है कि हम कार्बन उत्सर्जन कम करें, ताकि भविष्य के संकटों से बचा जा सके.
11 साल चलेगी एनर्जी यात्रा
आईआईटी मुम्बई के प्रोफेसर चेतन सोलंकी ने बताया कि, एनर्जी स्वराज यात्रा 11 वर्षों तक देश के विभिन्न हिस्सों में यात्रा करेगी, जिससे लोगों को एनर्जी के बारे में जागरूक किया जा सके. इसके लिए कलेक्टरों के माध्यम से शासकीय भवनों में सौर ऊर्जा लगाने के लिए कहा गया है, जिसमें निमार्ण कर सौर ऊर्जा के प्लांट लगाए जा रहे हैं.
खरगोन पहुंची एनर्जी स्वराज यात्रा
29 नवम्बर से शुरू हुई एनर्जी स्वराज यात्रा खरगोन के पीजी कॉलेज पहुंची, जहां पर व्याख्यान के बाद पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया.
खरगोन। 29 नवम्बर से शुरू हुई एनर्जी स्वराज यात्रा पीजी कॉलेज पहुंची, जहां पर लेक्चर के बाद पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया. इस दौरान एनर्जी स्वराज यात्रा प्रभारी और आईआईटी मुम्बई के प्रोफेसर चेतन सोलंकी ने बताया कि, आधुनिकता की दौड़ ने मानव जीवन का अस्तित्व खतरे में डाल दिया है. मानव जीवन के अस्तित्व का काउंट डाउन शुरू हो गया है. अगर अभी नहीं सम्भले, तो कभी नहीं सम्भल पाएंगे, जिसके लिए सरकार के साथ-साथ आम लोगों को अपने विद्युत कनेक्शन कटवाने होंगे. उन्होंने कहा कि, हमारे द्वारा कार्बन का उत्सर्जन किया जा रहा है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए संकट पैदा करेगा. इसलिए ये जरूरी है कि हम कार्बन उत्सर्जन कम करें, ताकि भविष्य के संकटों से बचा जा सके.
11 साल चलेगी एनर्जी यात्रा
आईआईटी मुम्बई के प्रोफेसर चेतन सोलंकी ने बताया कि, एनर्जी स्वराज यात्रा 11 वर्षों तक देश के विभिन्न हिस्सों में यात्रा करेगी, जिससे लोगों को एनर्जी के बारे में जागरूक किया जा सके. इसके लिए कलेक्टरों के माध्यम से शासकीय भवनों में सौर ऊर्जा लगाने के लिए कहा गया है, जिसमें निमार्ण कर सौर ऊर्जा के प्लांट लगाए जा रहे हैं.