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न पंडित, न बैंड बाजा, संविधान की शपथ लेकर जोड़े ने की नये जीवन की शुरुआत

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Published : Dec 10, 2019, 6:59 AM IST

Updated : Dec 10, 2019, 7:49 AM IST

खरगोन जिले में एक जोड़े ने संविधान की शपथ लेकर नए जीवन की शुरुआत की. इस अनोखी शादी में शिरकत करने पहुंचे लोगों ने भी दूल्हा- दुल्हन के साथ शपथ ली.

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संविधान की शपथ लेकर जोड़े ने की नये जीवन की शुरुआत

खरगोन। आपने शादियां तो कई देखी होंगी, लेकिन खरगोन में शनिवार को एक अनोखी शादी हुई. जहां न बैंड बाजा अगर कुछ था, तो वो था भारत का संविधान, जिसे साक्षी मानकर नव दंपति ने अपने नये जीवन की शुरुआत की. साथ ही इस शादी में पटाखे, सिंगल यूज प्लास्टिक और किसी भी प्रकार की फिजूलखर्ची नहीं की गई. नवदंपति ने इसे समाजहित में एक नया पहल बताया है.

संविधान की शपथ लेकर जोड़े ने की नये जीवन की शुरुआत
दूल्हा बने वज्र कलमें ने बताया कि देश में संविधान को तोड़ने की कोशिश हो रही है. यही वजह है कि उन्होने संविधान की शपथ लेकर और संविधान के सम्मान के लिए इस तरह से शादी की है. इससे पहले वज्र समाज के लिए कई खास संदेश दे चुके हैं. उन्होंने अपने पिता की मृत्यु के बाद उनका देहदान किया, तो भाई और बहन की शादी में लेन-देन से दूरी बनाकर नई पहल की है.

वज्र ने बताया कि किसी भी दिन व्यक्ति शादी कर सकता है, जरूरी नहीं है कि किसी पंडित से पूछा जाय. वज्र ने कहा कि, हम दोनों भाइयों ने बैठ कर संविधान की शपथ लेकर जीवन की शुरुआत करने के बारे में सोचा, तो तारीख के लिए किसी भी तरह पंडित से न पूछते हुए होने वाली पत्नी अंजली के जन्म तारीख को ही विवाह के लिए उपयुक्त समझा.


वहीं दुल्हन बनी अंजलि ने कहा कि मंत्रोंचार से हुई शादी कई बार टूट जाती है. तो जरुरी है कि दंपति के विचार मिलने चाहिये. हमने संविधान की शपथ लेकर शादी करने को सहर्ष स्वीकार किया था. एक दूसरे को समझ कर ही जीवन में आगे बढ़ा जा सकता है, जिसके लिए फेरों और मंत्र की जरुरत नहीं होती.

वहीं दूल्हे की बहन ने बताया कि आज कल महंगी शादियों में फिजूल खर्ची होती है. इसी को रोकने के लिए मेरे भाई ने संविधान की शपथ लेकर शादी करने का निर्णय लिया है. साथ ही पटाखों से और प्लास्टिक से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. जिसके लिए हमने पटाखे डीजे और डिस्पोजल का भी उपयोग नहीं कर रहे हैं.

खरगोन। आपने शादियां तो कई देखी होंगी, लेकिन खरगोन में शनिवार को एक अनोखी शादी हुई. जहां न बैंड बाजा अगर कुछ था, तो वो था भारत का संविधान, जिसे साक्षी मानकर नव दंपति ने अपने नये जीवन की शुरुआत की. साथ ही इस शादी में पटाखे, सिंगल यूज प्लास्टिक और किसी भी प्रकार की फिजूलखर्ची नहीं की गई. नवदंपति ने इसे समाजहित में एक नया पहल बताया है.

संविधान की शपथ लेकर जोड़े ने की नये जीवन की शुरुआत
दूल्हा बने वज्र कलमें ने बताया कि देश में संविधान को तोड़ने की कोशिश हो रही है. यही वजह है कि उन्होने संविधान की शपथ लेकर और संविधान के सम्मान के लिए इस तरह से शादी की है. इससे पहले वज्र समाज के लिए कई खास संदेश दे चुके हैं. उन्होंने अपने पिता की मृत्यु के बाद उनका देहदान किया, तो भाई और बहन की शादी में लेन-देन से दूरी बनाकर नई पहल की है.

वज्र ने बताया कि किसी भी दिन व्यक्ति शादी कर सकता है, जरूरी नहीं है कि किसी पंडित से पूछा जाय. वज्र ने कहा कि, हम दोनों भाइयों ने बैठ कर संविधान की शपथ लेकर जीवन की शुरुआत करने के बारे में सोचा, तो तारीख के लिए किसी भी तरह पंडित से न पूछते हुए होने वाली पत्नी अंजली के जन्म तारीख को ही विवाह के लिए उपयुक्त समझा.


वहीं दुल्हन बनी अंजलि ने कहा कि मंत्रोंचार से हुई शादी कई बार टूट जाती है. तो जरुरी है कि दंपति के विचार मिलने चाहिये. हमने संविधान की शपथ लेकर शादी करने को सहर्ष स्वीकार किया था. एक दूसरे को समझ कर ही जीवन में आगे बढ़ा जा सकता है, जिसके लिए फेरों और मंत्र की जरुरत नहीं होती.

वहीं दूल्हे की बहन ने बताया कि आज कल महंगी शादियों में फिजूल खर्ची होती है. इसी को रोकने के लिए मेरे भाई ने संविधान की शपथ लेकर शादी करने का निर्णय लिया है. साथ ही पटाखों से और प्लास्टिक से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. जिसके लिए हमने पटाखे डीजे और डिस्पोजल का भी उपयोग नहीं कर रहे हैं.

Intro:आपने शादियां तो कहीं देखी होगी, जहां बैंड बाजा पंडित और सात फेरे के साथ खर्चीली शादियां होती है। परंतु आज हम ऐसी शादी दिखा रहे है। जिसमे कुरीतियों को दूर करते हुए। संविधान की शपथ लेकर अपने जीवन की शुरुआत की।


Body:
खरगोन में हुई अनोखी शादी लेने देने के समस्त रिवाज बन्द कर न पंडित न पूजा केवल संविधान की शपथ लेकर नव युगल ने अपने जीवन की शुरुआत की। इस शादी का मकसद सामाजिक कुरीतियां को दूर करते हुए नवयुगल ने अपने जीवन की शुरुआत की । खरगोन में हुई एक अनोखी शादी जहां न पंडित ने मंत्र न मामेर न कोई लेनदेन । केवल संविधान की शपथ लेकर शादी की रसम पूरी की । 
वीओ- दूल्हा बने वज्र कलमें ने बताया कि हम दूसरों को समाज सुधारने की बात नही करते अपने जीवन मे अनुकरणीय पहल कर संदेश देते है। हमारे यहां पहले हमने भाई की विवाह में किसी भी तरह कुछ नही लिया। फिर बहन की शादी में लेना और देना बंद किया। हम संविधान का सम्मान करते है। इसलिए हमने संविधान की शपथ लेकर नए जीवन की शुरआत की है। वज्र ने बताया कि इससे पूर्व पिता के देहांत के बाद हमने सबसे पहले जिले में देहदान की शुरूआत की। उसके बाद पिता के नाम कलमें फाउंडेशन के नाम से संस्था बनाई। जिसमे कई लोगो को ट्रेनिंग और रोजगार दिया है।
पत्नी के जन्म दिन को विवाह के लिए चुना
वज्र से पूछने पर की आज उनकी पत्नी का जन्मदिन भी है। इस पर वज्र ने कहा कि हम दोनों भाइयों ने बैठ संविधान की शपथ लेकर जीवन की शुरुआत करने के बारे में सोचा तो तारीख के लिए किसी भी तरह पंडित को न पूछते हुए हमने अंजली के जन्म तारीख को ही विवाह के लिए उपयुक्त समझा।
वही दुल्हन बनी अंजलि ने कहा कि मंत्रों के द्वारा शादी होने के बजाय संविधान की शपथ लेकर शादी करने के लिए वज्र ने बताया तो सहर्ष स्वीकार किया। मंत्रोचार से शादी के बाद कई बार टूट जाती है। इस जरूरी नही की मंत्रोच्चार या फेरे लेकर ही शादी मानी जाय। जब तक एक दूसरे को समझ कर ही जीवन मे आगे बढ़ा जा सकता है।
1-2-1 वज्र और अंजली
वही दूल्हे की बहन ने बताया कि आज कल महंगी शादियों में फिजूल खर्ची होती है। इसी को रोकने के लिए मेरे भाई ने संविधान की शपथ लेकर शादी करने का निर्णय लिया है। साथ पटाखों से और प्लास्टिक से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। जिसके लिए हमने पटाखे डीजे ओर डिस्पोजल का भी उपयोग नही कर रहे है।
बाइट- प्रयत्ना सांवले दूल्हे की बहन



Conclusion:
Last Updated : Dec 10, 2019, 7:49 AM IST
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