खरगोन। जिले में अवैध उत्खनन पर अंकुश नहीं लग रहा है. जिसे लेकर ग्रामीणों और रेत खनन माफियाओं के बीच अक्सर विवादों की स्थिति बनती है. खनिज अधिकारी भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं करते हैं. ऐसे ही एक मामले को लेकर बीते दिनों मांगरूल में ग्रामीणों और रेत माफियाओं के बीच विवाद हुआ था. जहां शुक्रवार को ग्राम पेनपुर में भी रेत माफियाओं और ग्रामीणों के बीच विवाद की स्थिति बन गई.
32 खदानों में से एक को मिली रॉयल्टी
ग्रामीणों के अनुसार रेत के ठेकेदार अवैध उत्खनन कर रहे है. साथ ही ग्रामीणों को धमकाते है. जिले में 32 खदाने पोर्टल पर दर्ज होना है, अभी तक सिर्फ 3 खदानें पोर्टल पर दिख रही है. जिसमें से एक मंगरुल के पास शाहपूरा की रेत खदान को रॉयल्टी मिली है. अवैध रेत माफियाओं द्वारा शुक्रवार को 3 युवकों को पेनपुर भेजा गया था. जो रेत निकालने और भंडारण करने की कोशीश कर रहे थे. ग्रामीणों का कहना है कि खनिज विभाग शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं करता है. जिले के चैनपुर वेस्टर्न और मांगरोल के लोगों ने खनिज अधिकारी और रेत माफियाओं पर मिलीभगत का आरोप लगाया है.
रेत माफियाओं की चांदी
जिले में प्रतिदिन हजार ट्राली और 1300 डंपर काली रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है. जिसके लिए रॉयल्टी के स्थान पर टोकन सिस्टम रेत माफियाओं द्वारा शुरू किया गया है. टोकन के माध्यम से अवैध रेत कारोबारियों द्वारा लाइट नहीं भर कर सरकार को प्रतिदिन 18 लाख रुपए के राजस्व का नुकसान करते हुए अपनी जेब में डाल रहे हैं. जिससे रेत माफियाओं की चांदी हो रही है. बता दें कि अवैध उत्खनन करते पकड़े जाने पर निकाली गई रेत का दुगुना राजस्व भरना होता है.
मीडिया को देखते ही भाग गए रेत माफिया
खरगोन जिले के ग्राम पेनपुर में रेत माफियाओं और ग्रामीणों के बीच विवाद की जानकारी मिलते ही जब मीडिया मौके पर पहुंचा तो रेत माफिया डंपर और ट्रैक्टर ट्रॉली को लेकर भागते नजर आए. वहीं मामले को लेकर जिला खनिज अधिकारी सावन चौहान ने कहा कि उनके पास ऐसी कोई जानकारी नहीं आई है. अधिकारी ने कहा कि यदि कोई भी सूचना आती है तो हमारे पास दो इंस्पेक्टर है, जिन्हें तत्काल मौके पर भेजकर कार्रवाई करवाई जाती है. जिले में अभी तक हमने जितनी भी चेकिंग की उसमें कोई भी वाहन बिना रॉयल्टी का नहीं मिला है.