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अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से गई मासूम की जान, खाली ऑक्सीजन सिलेंडर लगाए जाने से हुई मौत - child death due to negligence of hospital

खरगोन शहर के निजी अस्पताल विजयलक्ष्मी में स्टाफ की लापरवाही ने एक मासूम की जान ले ली. ऑक्सीजन का खाली सिलेंडर लगा दिए जाने से मासूम की सांसे थम गईं.

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अस्पताल की लापरवाही से गई बच्चे की जान
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Published : Jan 10, 2020, 9:02 AM IST

Updated : Jan 10, 2020, 1:38 PM IST

खरगोन। शहर के निजी अस्पताल विजयलक्ष्मी की लापरवाही ने तीन साल के मासूम की जान ले ली. बताया जा रहा है कि, खाली सिलेंडर लगाए जाने की वजह से उसकी सांसे थम गईं. बच्चे के दादा मनोहर लाल ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया है, उन्होंने कहा है कि बच्चे को सर्दी- खांसी होने की वजह से हॉस्पिटल लेकर आए थे. सांस लेने में तकलीफ के चलते डॉक्टर ने उसे ऑक्सीजन लगाने के लिए कहा. अस्पताल प्रबंधन तीन हजार रुपए की मांग कर रहा था. तत्काल रुपए जमा करवाने के बाद ऑक्सीजन लगा दिया गया, लेकिन ऑक्सीजन का जो सिलेंडर लगाया गया वो खाली था. उनका आरोप है कि, जब उन्होंने देखा कि ऑक्सीजन का सिलेंडर खाली तो तुरंत बदलवाया लेकिन दूसरा सिलेंडर भी खाली ही लगा दिया. जिससे बच्चे की मौत हो गई.

अस्पताल की लापरवाही से गई बच्चे की जान

अस्पताल प्रबंधन का शर्मनाक बयान
वहीं जब इस मामले में अस्पताल प्रबंधन से बात की गई, तो उन्होंने अपना बचाव करते हुए शर्मनाक बयान दिया. कहा कि, इलाज कर रहे शिशु रोग विशेषज्ञ उमेश श्रीवास्तव से बात करें. वहीं डॉ उमेश श्रीवास्तव ने लापरवाही का जिम्मा अस्पताल प्रंबधन पर डाल दिया. उन्होंने कहा कि, उनके द्वारा बच्चे को देखकर दवाइयां लिखी गई, उसके बाद अस्पताल में क्या हुआ उससे उन्हें क्या लेना- देना, अस्पताल प्रबंधन से ही बात करें.

अस्पताल के चेयरमैन परसराम चौहान का कहना है कि, यहां कोई लापरवाही नहीं हुई और बच्चे को एमडी डॉक्टर द्वारा देखा गया और उनकी देखरेख में ही इलाज हुआ. ऑक्सीजन सिलेंडर खाली होने की बात गलत है. ऐसे में सवाल उठता है कि बच्चे की मौत इलाज के दौरान हुई है, तो ऐसे में मौत की जिम्मेदारी अस्पताल प्रबंधन नहीं लेगा तो कौन लेगा.

खरगोन। शहर के निजी अस्पताल विजयलक्ष्मी की लापरवाही ने तीन साल के मासूम की जान ले ली. बताया जा रहा है कि, खाली सिलेंडर लगाए जाने की वजह से उसकी सांसे थम गईं. बच्चे के दादा मनोहर लाल ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया है, उन्होंने कहा है कि बच्चे को सर्दी- खांसी होने की वजह से हॉस्पिटल लेकर आए थे. सांस लेने में तकलीफ के चलते डॉक्टर ने उसे ऑक्सीजन लगाने के लिए कहा. अस्पताल प्रबंधन तीन हजार रुपए की मांग कर रहा था. तत्काल रुपए जमा करवाने के बाद ऑक्सीजन लगा दिया गया, लेकिन ऑक्सीजन का जो सिलेंडर लगाया गया वो खाली था. उनका आरोप है कि, जब उन्होंने देखा कि ऑक्सीजन का सिलेंडर खाली तो तुरंत बदलवाया लेकिन दूसरा सिलेंडर भी खाली ही लगा दिया. जिससे बच्चे की मौत हो गई.

अस्पताल की लापरवाही से गई बच्चे की जान

अस्पताल प्रबंधन का शर्मनाक बयान
वहीं जब इस मामले में अस्पताल प्रबंधन से बात की गई, तो उन्होंने अपना बचाव करते हुए शर्मनाक बयान दिया. कहा कि, इलाज कर रहे शिशु रोग विशेषज्ञ उमेश श्रीवास्तव से बात करें. वहीं डॉ उमेश श्रीवास्तव ने लापरवाही का जिम्मा अस्पताल प्रंबधन पर डाल दिया. उन्होंने कहा कि, उनके द्वारा बच्चे को देखकर दवाइयां लिखी गई, उसके बाद अस्पताल में क्या हुआ उससे उन्हें क्या लेना- देना, अस्पताल प्रबंधन से ही बात करें.

अस्पताल के चेयरमैन परसराम चौहान का कहना है कि, यहां कोई लापरवाही नहीं हुई और बच्चे को एमडी डॉक्टर द्वारा देखा गया और उनकी देखरेख में ही इलाज हुआ. ऑक्सीजन सिलेंडर खाली होने की बात गलत है. ऐसे में सवाल उठता है कि बच्चे की मौत इलाज के दौरान हुई है, तो ऐसे में मौत की जिम्मेदारी अस्पताल प्रबंधन नहीं लेगा तो कौन लेगा.

Intro:खरगोन
शहर के निजी अस्पताल की लापरवाही 3 साल के बच्चे के लिए मौत लेकर आई। शहर निजी चिकित्सालय में शुमार विजयलक्ष्मी हॉस्पिटल स्टाफ द्वारा लाख की लापरवाही पूर्वक ऑक्सीजन का खाली सिलेंडर लगाने से बच्चे की मौत हो गई।


Body:खरगोन शहर के निजी विजयलक्ष्मी हॉस्पिटल में स्टाफ की लापरवाही एक 3 वर्षीय बच्चे तनिष की मौत हो गई। तनिष्क दादा ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि बच्चे को हॉस्पिटल में सर्दी खांसी के लिए लाए थे यहां पर उसे अक्सीजन चढ़ाना थी। अस्पताल प्रबंधन तीन हजार रुपए की मांग कर रहा था। तत्काल रुपए जमा करवाने के ऑक्सीजन चढ़ाई वहां खाली सिलेंडर चढ़ा दिया। जब मैंने देखा तो ऑक्सीजन नही जा रही थी। फिर बदला वो भी खाली था। इस दौरान तनिष्क की मौत हो गई।
बाइट मनोहर लाल कुमरावत दादा
वही अस्पताल प्रबंधन मीडिया को डालते नजर आया प्रबंधन का कहना था कि इलाज कर रहे शिशु रोग विशेषज्ञ उमेश श्रीवास्तव से बात करें वही डॉ उमेश श्रीवास्तव ने मीडिया से कहा कि मेरे बच्चे को देखकर दवाइयां लिख दी थी हॉस्पिटल में क्या हुआ मुझे नहीं पता अस्पताल प्रबंधन से ही बात करें।
बाइट डॉ उमेश श्रीवास्तव
बाद में अस्पताल के चेयरमैन परसराम चौहान ने बताया हमारे यहां कोई लापरवाही नहीं हुई और बच्चे को एमडी डॉक्टर द्वारा देखा गया और उनकी देखरेख में ही इलाज हुआ ऑक्सीजन सिलेंडर खाली ने होने की बात गलत है।
बाइट परसराम चौहान चेयरमेन विजयलक्ष्मी हॉस्पिटल



Conclusion:इस पूरे मामले को लेकर देखे तो लापरवाही अस्पताल प्रबंधन की सामने आ रही है। क्योंकि शिशु रोग विशेषज्ञ द्वारा बच्चे को दवाई चिकित्सालय भर्ती करने के लिए लिखा गया था।
Last Updated : Jan 10, 2020, 1:38 PM IST
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