खरगोन। प्रकृति से छेड़छाड़ मानव को कितना महंगा पड़ रहा. यह बात कोरोना के कहर ने बता दी है ऐसा ही कुछ ईटीवी से बात करते हुए राष्ट्रीय कवि शम्भूसिंह मनहर ने अपने गाने के बारे में बताया. मनहर ने देश-विदेश के 18 जाने माने कवियों के साथ क्षमा गीत तैयार किया है, जिसे सोशल मीडिया पर 24 घंटे में 5 लाख बार देखा और दो हजार पांच सौ बार शेयर किया जा चुका है.
खरगोन के राष्ट्रीय कवि शम्भूसिंह मनहर की अगुवाई में एक क्षमा गीत गाया गया, जिसमें देश विदेश 18 कवियों ने सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो करते हुए सभी ने अपने-अपने वीडियो बनाकर गाने में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है. राष्ट्रीय कवि शंभूसिंह मनहर ने बताया कि एक प्रकृति एक रूप की भावना को लेकर ये गीत तैयार किया गया है.
गाने के बारे में बताते हुए शम्भूसिंह ने बताया कि मानव सभ्यता ने जिस प्रकार प्रकृति के साथ छेड़छाड़ की है, अब लगता है प्रकृति इस बात से नाराज होने लगी है और उसने कोरोना महामारी के रूप में अपनी नाराजगी का एक छोटा सा नमूना दिखाया है. प्रकृति की नाराजगी दूर करने और उससे क्षमा मांगने के लिए ये गीत लिखा गया और फिर इसे कंपोस कर सोशल मीडिया पर अपलोड किया गया. कवि अनूप भार्गव, पद्मश्री सुरेंद्र दुबे और लंदन से दिव्या माथुर और शिखा वासने जैसे कवियों ने इस विडियो में हिस्सा लिया है
वीडियो में देश विदेश के 18 कवियों ने मिलकर काम किया है. शंम्भूसिंह ने कहा कि मानव ने पहाड़ नदियां और पेड़ पौधों को नुकसान पहुंचाया है. ये आपदा प्रकृति की नाराजी का छोटा सा स्वरूप है. गीत के बोल हैं- देखो आंखें हुई हैं आंसू आंसू, कर दो क्षमा इस बार... गाना जब से अपलोड हुआ है तब से अब तक 5 लाख से अधिक लोगों ने देखा है और दो हजार पांच सौ लोगों ने इसे शेयर भी किया है.