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टोइंग मशीन पर आमने-सामने यातायात पुलिस और नगर निगम, जानिए पूरा मामला

खंडवा में यातायात व्यवस्था बनाए रखने के लिए चलाई जा रही टोइंग मशीन पर अब नगर निगम और यातायात पुलिस आमने-सामने हैं. यातायात पुलिस का कहना है कि इस मशीन से वाहन उठाने में परेशानियां होती है. इसलिए नगर निगम अब आधुनिक मशीन दे. वहीं नगर निगम ने यातायात पुलिस की इस मांग को ठुकरा दिया है.

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Published : Jan 8, 2020, 12:49 PM IST

Updated : Jan 8, 2020, 3:29 PM IST

towing machine
टोइंग मशीन

खंडवा। शहर में यातायात व्यवस्था ठीक बनाए रखने के लिए शुरू की गई टोइंग मशीन अब प्रशासन के लिए सिरदर्द बनती जा रही है. यह मशीन जाम के दौरान यातायात को ठीक करने का काम करती है, लेकिन इस दौरान वाहनों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में उन में टूट-फूट हो जाती है, जिसकी क्षतिपूर्ति देने के लिए यातायात और नगर निगम के बीच विवाद होता है.

टोइंग मशीन पर छिड़ा विवाद

टोइंग मशीन पर यातायात पुलिस ने नगर निगम को एक पत्र लिखकर यह मांग की है कि इस मशीन को बदलकर आधुनिक टोइंग मशीन दी जाए, ताकि परेशानियों की स्थिति न बने. यातायात विभाग के सूबेदार देवेंद्र सिंह परिहार का मानना है कि खंडवा शहर तंग गलियां और सकरी सड़कों की बसाहट का शहर हैं, जिससे इस मशीन को यहां ले जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है, इसलिए नगर निगम इस मशीन को बदले.

मामले में निगमायुक्त हिमांशु सिंह का कहना है कि जिस तरह की मशीन यहां उपलब्ध है. उसी तरह की मशीन पूरे प्रदेश में काम कर रही है. यह परेशानी यातायात विभाग की है. उन्होंने यातायात विभाग को ही इसका जिम्मेदार बता दिया. निगमायुक्त ने कहा कि यातायात पुलिस मशीन को ठीक से संचालित करे. निगम के पास इतना पैसा नहीं है कि आधुनिक मशीन खरीदी जाए. नगर-निगम खंडवा इस मशीन के लिए यातायात विभाग से 45 हजार प्रतिमाह शुल्क लगाता हैं.

खंडवा। शहर में यातायात व्यवस्था ठीक बनाए रखने के लिए शुरू की गई टोइंग मशीन अब प्रशासन के लिए सिरदर्द बनती जा रही है. यह मशीन जाम के दौरान यातायात को ठीक करने का काम करती है, लेकिन इस दौरान वाहनों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में उन में टूट-फूट हो जाती है, जिसकी क्षतिपूर्ति देने के लिए यातायात और नगर निगम के बीच विवाद होता है.

टोइंग मशीन पर छिड़ा विवाद

टोइंग मशीन पर यातायात पुलिस ने नगर निगम को एक पत्र लिखकर यह मांग की है कि इस मशीन को बदलकर आधुनिक टोइंग मशीन दी जाए, ताकि परेशानियों की स्थिति न बने. यातायात विभाग के सूबेदार देवेंद्र सिंह परिहार का मानना है कि खंडवा शहर तंग गलियां और सकरी सड़कों की बसाहट का शहर हैं, जिससे इस मशीन को यहां ले जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है, इसलिए नगर निगम इस मशीन को बदले.

मामले में निगमायुक्त हिमांशु सिंह का कहना है कि जिस तरह की मशीन यहां उपलब्ध है. उसी तरह की मशीन पूरे प्रदेश में काम कर रही है. यह परेशानी यातायात विभाग की है. उन्होंने यातायात विभाग को ही इसका जिम्मेदार बता दिया. निगमायुक्त ने कहा कि यातायात पुलिस मशीन को ठीक से संचालित करे. निगम के पास इतना पैसा नहीं है कि आधुनिक मशीन खरीदी जाए. नगर-निगम खंडवा इस मशीन के लिए यातायात विभाग से 45 हजार प्रतिमाह शुल्क लगाता हैं.

Intro:खंडवा। खंडवा में यातायात विभाग के लिए टोइंग मशीन सरदर्द बन गई है यह मशीन जाम के दौरान यातायात को ठीक करने का काम करती है. लेकिन इस दौरान वाहनों में टूट फुट की संभावनाएं बनती हैं. जिसके बाद क्षतिपूर्ति को लेकर विवाद की स्थिति बनती है इस मामले पर यातायात विभाग और नगर निगम आमने सामने हो जाते हैं ऐसे में विभाग आधुनिक टोइंग मशीन की मांग कर रहा है वहीं नगर निगम पर्याप्त संसाधन में काम चलाने की दलील दे रहा है


Body:खंडवा की सड़कों पर आए दिन जाम की स्थिति देखने को मिलती है इसकी एक मुख्य वजह शहर के मुख्य बाजारों पर चार पहिया वाहनों की अवैध रूप से पार्किंग को बताया जाता हैं. इसे देखते हुए नगर निगम खंडवा ने यातायात विभाग को टोइंग मशीन आवंटित की. इसका उद्देश्य यह था कि यह मशीन शहर के प्रमुख सड़कों पर अवैध रूप से खड़े वाहनों को उठाकर यातायात थाने ले जा सके लेकिन यह मशीन अब यातायात विभाग के लिए सिरदर्द बन चुकी है ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जब इस मशीन का उपयोग वाहनों को उठाने के लिए किया जाता है तो उनमें फूट फूट की भारी संभावना बनती है ऐसे में वाहन मालिक और यातायात विभाग के बीच क्षतिपूर्ति को लेकर विवाद उत्पन्न होता है. इस सबके बीच यातायात विभाग ने नगर निगम से पत्र लिखकर यह मांग की है कि इस मशीन को बदलकर आधुनिक टोइंग मशीन दी जाए. यातायात विभाग के सूबेदार देवेंद्र सिंह परिहार का मानना है कि खंडवा शहर तंग गलियां और सकरी सड़कों की बसाहट का शहर हैं ऐसे में जब यह मशीन सकरी सड़कों से टू व्हीलर और फोर व्हीलर वाहनों को टो करती हैं तो बड़े आकार के चलते जाम की स्थिति बनती हैं इसके साथ ही वाहन में टूट फुट की संभावना भी बनती हैं. और हर्जाने को लेकर वाहन जिम्मेदारी तय नही हो पाती हैं. इस तरह की मशीन बड़े शहरों के लिए सफल होती हैं.
byte - देवेंद्र सिंह परिहार, सूबेदार यातायात

वहीं निगमायुक्त हिमांशु सिंह का कहना है कि जिस तरह की मशीन यहां उपलब्ध है उसी तरह की मशीन समूचे प्रदेश में कार्य कर रही है उन्होंने यातायात विभाग को ही इसका जिम्मेदार बता दिया. उन्होंने कहा कि मशीन को ठीक तरीके से संचालित किए जाए. इसके अलावा निगम के पास इतना पैसा नही हैं कोई आधुनिक मशीन खरीदी जाए. यहां यह बता दे कि इस मशीन के लिए निगम यातायात विभाग से 45 हजार प्रतिमाह शुल्क लगाता हैं.
byte- हिमांशु सिंह, निगमायुक्त खंडवा


Conclusion:यहां यह बता दे कि इस मशीन के लिए निगम यातायात विभाग से 45 हजार प्रतिमाह शुल्क लेता हैं. अब देखना होगा खंडवा को जाम से मुक्त करने की कवायद कब और कैसे सफल होती हैं. या कोई बीच का रास्ता निकाला जाता हैं.
Last Updated : Jan 8, 2020, 3:29 PM IST
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