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धूनी वाले दादाजी धाम में आज भी ऐसे होती है बर्तनों की सफाई, स्वाद और सेहत के लिए है फायदेमंद - पटेल सेवा समिति खंडवा

धूनी वाले दादाजी धाम में कलई प्रक्रिया से आज भी बर्तनों की सफाई होती है. बताया जाता है कि इस प्रक्रिया से बर्तन साफ होना स्वाद और सेहत के लिए फायदेमंद होता है.

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धूनी वाले दादाजी धाम
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Published : Aug 7, 2020, 2:13 PM IST

खंडवा। जिले में बरसों पुराने धूनीवाले दादाजी धाम से जुड़े पटेल सेवा समिति में आज भी सालों पुरानी परंपरा निभाई जा रही है. यहां हर दिन बड़ी मात्रा में बनने वाले भोज्य पदार्थों में उपयोग होने वाले बर्तनों को साल में एक बार विशेष कलई प्रक्रिया से साफ किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस प्रक्रिया से सफाई करने से भोजन में स्वाद और सेहत बनी रहती है.

धूनी वाले दादाजी धाम

दरअसल तांबे और पीतल के बर्तनों में बनने वाले भोज्य पदार्थों में स्वाद और सेहत बनाए रखने के लिए उन्हें साल में एक बार कलई पद्धति से साफ किया जाता है. इस पद्धति में नौसादर और कटिल के उपयोग से सफाई की जाती है. सबसे पहले बर्तन को आग में तपाया जाता है. फिर उसमें नौसादर लगाया जाता है और फिर से आग पर रखा जाता है. इसके बाद उस बर्तन में कटिल डालकर उसे पॉलिश किया जाता है. जिससे बर्तन पूरी तरह चमक उठता है. यही नहीं इस तरह बर्तन साफ होने से बर्तन में बनने वाले भोजन का स्वाद बढ़ जाता है और भोजन खाने वाले की सेहत भी अच्छी रहती है.

खंडवा में लगभग 90 साल पुराना दादाजी धाम, धूनीवाले दादाजी और उनके शिष्य छोटे दादाजी दोनों की समाधि यही है. धूनी वाले दादाजी के समाधि लेने के बाद दादा धाम का संचालन छोटे दादाजी किया करते थे. उन्हीं के समय पटेल सेवा समिति का निर्माण किया गया था.

धूनीवाले दादाजी को टिक्कड़-चटनी बहुत पसंद था. इसलिए बड़ी मात्रा में यहां टिक्कड़ और कई तरह के भोज्य पदार्थ बनाने का चलन शुरू हुआ. उस समय जिन बर्तनों में भोज्य पदार्थ बनते थे, उन बर्तनों की सफाई एक विशेष पद्धति से की जाती थी. जिसे आज भी अनवरत जारी रखा है.

खंडवा। जिले में बरसों पुराने धूनीवाले दादाजी धाम से जुड़े पटेल सेवा समिति में आज भी सालों पुरानी परंपरा निभाई जा रही है. यहां हर दिन बड़ी मात्रा में बनने वाले भोज्य पदार्थों में उपयोग होने वाले बर्तनों को साल में एक बार विशेष कलई प्रक्रिया से साफ किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस प्रक्रिया से सफाई करने से भोजन में स्वाद और सेहत बनी रहती है.

धूनी वाले दादाजी धाम

दरअसल तांबे और पीतल के बर्तनों में बनने वाले भोज्य पदार्थों में स्वाद और सेहत बनाए रखने के लिए उन्हें साल में एक बार कलई पद्धति से साफ किया जाता है. इस पद्धति में नौसादर और कटिल के उपयोग से सफाई की जाती है. सबसे पहले बर्तन को आग में तपाया जाता है. फिर उसमें नौसादर लगाया जाता है और फिर से आग पर रखा जाता है. इसके बाद उस बर्तन में कटिल डालकर उसे पॉलिश किया जाता है. जिससे बर्तन पूरी तरह चमक उठता है. यही नहीं इस तरह बर्तन साफ होने से बर्तन में बनने वाले भोजन का स्वाद बढ़ जाता है और भोजन खाने वाले की सेहत भी अच्छी रहती है.

खंडवा में लगभग 90 साल पुराना दादाजी धाम, धूनीवाले दादाजी और उनके शिष्य छोटे दादाजी दोनों की समाधि यही है. धूनी वाले दादाजी के समाधि लेने के बाद दादा धाम का संचालन छोटे दादाजी किया करते थे. उन्हीं के समय पटेल सेवा समिति का निर्माण किया गया था.

धूनीवाले दादाजी को टिक्कड़-चटनी बहुत पसंद था. इसलिए बड़ी मात्रा में यहां टिक्कड़ और कई तरह के भोज्य पदार्थ बनाने का चलन शुरू हुआ. उस समय जिन बर्तनों में भोज्य पदार्थ बनते थे, उन बर्तनों की सफाई एक विशेष पद्धति से की जाती थी. जिसे आज भी अनवरत जारी रखा है.

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