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खंडवाः सोयाबीन के मुआवजे के लिए खेतों में डाला गया प्लांट

खंडवा जिले में फसल अनावरी के लिए किसानों के खेत में प्लांट डाला गया, ताकि इसके आधार पर बीमा कंपनी राहत राशि प्रदान कर सकें.

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Published : Oct 2, 2020, 3:38 AM IST

Plant inserted for crop recovery
फसल अनावरी के लिए डाला प्लांट

खंडवा। खालवा आदिवासी तहसील ब्लॉक के नाम से जानी जाती है. जहां निम्न स्तर के लोग मौजूद है. इसी के आधार पर यहां के किसानों को क्षतिपूर्ति राहत राशि बीमा दी जानी है. लिहाजा किसानों द्वारा जहां सोयाबीन प्रति हेक्टेयर उत्पादन होती है. इसी मानक को तय करने के लिए जामनी गुर्जर गांव में प्लांट डाला गया. किसानों की फसल अनावरी के लिए किसान गोपाल दूधिया के खेत में प्लॉट डाला गया. इसी आधार पर फसल की अनावरी होती है. वहीं बीमा कम्पनी द्वारा राहत राशि इसी आधार पर दी जाती हैं.

किसान की नुकसान को दर्शाने के लिए सेवक पटवारी द्वारा पांच फीट चौड़ी और 5 फीट लंबी सोयाबीन की फसल कटाई की जाती है. इसके बाद वजन कर उत्पादन के आधार पर अनावरी तय की जाती है. अनावरी तय होते ही नुकसान बताया जाता है. यह नुकसान प्रति 5 वर्ष की औसत उत्पादन के आधार पर किसानों को फसल का मुआवजा दिया जाता है.

इस दौरान प्लांट डालने आये किसान भड़क गए और अपने नुकसान के लिये लड़ने लगे, तभी वहां किसान संघ के विष्णु चौधरी पहुंचे. उन्होंने किसानों को समझाया कि सभी कर्मचारी फसल नुकसान की अनावरी निकालने के लिए मौजूद हैं.

खंडवा। खालवा आदिवासी तहसील ब्लॉक के नाम से जानी जाती है. जहां निम्न स्तर के लोग मौजूद है. इसी के आधार पर यहां के किसानों को क्षतिपूर्ति राहत राशि बीमा दी जानी है. लिहाजा किसानों द्वारा जहां सोयाबीन प्रति हेक्टेयर उत्पादन होती है. इसी मानक को तय करने के लिए जामनी गुर्जर गांव में प्लांट डाला गया. किसानों की फसल अनावरी के लिए किसान गोपाल दूधिया के खेत में प्लॉट डाला गया. इसी आधार पर फसल की अनावरी होती है. वहीं बीमा कम्पनी द्वारा राहत राशि इसी आधार पर दी जाती हैं.

किसान की नुकसान को दर्शाने के लिए सेवक पटवारी द्वारा पांच फीट चौड़ी और 5 फीट लंबी सोयाबीन की फसल कटाई की जाती है. इसके बाद वजन कर उत्पादन के आधार पर अनावरी तय की जाती है. अनावरी तय होते ही नुकसान बताया जाता है. यह नुकसान प्रति 5 वर्ष की औसत उत्पादन के आधार पर किसानों को फसल का मुआवजा दिया जाता है.

इस दौरान प्लांट डालने आये किसान भड़क गए और अपने नुकसान के लिये लड़ने लगे, तभी वहां किसान संघ के विष्णु चौधरी पहुंचे. उन्होंने किसानों को समझाया कि सभी कर्मचारी फसल नुकसान की अनावरी निकालने के लिए मौजूद हैं.

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