खंडवा। एमपी की एकमात्र ऐसी सीट है, जहां कोई बहुत बड़ी समस्या नहीं है. क्योंकि थर्मल पॉवर प्लांट और ओंकारेश्वर मंदिर होने के साथ कृषि कार्य भी बहुत अच्छा है. क्षेत्र में देखें तो गांवों में सड़कें अच्छी है, बिजली और पानी यहां पर पर्याप्त है. पिछले कार्यकाल में पुनासा को नगर परिषद और मूंदी व किल्लौद को तहसील का दर्जा दिलाया गया तो लोग खुश हैं. यहां जीत का कोई कारण है तो वो है प्रत्याशी का व्यवहार. अधिकतर समय राजपरिवार का विधायक रहा है. 1962 से 2018 तक कुल 1 बार चुनाव हुए. जिसमें 7 बार भाजपा (भारतीय जनसंघ और जनता पार्टी मिलाकर) व पांच बार कांग्रेस ने चुनाव जीता. वहीं 2020 में उपचुनाव हुआ तो उसमें भाजपा जीती और इस तरह भाजपा का पलड़ा भारी हो गया.
2023 की जंग के लिए मांधाता विधानसभा सीट से भाजपा की तरफ से नारायण पटेल चुनावी मैदान में हैं, वहीं कांग्रेस ने उत्तमपाल सिंह को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. अब 3 दिसंबर को पता चलेगा कि जनता ने किसके पक्ष में वोट दिया और कौन अगले 5 साल तक के लिए मांधाता की कमान संभालेगा.
मांधाता में बड़ा तख्ता पलट: वैसे भी भारतीय जनसंघ पार्टी ने पहली बार 1962 में खाता खोला था और विधायक बने थे राधाकृष्ण भगत (अब दिवंगत). 2020 में यहां उपचुनाव हुआ और इसे मिलाकर कुल 13 चुनाव हो गए. इस विधानसभा में. 2020 के उपचुनाव में भाजपा की तरफ से नारायण पटेल और कांग्रेस की तरफ से उत्तम पाल समेत कुल 8 प्रत्याशी मैदान में थे. इनमें से सिंधिया समर्थक नारायण पटेल ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल कर कांग्रेस के उत्तमपाल सिंह को हरा दिया. नारायण पटेल ने साल 2018 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था और महज 1236 वोट के अंतर से चुनाव जीते थे. इसके बाद एमपी में तख्तापलट हुआ और नारायण पटेल ने भाजपा ज्वाइन कर ली. बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े नारायण पटेल ने 22000 से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी.
पर्यटन क्षेत्र है मांधाता: एमपी के खंडवा जिले की मांधाता विधानसभा में मुंदी, पुनासा और ओंकारेश्वर तीन बड़े नगर हैं. वहीं इंदिरा सागर बांध, सिंगाजी थर्मल पावर प्लांट, पर्यटक स्थल हनुवंतिया और ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के रूप में पर्यटन बहुत अधिक है. मांधाता विधानसभा धर्म, संस्कृति, आध्यात्म, पर्यटन और बिजली पानी हर मामले में सक्षम है. हालांकि फसलों का उचित दाम नहीं मिलने से यहां के किसान फसलों के लिए चिंतित रहते हैं. मांधाता विधानसभा का पुराना नाम निमाड़खेड़ी है. पहले राजस्व क्षेत्र निमाड़खेड़ी था, इसलिए इसका नाम निमाड़खेडी पड़ा. 2008 के विधानसभा चुनाव में राजस्व क्षेत्र मांधाता होने के कारण इसका नाम परिवर्तित कर मांधाता कर दिया गया.
कब कौन बना विधायक
1. 1967 में पहली बार सीट अस्तित्व में आई. पहले चुनाव में भारतीय जनसंघ के राधाकिशन भगत ने कांग्रेस के आर सिंह को 6554 वोट से हराया.
2. 1972 के चुनाव में कांग्रेस के रघुनाथराव मंडलोई ने भारतीय जनसंघ के रघुराज सिंह को 4513 वोट से हराया.
3. 1977 के विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी के प्रत्याशी राणा रघुराज सिंह तोमर ने कांग्रेस के तरुण कुमार नागदा को 15510 वोट से चुनाव हराया.
4. 1980 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के राणा रघुराज सिंह तोमर ने कांग्रेस आई के राओ शैलेंद्र सिंह को 8758 वोट से चुनाव हराया.
5. 1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के राजनारायण जसवंत सिंह ने भाजपा के मदन मोहन सिंह तोमर को 4152 वोट से मात दी.
6. 1990 के विधानसभा चुनाव में फिर से भाजपा के राणा रघुराज सिंह तोमर ने कांग्रेस के राजनारायण सिंह को 11314 वोट से मात दी.
7. 1993 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के राणा रघुराज सिंह तोमर ने फिर से कांग्रेस के राजनारायण सिंह को 10272 वोट से इलेक्शन हराया.
8. 1998 के विधानसभा चुनाव में जाकर कांग्रेस के राजनारायण सिंह जीते. उन्होंने भाजपा के राणा जी रघुराज सिंह तोमर को 6181 वोट से चुनाव हराया.