ETV Bharat / state

MP Khandwa खंडवा जेल में कैदी कर रहे हैं जैविक खेती, आजकल यहां सब्जियों की भरमार - खंडवा जेल में सब्जियों की भरमार

खंडवा जेल प्रशासन ने एक नवाचार किया है. कैदी यहां जैविक खेती कर (Prisoners organic farming) रहे हैं. आजकल यहां सब्जियों की भरमार है. हरी ताजी सब्जियों के उत्पादन से कैदी भी खुश हैं. क्योंकि उनके भोजन में इस्तेमाल हो रहा है. जेल प्रशासन का मानना है कि जब ये कैदी यहां से रिहा होंगे तो उनके हाथ में एक हुनर होगा.

MP Khandwa Prisoners organic farming
MP Khandwa खंडवा जेल में कैदी कर रहे हैं जैविक खेती
author img

By

Published : Jan 13, 2023, 5:28 PM IST

MP Khandwa खंडवा जेल में कैदी कर रहे हैं जैविक खेती

खंडवा। जो हाथ कभी अपराध करने के लिए उठे थे, उन्हीं हाथों में कुदाली, फावड़ा हैं. जेल में रहकर आज ये लोग खेती कर रहे हैं. अंग्रेजों की 150 साल पुरानी खंडवा जेल में जैविक खेती की जा रही है. कम जगह में विकट परिस्थितियों के बीच जेल प्रशासन ने कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह प्रयास किया है. जेल में गोभी, मैथी, टमाटर, पालक, लोकी, बैगन और मूली लगे हुए हैं. 50 किलो टमाटर उगाकर जेल सुर्खियों में है.

जेल में जगह कम फिर भी नवाचार : परिस्थितियां कितनी भी विपरीत क्यों ना हों, लेकिन कुछ कर गुजरने के जज्बे के आगे रास्ता निकल ही आता है. ऐसी ही कुछ परिस्थिति खंडवा जेल की है. अंग्रेजों के जमाने की करीब 150 वर्ष पुरानी जेल का इतिहास जननायक टंट्या मामा से जुड़ा हुआ है. इस जेल में कैदियों के रखने की क्षमता करीब 208 है. जबकि यहां 750 से कैदी रह रहे हैं. ऐसे में क्षमता से कई गुना अधिक कैदी होने से यहां की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है. लेकिन यहां के सहायक जेल अधीक्षक ललित दीक्षित ने इन विकट परिस्थतियों में जेल में नवाचार किया है.

कई प्रकार की सब्जियां उगा रहे कैदी : जेल प्रशासन ने अपराध करने वाले हाथों को नया काम दिया है. कैदी कई प्रकार की सब्जियां उगा रहे हैं. जैविक खेती से सब्जी का उत्पादन जेल में हो रहा है. खास बात यह है कि यहां जैविक खेती की जा रही है. जेल में बंदी बागवानी करते हुए सब्जी उगा रहे हैं. यहां की सभी सब्जियां जैविक खेती पर आधारित हैं. सब्जी का उत्पादन कर जेल प्रशासन अपने मेस का खर्च भी मेनटेन कर रहा है. गोभी, पालक, मूली, बैगन, टमाटर, मैथी और लौकी का उत्पादन हो रहा है. टमाटर की फसल की यहां बहार है. एक पौधे में 20 से अधिक टमाटर लगे हुए हैं. हर दिन यहां 50 किलो टमाटर निकल रहा है. इसका उपयोग जेल के बंदी खाने के लिए किया जा रहा है. इससे उनके भोजन का स्वाद दोगुना हो गया है. वहीं बंदियों को प्रतिदिन ताजी हरी सब्जियां तथा सलाद भोजन में मिल रहा है.

मोबाइल रेडिएशन कम करने के लिए नवाचार, सेंट्रल जेल के कैदियों को दी गई गोबर से माइक्रो चिप बनाने की ट्रेनिंग

अलग-अलग हिस्सों में हो रही खेती : जेल में खेती के लिए पर्याप्त जगह नहीं है. इसके चलते जेल में बैरक के आसपास खाली पड़ी जगह को खेती के लिए तैयार किया गया है. इस तरह से अलग-अलग हिस्सों में खेती की जा रही है. कहीं पर केवल गोभी लगाई गई है तो कहीं पर केवल टमाटर की खेती है. इस तरह से यहां बंदियों से खेती करवाई जा रही है. बंदी भी इस काम में अपना पसीना बहा रहे हैं. यहां पपीता भी लगाया गया है. सहायक जेल अधीक्षक ललित दीक्षित का कहना है कि कम संसाधन और कम जगह में खेती की जा रही है. सजायाफ्ता और ऐसे बंदी जिन्हे खेती का काम आता है, उनसे ये काम करवा रहे हैं. यहां की खास बात यह है कि यहां खेती पूरी तरह से जैविक है. सब्जियों के वेस्ट से खाद बनाते हैं. बाहर से गोबर लेकर भी आते हैं. अब यहां केंचुए की खाद बनाने का प्रयास किया जा रहा है. जेल में कैदियों के भोजन से निकलने वाले वेस्ट का उपयोग खाद बनाकर खेती में कर रहे हैं.

MP Khandwa खंडवा जेल में कैदी कर रहे हैं जैविक खेती

खंडवा। जो हाथ कभी अपराध करने के लिए उठे थे, उन्हीं हाथों में कुदाली, फावड़ा हैं. जेल में रहकर आज ये लोग खेती कर रहे हैं. अंग्रेजों की 150 साल पुरानी खंडवा जेल में जैविक खेती की जा रही है. कम जगह में विकट परिस्थितियों के बीच जेल प्रशासन ने कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह प्रयास किया है. जेल में गोभी, मैथी, टमाटर, पालक, लोकी, बैगन और मूली लगे हुए हैं. 50 किलो टमाटर उगाकर जेल सुर्खियों में है.

जेल में जगह कम फिर भी नवाचार : परिस्थितियां कितनी भी विपरीत क्यों ना हों, लेकिन कुछ कर गुजरने के जज्बे के आगे रास्ता निकल ही आता है. ऐसी ही कुछ परिस्थिति खंडवा जेल की है. अंग्रेजों के जमाने की करीब 150 वर्ष पुरानी जेल का इतिहास जननायक टंट्या मामा से जुड़ा हुआ है. इस जेल में कैदियों के रखने की क्षमता करीब 208 है. जबकि यहां 750 से कैदी रह रहे हैं. ऐसे में क्षमता से कई गुना अधिक कैदी होने से यहां की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है. लेकिन यहां के सहायक जेल अधीक्षक ललित दीक्षित ने इन विकट परिस्थतियों में जेल में नवाचार किया है.

कई प्रकार की सब्जियां उगा रहे कैदी : जेल प्रशासन ने अपराध करने वाले हाथों को नया काम दिया है. कैदी कई प्रकार की सब्जियां उगा रहे हैं. जैविक खेती से सब्जी का उत्पादन जेल में हो रहा है. खास बात यह है कि यहां जैविक खेती की जा रही है. जेल में बंदी बागवानी करते हुए सब्जी उगा रहे हैं. यहां की सभी सब्जियां जैविक खेती पर आधारित हैं. सब्जी का उत्पादन कर जेल प्रशासन अपने मेस का खर्च भी मेनटेन कर रहा है. गोभी, पालक, मूली, बैगन, टमाटर, मैथी और लौकी का उत्पादन हो रहा है. टमाटर की फसल की यहां बहार है. एक पौधे में 20 से अधिक टमाटर लगे हुए हैं. हर दिन यहां 50 किलो टमाटर निकल रहा है. इसका उपयोग जेल के बंदी खाने के लिए किया जा रहा है. इससे उनके भोजन का स्वाद दोगुना हो गया है. वहीं बंदियों को प्रतिदिन ताजी हरी सब्जियां तथा सलाद भोजन में मिल रहा है.

मोबाइल रेडिएशन कम करने के लिए नवाचार, सेंट्रल जेल के कैदियों को दी गई गोबर से माइक्रो चिप बनाने की ट्रेनिंग

अलग-अलग हिस्सों में हो रही खेती : जेल में खेती के लिए पर्याप्त जगह नहीं है. इसके चलते जेल में बैरक के आसपास खाली पड़ी जगह को खेती के लिए तैयार किया गया है. इस तरह से अलग-अलग हिस्सों में खेती की जा रही है. कहीं पर केवल गोभी लगाई गई है तो कहीं पर केवल टमाटर की खेती है. इस तरह से यहां बंदियों से खेती करवाई जा रही है. बंदी भी इस काम में अपना पसीना बहा रहे हैं. यहां पपीता भी लगाया गया है. सहायक जेल अधीक्षक ललित दीक्षित का कहना है कि कम संसाधन और कम जगह में खेती की जा रही है. सजायाफ्ता और ऐसे बंदी जिन्हे खेती का काम आता है, उनसे ये काम करवा रहे हैं. यहां की खास बात यह है कि यहां खेती पूरी तरह से जैविक है. सब्जियों के वेस्ट से खाद बनाते हैं. बाहर से गोबर लेकर भी आते हैं. अब यहां केंचुए की खाद बनाने का प्रयास किया जा रहा है. जेल में कैदियों के भोजन से निकलने वाले वेस्ट का उपयोग खाद बनाकर खेती में कर रहे हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.