बड़वानी : सनातन धर्म में 16 संस्कारों के बगैर जीवन अधूरा माना जाता है. इन्हीं में से सबसे अहम संस्कार है उपनयन संस्कार. इसे यज्ञोपवीत संस्कार भी कहते हैं. उपनयन संस्कार लेने से अध्यात्म के प्रति रुचि बढ़ती है. पौराणिक नियमों के अनुसार हरेक बालक को स्कूल जाने से पहले ये संस्कार दिया जाता है. हालांकि ये संस्कार खासकर ब्राह्मण परिवारों में अपनाए जाते हैं लेकिन पूरे हिंदू समाज के लिए ये दोनों संस्कार बेहद अहम हैं. उपनयन संस्कार के दौरान ही जनेऊ धारण कराई जाती है, इसे यज्ञोपवीत संस्कार भी कहा जाता है. बता दें कि उपनयन का मतलब होता है ब्रह्म के साथ ही ज्ञान को समझना.
उपनयन संस्कार की पौराणिक कथाएं
उपनयन का अर्थ सरल शब्दों में देखा जाए तो ज्ञान की प्राप्ति है. वहीं, यज्ञोपवीत का मतलब है यज्ञ यानी हवन करने का अधिकार मिल जाना. ऐसा माना जाता है कि जनेऊ धारण करने से पहले के जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं. बड़वानी के आचार्य राकेश पुरोहित बताते हैं "उपनयन संस्कार अध्ययन करने के लिए किया जाता है. प्राचीन काल में ब्राह्मण बालक को अध्ययन करने के बाद ऋग्वेद, यजुर्वेद सामवेद, अथर्ववेद के साथ ही 18 उपनिषदों का ज्ञान दिया जाता था. चूंकि अब संस्कृत विलुप्त होती जा रही है तो जैसा भी जितना हो सके गायत्री मंत्र का जाप अपनी शक्ति अनुसार करना चाहिए. उपनयन संस्कार को यज्ञोपवीत या जनेऊ संस्कार भी कहा जाता है. यह संस्कार बालक को आचार्य व गुरु के पास से ले जाने से जुड़ा रहता है."
ब्राह्मण बालक को कब करना चाहिए उपनयन संस्कार
उपयन संस्कार के बाद बालक को को वेदों के अध्ययन और गायत्री जाप करने का अधिकार मिल जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस संस्कार से बालक में अत्यधिक भाव जागृत होता है. यज्ञोपवीत करने से बालक में अनुशासन पैदा होता है. पौराणिक नियमों के अनुसार ब्राह्मण बालक को 8वीं साल या फिर 11वीं साल में उपनयन संस्कार कर लेना चाहिए.
विशेष मुहूर्त में होता है यज्ञोपवीत संस्कार
आचार्य राकेश पुरोहित ने बताया "उपनयन संस्कार के लिए कुछ मुहूर्त होते हैं. इसके लिए विशेष महीने होते हैं. उन महीनो में अच्छी तारीख होना चाहिए. शुभ नक्षत्र होना चाहिए. महाशुद्धि देखकर जिस प्रकार से विवाह के मुहूर्त होते हैं, इसी प्रकार से मुंडन संस्कार कराया जाता है. अक्षय तृतीया और बसंत पंचमी बड़े पर्व माने जाते हैं. इन पर्वों पर भी ये कार्यक्रम किए जाते हैं. इन त्यौहारों पर सामूहिक कार्यक्रम ज्यादा शुभ माने जाते हैं."
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बड़वानी में बटुकों का उपनयन संस्कार
ऋतुराज बसंत के आगमन पर बड़वानी में विभिन्न समाजों धार्मिक अनुष्ठान किए गए. वहीं, श्री गौड़ मालवीय ब्राह्मण समाज द्वारा बटुकों का उपनयन संस्कार का आयोजन किया गया. यहां बटुकों का यज्ञोपवीत संस्कार विप्रजनों द्वारा विधिविधान से कराया गया. बटुकों के मुंडन, जनेऊ संस्कार का आयोजन हुआ. कार्यक्रम के बाद भोजन प्रसादी भी वितरित की गई. कार्यक्रम में बड़वानी सहित आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित हुए. उपनयन संस्कार यज्ञोपवीत पं. रामचन्द्र शुक्ला, पं. राकेश पुरोहित एवं पं. दिनेश पुरोहित के आचार्यत्व में वैदिक मंत्रोच्चार द्वारा सम्पन्न कराया गया.