खंडवा। रूस एव यूक्रेन के बीच उपजे विवाद तथा युद्ध संबंधित अनियमितताओं के कारण मानसिक तनाव के दौर से गुजर रहे छात्रों ने भारतीय दूतावास की यूक्रेन छोड़ने संबंधी एडवाइजरी के बाद अपने स्तर पर यूक्रेन से पलायन प्रारंभ कर दिया है. इसी कड़ी में प्रदेश की खंडवा की बेटी दर्शिका श्रीवास्तव भी शामिल हैं. फिलहाल, दर्शिका के माता-पिता उन्हें लेने इंदौर जा रहे है, बेटी के वापस लौटने की खुशी से उनकी आ आंखे भर आईं हैं.
लंबे इंतजार के बाद पहुंचेंगी घर
यूक्रेन के विनिस्टिया में अध्ययनरत दर्शिका श्रीवास्तव 21 फरवरी को विनिस्तिया से राजधानी कीव पहुंची थीं, जहां 1 दिन इंतजार के बाद उन्हें दुबई की लिए फ्लाइट मिली. दुबई में 12 घंटों इंतजार की सूचना दी गई थी, लेकिन 23 फरवरी दोपहर 3 बजे फ्लाइट की कंफर्मेशन नहीं हो पाई थी. बाद में फिर दिल्ली के फ्लाइट मिली और अब वह दिल्ली से इंदौर पहुंच रही हैं.
घर वालों से संपर्क टूटा
खंडवा की रहने वाली दर्शिका श्रीवास्तव यूक्रेन के विनिस्तिया मेडिकल कॉलेज में तृतीय वर्ष में अध्ययनरत है. रूस एवं यूक्रेन की इस परिस्थिति के निर्मित होने के बाद अपने पेरेंट्स से चर्चा कर दर्शिका ने भारत लौटने का निर्णय लिया. परिजनों का कहना है कि, दुबई पहुंचने तक दर्शिका से संपर्क हो पाया था, लेकिन उसके बाद से लंबे समय से बात नहीं हो पाने से चिंता बढ़ने लगी थी.
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रूट के बदलने से भारी समस्या
फ्लाइट पहले ब्लैक सी से होकर आती थी, लेकिन वह रूट अभी उपयोग में नहीं होने से पोलैंड कीवाई ओर से फ्लाइट आ रही है. यही कारण है कि, देरी हो रही है. पहले मात्र 6 से 7 घंटे में इंडिया पहुंच जाते थे, अब ब्रेक जर्नी करनी पड़ रही है. दर्शिका के अनुसार, उन्हें बताया गया कि ब्लैक सी रुट पर रूस ने अपनी सबमरीन तैनात कर रखी है, इस कारण फ्लाइट का रूट बदलना पड़ा.
ऑनलाइन क्लास के निर्देश जारी
दर्शिका ने बताया कि, कालेज की ओर से यूक्रेन में ठहरे हुए छात्रों को ऑफलाइन तथा अपने देश पहुंच चुके छात्रों के लिए ऑनलाइन क्लास जारी रखने के निर्देश दिए गए हैं. बुधवार को दुबई एयरपोर्ट पर दर्शिका ने भी ऑनलाइन क्लास ज्वाइन की.
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पहला लक्ष्य कीव से छात्रों को बाहर करना
युद्ध जैसे हालात को लेकर अन्य देशों की उड़ानों के माध्यम से पहले छात्रों को समीपस्थ देशों के एयरपोर्ट पर भेजा जा रहा है, जहां कुछ समय इंतजार के बाद उन्हें अपने देश ले जाया जाएगा. दर्शिका ने बताया कि, इसी के चलते हमें यूक्रेन की राजधानी कीव से निकालकर पिछले 22 घंटे से दुबई में रोका गया. कुछ साथी छात्रों को उज्बेकिस्तान पर रोका गया है, जहां से उन्हें अपने देश भेजा जाएगा।
लग रहा है अधिक समय और रुपया भी
6 से 7 घंटों के सफर के बजाय 50 घंटे बीत जाने के बाद भी अपने देश पहुंचने की अनिश्चितता बनी हुई है. वहीं पहले जहां 30 से 35 हजार की हवाई टिकट की होता था, वहीं अब टिकट की कीमत 57 हजार चुकानी पड़ रही है.