खंडवा। मंडी एक्ट के विरोध में प्रदेश के सभी मंडी कर्मचारी हड़ताल पर हैं. जिले की अनाज मंडी में पिछले 7 दिनों से मंडी कर्मचारी धरने पर बैठे हैं. वहीं इन कर्मचारियों ने अब क्रमिक भूख हड़ताल शुरू कर दी है. कर्मचारियों का कहना हैं कि सरकार के द्वारा व्यापारियों को मंडी के बाहर टैक्स में छूट दिए जाने से किसान और व्यापारी दोनों मंडी में नहीं आ रहे हैं. जिसके चलते मंडी के राजस्व में बड़ी मात्रा में गिरावट आ गई है. इससे उनके वेतन पर सीधा असर पड़ रहा है और उनकी चिंताएं बढ़ गई हैं.
पूरे मध्यप्रदेश में संयुक्त संघर्ष मोर्चा मंडी के कर्मचारी हर जिले में मॉडल मंडी एक्ट का विरोध कर रहे हैं. इसके लिए कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. खंडवा जिले में पिछले 25 सितंबर से ये कर्मचारी हड़ताल पर हैं.
इन्हें 7 दिन का समय हो चुका है, वहीं कर्मचारी क्रमिक भूख हड़ताल पर चले गए हैं. मंडी के इन कर्मचारियों का कहना है कि शासन के द्वारा मंडी के बाहर व्यापारियों को बिना किसी शुल्क के किसानों से खरीदी करने की अनुमति मिल गई है, जिसके चलते व्यापारी और किसान दोनों ही मंडी नहीं आएंगे. ऐसे में मंडी के राजस्व में भारी कमी आ रही है.
जिसके चलते सभी मंडी कर्मचारियों के वेतनमान पर संकट आ पड़ा है. किसानों और व्यापारियों से लिए जाने वाले शुल्क से ही इन कर्मचारियों का वेतन आता है. ऐसे में इन्हें अपने वेतन पर खतरा मंडराता दिखाई दे रहा है.
खंडवा की अनाज मंडी के प्रभारी नारायण दशोरे ने कहा कि सरकार ने मंडी के बाहर व्यापारियों को किसानों की उपज खरीदी में टैक्स फ्री कर दिया है. जिसके चलते व्यापारी और किसान दोनों ही मंडी नहीं आ रहे हैं.
वहीं सरकार के इस फैसले से किसानों को भी भारी नुकसान हुआ है. इस सीजन में सोयाबीन और मक्का में सरकार के द्वारा घोषित समर्थन मूल्य पर किसानों को उनका भाव नहीं मिल रहा है, क्योंकि मंडी के बाहर व्यापारियों को किसान अपनी फसल बेच रहा है.
सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 3860 रूपए प्रति क्विंटल घोषित किया है. मंडी के बाहर इसे व्यापारी 2600-2800 रूपए प्रति क्विंटल खरीद रहे हैं. वहीं मक्का का समर्थन मूल्य 1860 रूपए प्रति क्विंटल घोषित किया है. जिसे व्यापारी 800-900 रूपए क्विंटल खरीद रहे हैं.