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श्री दादाजी धूनीवाले मंदिर में 75 सालों से सेवा कर रहे कोमल भाऊ का निधन

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Published : Feb 9, 2019, 3:39 PM IST

श्री दादाजी धूनीवाले मंदिर में 75 वर्षों से काम कर रहे कोमल भाऊ का 85 साल की उम्र में निधन हो गया. उनकी अंतिम यात्रा में लाखों की संख्या में लोग पहुंचे और उनकी मृत्यु को समाज की बड़ी क्षति बताया.

कोमल भाऊ की अंतिम रैली

खंडवा। देश-प्रदेश में प्रसिद्ध श्री दादाजी धूनीवाले मंदिर में 75 वर्षों से काम कर रहे कोमल भाऊ का 85 साल की उम्र में गुरुवार शाम खंडवा में निधन हो गया. कुछ दिनों से खंडवा के अस्पताल में ही उनका इलाज चल रहा था. कोमल भाऊ के सानिध्य में ही पटेल सेवा समिति का गठन हुआ.

कोमल भाऊ की अंतिम रैली
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पटेल सेवा समिति ने दादाजी के भक्तों के लिए धर्मशालाएं और कई कल्याण के काम किए. दादाजी मंदिर स्थित दादा घाट पर शुक्रवार को उनका अंतिम संस्कार किया गया. उनकी अंतिम यात्रा में शहर के भक्त समेत मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के कई लोग शामिल हुए. दरअसल कोमल भाऊ 7 साल की उम्र में अपनी माता के साथ साईंखेड़ा से धूनीवाले दादाजी के दर्शन के लिए आए थे. उस समय छोटे दादाजी ने उनके सेवाभाव को देखकर अपना शिष्य बना लिया. वे 75 वर्षों तक वहीं सेवा करते रहे. उन्होंने जीवनपर्यंत ब्रह्मचर्य का पालन किया.


दादाजी मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी सुभाष नागोरी ने कोमल भाऊ के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि कोमल भाऊ धूनीवाले दादाजी के समय के एकमात्र भक्त थे, जिन्हें दादाजी ने अपनाया और कोमल भाऊ ने भी पूरे समर्पण से दादाजी महाराज और छोटे दादाजी की सेवा की. बैतूल के लक्ष्मीकांत सोनपुर ने बताया कि दादाजी के बाद हम कोमल भाऊ में ही उनका स्वरूप देखते हैं. उनके आने से बैतूल में एक मेला सा लग जाता था. उनके चले जाने से बहुत बड़ी क्षति हुई है.

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खंडवा। देश-प्रदेश में प्रसिद्ध श्री दादाजी धूनीवाले मंदिर में 75 वर्षों से काम कर रहे कोमल भाऊ का 85 साल की उम्र में गुरुवार शाम खंडवा में निधन हो गया. कुछ दिनों से खंडवा के अस्पताल में ही उनका इलाज चल रहा था. कोमल भाऊ के सानिध्य में ही पटेल सेवा समिति का गठन हुआ.

कोमल भाऊ की अंतिम रैली
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पटेल सेवा समिति ने दादाजी के भक्तों के लिए धर्मशालाएं और कई कल्याण के काम किए. दादाजी मंदिर स्थित दादा घाट पर शुक्रवार को उनका अंतिम संस्कार किया गया. उनकी अंतिम यात्रा में शहर के भक्त समेत मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के कई लोग शामिल हुए. दरअसल कोमल भाऊ 7 साल की उम्र में अपनी माता के साथ साईंखेड़ा से धूनीवाले दादाजी के दर्शन के लिए आए थे. उस समय छोटे दादाजी ने उनके सेवाभाव को देखकर अपना शिष्य बना लिया. वे 75 वर्षों तक वहीं सेवा करते रहे. उन्होंने जीवनपर्यंत ब्रह्मचर्य का पालन किया.


दादाजी मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी सुभाष नागोरी ने कोमल भाऊ के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि कोमल भाऊ धूनीवाले दादाजी के समय के एकमात्र भक्त थे, जिन्हें दादाजी ने अपनाया और कोमल भाऊ ने भी पूरे समर्पण से दादाजी महाराज और छोटे दादाजी की सेवा की. बैतूल के लक्ष्मीकांत सोनपुर ने बताया कि दादाजी के बाद हम कोमल भाऊ में ही उनका स्वरूप देखते हैं. उनके आने से बैतूल में एक मेला सा लग जाता था. उनके चले जाने से बहुत बड़ी क्षति हुई है.

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Intro:खंडवा - प्रदेश और देश में प्रसिद्ध श्री दादाजी धूनीवाले मंदिर में 75 वर्षो से सेवा कार्य कर रहे कोमल भाऊ का 85 साल की उम्र में गुरुवार शाम खंडवा में निधन हो गया। कुछ दिनों से खंडवा के अस्पताल में ही उनका इलाज चल रहा था। कोमल भाऊ के सानिध्य में पटेल सेवा समिति का गठन हुआ। इस समिति ने दादाजी के भक्तों के लिए धर्मशालाएं और कई कल्याण के काम किये। आज दादाजी मंदिर स्थित दादा घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनकी अंतिम यात्रा में शहर के दादाजी भक्त समेत मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के कई भक्त शामिल हुए।


Body:दरअसल कोमल भाऊ 7 साल की उम्र में अपनी माता के साथ साईंखेड़ा से धूनीवाले दादाजी के दर्शन के लिए आये थे। उस समय छोटे दादाजी ने उनके सेवाभाव को देखकर अपना शिष्य बना लिया और उनकी माँ से कहा इस मोड़ा को मुझे दे दो यह मेरे पास रहेगा छोटे दादाजी प्यार से अपना भोजन "टिक्कड़" खिलाते थे। इसके बाद कोमल भाऊ ने अपना पूरा जीवन दादाजी की सेवा में समर्पित कर दिया। वे 75 वर्षो तक सेवा करते रहे। उन्होंने जीवनपर्यंत ब्रह्मचर्य का पालन किया।


Conclusion:दादाजी मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी सुभाष नागोरी ने कोमल भाऊ के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया उन्होंने कहा कि कोमल भाऊ धूनीवाले दादाजी के समय के एकमात्र भक्त थे जिन्हें दादाजी ने अपनाया औए कोमल भाऊ ने भी पूरे समर्पण से दादाजी महाराज और छोटे दादाजी की सेवा की। खंडवा के दादाजी धाम का प्रसार प्रचार करने में भाऊ की बड़ी भूमिका थी। वही दादाजी के वर्धा महाराष्ट्र से आये एक भक्त ने बताया कि कोमल भाऊ को हम संत मानते थे उन्होंने महाराष्ट्र में दादाजी की बहुत सेवा और यहां बहुत सुविधाएं प्रदान की है। बैतूल के लक्ष्मीकांत सोनपुर ने बताया कि दादाजी के बाद हम कोमल भाऊ में ही उनका स्वरूप देखते है। उनके आने से बैतूल में एक मैला सा लग जाता था। उनके चले जाने से बहुत बड़ी क्षति हुई है।
byte - सुभाष नागौरी , ट्रस्टी दादाजी मंदिर
byte - लक्ष्मीकांत सोनपुरे भक्त
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