खंडवा। कोरोना ने लोगों की जिंदगी में बड़े बदलाव किए हैं. संक्रमण के शिकार लोगों के सामने जिंदगी में रोग और समाज दोनों से लड़ने और जंग जीतने की चुनौति होती है. जिंदादिल इसे बड़ी आसानी से अपने काबू में करते हैं तो अक्सर लोगों में तनाव भी चरम पर होता है. ईटीवी भारत आपको ऐसे ही जिंदादिल लोगों की कहानी बता रहा है, जिन्होने कोरोना पर फतह हासिल की. साथ ही समाज के दोहरेपन को भी खारिज कर दिया.
कोरोना ने बदला जीवन
देश में 6 महीने से वैश्विक महामारी कोरोना ने अपने पैर पसार रखे हैं. ऐसे में कोरोना से संक्रमित लोगों में कई तरह के दुष्प्रभाव दिख रहे हैं. कोरोना से संक्रमित मरीजों में अमूमन एक तनाव देखा जा रहा है जिससे कि संक्रमित व्यक्ति के जीवन में कई तरह की समस्याएं खड़ी हो रही है. ईटीवी भारत की टीम ने ऐसे ही कोरोना संक्रमित लोगों से मिलकर उनका अनुभव साझा किया. आखिर कैसे कोरोना संक्रमित लोगों ने संक्रमण काल झेला और तनाव के बावजूद जीवन के बदलाव को जिया हैं.
कोरोना लड़कर जीती जंग
खंडवा के संतोष जैन, मई महीने में कोरोना से संक्रमित हुए. बाद में पूरा परिवार इसकी चपेट में आ गया. बेटे गौरव जैन भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए. मगर इनके सामने चुनौति कोरोना से जंग और साथ ही गौरव की गर्भवती पत्नी की सकुशल डिलीवरी थी. परिवार से लोगों ने सामाजिक दूरी बनाई लेकिन हौसले और सकारात्मक सोच से ये जंग इन्होने जीत ली. तमाम दुश्वारियों के बावजूद गौरव की पत्नी की सकुशल डिलीवरी हुई. हालांकि उन्होंने तनाव महसूस नहीं किया. लेकिन ऐसे महत्वपूर्ण समय में परिवार से दूर रहना थोड़ा मायूस करने जैसा था.
कोरोना खौफ आज भी कम नहीं. मगर जब संतोष पॉजिटिव आए तब प्रशासन का रवैया भी बेहद सख्त था. उन्होने कोरोना से 10 दिनों तक जंग लड़ी और जीतकर घर लौटे. उनके लिए ये बेहद कठिन समय था. परिवार से दूर मन में तरह-तरह के ख्याल और शंकाएं थी. लेकिन मानसिक दृढ़ता से उन्होंने 66 की उम्र में कोरोना को मात दिया.
कोरोना पर मनोचिकित्सक की सलाह
कोरोना से जंग लड़ रहे लोगों के सामने 14 दिनों का क्वारंटाइन पीरियड भी तनाव देने वाला होता है. मनोचिकित्सक ऐसे समय में लोगों को खास सलाह देते हैं जो तनाव और व्यक्तिगत बदलाव से उबरने में काफी मददगार होता है. कोरोना संक्रमितों के लिए कुछ खास टिप्स भी हैं जो इस दौरान लोगों को सकारात्मक रहने में मदद करता है. व्यस्त रहना चुनौतिपूर्ण होता है. लेकिन नामुमकिन नहीं.
क्या करें, क्या ना करें
- ज्यादा से ज्यादा छोटे-मेटे घरेलू कामों में खुद को एनगेज रखें
- पॉजिटिविटी को बढ़ावा देने वाले किताबों को पढ़ें
- टीवी का भी सहारा लिया जा सकता है
- नेट पर कॉमेडी फिल्में देखी जा सकती है
- मोटिवेशनल स्पिकर्स को भी इंटरनेट पर सर्च कर सकते हैं
- कोरोना से डरें नहीं बल्कि डटकर मुकाबला करें
- जैसे ही तनाव शुरू हो खुशमिजाज बने रहने की कोशिश करें
- अपने करीबी लोगों से फोन पर बात करें. ये मानसिक संबल देगा
मनोवैज्ञानिक ऐसे लोगों के लिए क्या सलाह देता हैं. जिससे कि ऐसे लोग तनाव और व्यक्तिगत बदलाव से बेहतर तरीके से उबर सकें. किस तरह कोरोना से संक्रमित व्यक्ति अपने आप को मानसिक दृढ़ता अपनाकर बचा सकता हैं.
कोरोना से घबराए नहीं लड़े और बीमारी को हराएं
तनाव धीरे धीरे डिप्रेशन का रूप ले सकता है. इसलिए जोखिम लेने से बेहतर है कोरोना से ठीक हो चुके लोगों के अनुभव पढ़े. कोविड-19 महामारी से घबराए नहीं, भारत में इसकी मृत्यु दर कम हैं. अगर फिर भी कोई कोरोना संक्रमण का शिकार हो जाता हैं. तो उसे सकारात्मक सोच के साथ इस बीमारी से लड़ना चाहिए. जैसे संतोष के परिवार ने लड़ा और कोरोना से हारे नहीं बल्कि हराया.