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करोड़ों की पेयजल योजना में रोड़ा बना भ्रष्टाचार, 6 साल से साफ पानी के लिए तरस रहे लोग

खंडवा जिले की नगर परिषद पंधाना में लोगों को पेयजल के परेशान न होना पड़े इसलिए साल 2014 में मुख्यमंत्री जल आवर्धन योजना की शुरुआत की गई थी. करीब 6 साल हो जाने के बाद भी इस योजना का काम पूरा नहीं हो पाया है, जो कि एक साल में पूरा हो जाना था. आखिर क्यों नहीं हो पाया काम पूरा, पढ़ें पूरी खबर..

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पेयजल योजना चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट
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Published : Oct 17, 2020, 5:02 PM IST

Updated : Oct 17, 2020, 8:53 PM IST

खंडवा। जनता पानी के लिए न तरसे, उन्हें पानी के लिए परेशान न होना पड़े, इसलिए लाखों-करोड़ों की योजनाएं बनाई जाती हैं, जिससे जिले में पानी की आपूर्ति की जाए. लेकिन खंडवा जिले में करोड़ों रुपए पेयजल योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई हैं. नगर परिषद पंधाना में 2014 में स्वीकृत हुई मुख्यमंत्री जल आवर्धन (पेयजल योजना) योजना को 6 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन इस योजना का काम आज भी पूरा नहीं हो पाया है.

पेयजल योजना चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट

स्वच्छ पेयजल के लिए शुरू की गई थी योजना

पंधाना नगर के लोगों को स्वच्छ पीने का पानी मिल सके इसके लिए 2014 में मुख्यमंत्री जल आवर्धन योजना की शुरुआत की गई थी. इस योजना का काम एक साल में पूरा हो जाना था, लेकिन ये योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई. निर्माण कंपनी सुनियोजित कार्ययोजना के अभाव के कारण कार्य में लापरवाही बरती गई.

12 करोड़ 25 लाख रुपए की दी गई थी स्वीकृति

जिले की पंधाना तहसील मुख्यालय की आबादी करीब 15 हजार के आस-पास है. नगर को साफ और स्वच्छ पेयजल की सौगात मिले, इसके लिए साल 2014 में तत्कालीन नगर परिषद ने भगवंत सागर बांध (सुक्ता) नदी से पाइपलाइन डालकर घर-घर तक पानी पहुंचाने की योजना मुख्यमंत्री जल आवर्धन योजना के लिए 12 करोड़ 25 लाख में स्वीकृत की गई थी.

घर-घर मिलना था पानी

इस योजना में सुक्ता नदी से पानी लेकर उसे ट्रीट करके पाईप लाइन के जरिए लोगों को घर-घर पानी मिलना था. लेकिन 2014 से 2016 तक इस योजना का काम शुरू नहीं किया गया. विभागीय खामियों और जनप्रतिनिधियों की आपसी खींचतान के चलते यह योजना दो साल तक अधर में अटकी पड़ी रही. फिर कहीं जाकर साल 2016 में इसका काम शुरू हुआ.

ये भी पढ़ें- उज्जैन शराब कांड में SIT को बड़ी सफलता, 16 मौतों के गुनहगार गब्बर-सिकंदर गिरफ्तार

नागपुर की कंपनी कर रही प्रोजेक्ट को पूरा

नागपुर की नेशनल इंजीनियरिंग कंपनी ने 2016 में इस काम को शुरू किया था, लेकिन उसमें अव्यवस्थित रूप से पाइप डालने के लिए पाइपलाइन खोद दी गई. जबकि इस योजना में सबसे पहले सुक्ता नदी में इंटेक वैल बनाने चाहिए थे. वहीं 2016 से लेकर 2017 तक योजना को पूर्ण हो जाना चाहिए था. लेकिन यह योजना वर्तमान समय में अपने मूर्त रूप में नहीं आ पाई हैं.

90 प्रतिशत काम हो चुका है पूरा

वर्तमान नगर परिषद CMO मंशाराम बड़ोले का कहना हैं कि इस योजना को एक साल में पूरा हो जाना था, लेकिन तत्कालीन नगर परिषद ने किस तरह से काम कराया इसकी मुझे जानकारी नहीं हैं. फिलहाल इस योजना का 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. इस योजना में ब्रिज बनाना और इंटेक वैल बनाने का काम बाकी है. इंटेक वैल के लिए शासन से अनुमति पत्र मांगा गया है. आने वाली गर्मियों में इंटेक वैल बनाने का काम शुरू किया जाएगा.

अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक भ्रष्टाचार की आंच

  • स्थानीय लोगों का कहना है कि इस योजना में भारी भ्रष्टाचार हुआ है. इस भ्रष्टाचार की आंच अधिकारियों से लेकर के स्थानीय जनप्रतिनिधियों तक पहुंची है. फिलहाल पंधाना नगर परिषद का कार्यकाल पूरा हो चुका है और अब नए चुनाव होना है. इसके चलते इस योजना का काम भी अधूरा रह गया है.
  • नगर परिषद पंधाना की पिछली परिषद में कांग्रेस के पार्षद वकील पठान ने इस पेयजल योजना में भारी भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि 2015-2020 के कार्यकाल में परमानंद कुशवाहा अध्यक्ष थे और सभी 15 पार्षद बीजेपी के ही थे. यही नहीं विधायक भी बीजेपी के ही थे. राज्य में भी बीजेपी की सरकार थी. इसके बावजूद यह योजना पूरी नहीं हो पाई. उन्होंने परिषद पर योजना में जमकर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया है. साथ ही कहा कि निर्माण करने वाली नागपुर की कंपनी ने भी कार्य में लापरवाही और सुनियोजित तरीके से कार्य नहीं किया है.
  • स्थानीय लोग पंधाना नगर परिषद द्वारा शुरू कराई गई इस पेयजल की योजना से संतुष्ट नहीं हैं. लोगों का कहना है कि यह योजना एक साल में पूरी हो जानी चाहिए थी लेकिन पेयजल योजना तो पूरी नहीं हुई बल्कि नगर की सड़कें पूरी तरह से खोद दी गई हैं और अव्यवस्थित रूप से पाइप लाइन डाली गई है. जिसका परिणाम यह हुआ कि उन लाइनों में से पानी नहीं मिल रहा है.

ये भी पढ़ें- कोरोना काल में नवरात्र के दौरान खुला शारदा माता का मंदिर, मैहर प्रशासन के पुख्ता इंतजाम के बावजूद गाइडलाइन का पालन नहीं

  • लोगों का कहना है कि समय पर सही काम नहीं किया गया. इस योजना में सबसे पहले भगवंत सागर बांध (सुक्ता नदी) में इंटेक वैल बनना था. इसे ना बनाते हुए पहले शहर की कॉलोनियों और मोहल्ले में पाइपलाइन डालने के लिए खुदाई करा दी गई. यही नहीं चार साल से इंटेकवेल भी नहीं बन पाया है. योजना में देरी होने से अब लागत राशि में वृद्धि हो गई है. यही वजह है कि इंटेक वैल बनाने के लिए नगर परिषद मध्यप्रदेश शासन से अनुमित के साथ-साथ और राशि की भी मांग कर रहा है.
  • बीजेपी की परिषद के कार्यकाल में ही पार्षद रहे मुकेश प्रजापति का कहना है कि इस योजना में कई तरह की अनियमितताएं हुई हैं. संबंधित कंपनी ने भी कार्य को करने में बड़े पैमाने पर लापरवाही बरती है. इसलिए आज यह हाल है कि पंधाना नगर में पाइप लाइन डालने के लिए जगह-जगह सड़कें खुदी पड़ी हैं. इसके बावजूद लोगों को साफ पेयजल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. इंटेक वैल बनना बाकी है, जिसकी अनुमति नहीं मिली है.

करोड़ों की महत्वाकांक्षी पेयजल योजना के लिए पंधाना विधायक राम दांगोरे निर्माण कंपनी पर कार्रवाई करने की बात जरूर कह रहे हैं. लेकिन संबंधित कंपनी का ठेकेदार कहां है, इस बात की जानकारी किसी को नहीं है. ऐसे में लोगों के स्वच्छ पेयजल एक सपना ही बनकर रह गया है. साथ ही साफ तौर पर ये साबित होता कि लोगों को अभी और लंबा इंतजार करना पड़ सकता है.

खंडवा। जनता पानी के लिए न तरसे, उन्हें पानी के लिए परेशान न होना पड़े, इसलिए लाखों-करोड़ों की योजनाएं बनाई जाती हैं, जिससे जिले में पानी की आपूर्ति की जाए. लेकिन खंडवा जिले में करोड़ों रुपए पेयजल योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई हैं. नगर परिषद पंधाना में 2014 में स्वीकृत हुई मुख्यमंत्री जल आवर्धन (पेयजल योजना) योजना को 6 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन इस योजना का काम आज भी पूरा नहीं हो पाया है.

पेयजल योजना चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट

स्वच्छ पेयजल के लिए शुरू की गई थी योजना

पंधाना नगर के लोगों को स्वच्छ पीने का पानी मिल सके इसके लिए 2014 में मुख्यमंत्री जल आवर्धन योजना की शुरुआत की गई थी. इस योजना का काम एक साल में पूरा हो जाना था, लेकिन ये योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई. निर्माण कंपनी सुनियोजित कार्ययोजना के अभाव के कारण कार्य में लापरवाही बरती गई.

12 करोड़ 25 लाख रुपए की दी गई थी स्वीकृति

जिले की पंधाना तहसील मुख्यालय की आबादी करीब 15 हजार के आस-पास है. नगर को साफ और स्वच्छ पेयजल की सौगात मिले, इसके लिए साल 2014 में तत्कालीन नगर परिषद ने भगवंत सागर बांध (सुक्ता) नदी से पाइपलाइन डालकर घर-घर तक पानी पहुंचाने की योजना मुख्यमंत्री जल आवर्धन योजना के लिए 12 करोड़ 25 लाख में स्वीकृत की गई थी.

घर-घर मिलना था पानी

इस योजना में सुक्ता नदी से पानी लेकर उसे ट्रीट करके पाईप लाइन के जरिए लोगों को घर-घर पानी मिलना था. लेकिन 2014 से 2016 तक इस योजना का काम शुरू नहीं किया गया. विभागीय खामियों और जनप्रतिनिधियों की आपसी खींचतान के चलते यह योजना दो साल तक अधर में अटकी पड़ी रही. फिर कहीं जाकर साल 2016 में इसका काम शुरू हुआ.

ये भी पढ़ें- उज्जैन शराब कांड में SIT को बड़ी सफलता, 16 मौतों के गुनहगार गब्बर-सिकंदर गिरफ्तार

नागपुर की कंपनी कर रही प्रोजेक्ट को पूरा

नागपुर की नेशनल इंजीनियरिंग कंपनी ने 2016 में इस काम को शुरू किया था, लेकिन उसमें अव्यवस्थित रूप से पाइप डालने के लिए पाइपलाइन खोद दी गई. जबकि इस योजना में सबसे पहले सुक्ता नदी में इंटेक वैल बनाने चाहिए थे. वहीं 2016 से लेकर 2017 तक योजना को पूर्ण हो जाना चाहिए था. लेकिन यह योजना वर्तमान समय में अपने मूर्त रूप में नहीं आ पाई हैं.

90 प्रतिशत काम हो चुका है पूरा

वर्तमान नगर परिषद CMO मंशाराम बड़ोले का कहना हैं कि इस योजना को एक साल में पूरा हो जाना था, लेकिन तत्कालीन नगर परिषद ने किस तरह से काम कराया इसकी मुझे जानकारी नहीं हैं. फिलहाल इस योजना का 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. इस योजना में ब्रिज बनाना और इंटेक वैल बनाने का काम बाकी है. इंटेक वैल के लिए शासन से अनुमति पत्र मांगा गया है. आने वाली गर्मियों में इंटेक वैल बनाने का काम शुरू किया जाएगा.

अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक भ्रष्टाचार की आंच

  • स्थानीय लोगों का कहना है कि इस योजना में भारी भ्रष्टाचार हुआ है. इस भ्रष्टाचार की आंच अधिकारियों से लेकर के स्थानीय जनप्रतिनिधियों तक पहुंची है. फिलहाल पंधाना नगर परिषद का कार्यकाल पूरा हो चुका है और अब नए चुनाव होना है. इसके चलते इस योजना का काम भी अधूरा रह गया है.
  • नगर परिषद पंधाना की पिछली परिषद में कांग्रेस के पार्षद वकील पठान ने इस पेयजल योजना में भारी भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि 2015-2020 के कार्यकाल में परमानंद कुशवाहा अध्यक्ष थे और सभी 15 पार्षद बीजेपी के ही थे. यही नहीं विधायक भी बीजेपी के ही थे. राज्य में भी बीजेपी की सरकार थी. इसके बावजूद यह योजना पूरी नहीं हो पाई. उन्होंने परिषद पर योजना में जमकर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया है. साथ ही कहा कि निर्माण करने वाली नागपुर की कंपनी ने भी कार्य में लापरवाही और सुनियोजित तरीके से कार्य नहीं किया है.
  • स्थानीय लोग पंधाना नगर परिषद द्वारा शुरू कराई गई इस पेयजल की योजना से संतुष्ट नहीं हैं. लोगों का कहना है कि यह योजना एक साल में पूरी हो जानी चाहिए थी लेकिन पेयजल योजना तो पूरी नहीं हुई बल्कि नगर की सड़कें पूरी तरह से खोद दी गई हैं और अव्यवस्थित रूप से पाइप लाइन डाली गई है. जिसका परिणाम यह हुआ कि उन लाइनों में से पानी नहीं मिल रहा है.

ये भी पढ़ें- कोरोना काल में नवरात्र के दौरान खुला शारदा माता का मंदिर, मैहर प्रशासन के पुख्ता इंतजाम के बावजूद गाइडलाइन का पालन नहीं

  • लोगों का कहना है कि समय पर सही काम नहीं किया गया. इस योजना में सबसे पहले भगवंत सागर बांध (सुक्ता नदी) में इंटेक वैल बनना था. इसे ना बनाते हुए पहले शहर की कॉलोनियों और मोहल्ले में पाइपलाइन डालने के लिए खुदाई करा दी गई. यही नहीं चार साल से इंटेकवेल भी नहीं बन पाया है. योजना में देरी होने से अब लागत राशि में वृद्धि हो गई है. यही वजह है कि इंटेक वैल बनाने के लिए नगर परिषद मध्यप्रदेश शासन से अनुमित के साथ-साथ और राशि की भी मांग कर रहा है.
  • बीजेपी की परिषद के कार्यकाल में ही पार्षद रहे मुकेश प्रजापति का कहना है कि इस योजना में कई तरह की अनियमितताएं हुई हैं. संबंधित कंपनी ने भी कार्य को करने में बड़े पैमाने पर लापरवाही बरती है. इसलिए आज यह हाल है कि पंधाना नगर में पाइप लाइन डालने के लिए जगह-जगह सड़कें खुदी पड़ी हैं. इसके बावजूद लोगों को साफ पेयजल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. इंटेक वैल बनना बाकी है, जिसकी अनुमति नहीं मिली है.

करोड़ों की महत्वाकांक्षी पेयजल योजना के लिए पंधाना विधायक राम दांगोरे निर्माण कंपनी पर कार्रवाई करने की बात जरूर कह रहे हैं. लेकिन संबंधित कंपनी का ठेकेदार कहां है, इस बात की जानकारी किसी को नहीं है. ऐसे में लोगों के स्वच्छ पेयजल एक सपना ही बनकर रह गया है. साथ ही साफ तौर पर ये साबित होता कि लोगों को अभी और लंबा इंतजार करना पड़ सकता है.

Last Updated : Oct 17, 2020, 8:53 PM IST
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