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रिटायर्ड शिक्षक के शव को मेडिकल कॉलेज को किया गया दान, मौत से पहले की थी देहदान की घोषणा

खंडवा में सेवानिवृत्त शिक्षक हुकुमचंद महाजन ने कुछ दिन पहले देहदान करने का संकल्प लिया था, जिसके बाद उनकी मौत हो गई और उनके शव को अंतिम संस्कार न कर मेडिकल स्टूडेंट्स के रिसर्च के लिए मेडिकल कॉलेज ले जाया गया.

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सेवानिवृत्त शिक्षक ने देहदान करने का लिया था संकल्प
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Published : Jan 23, 2020, 10:23 PM IST

Updated : Jan 24, 2020, 3:37 PM IST

खंडवा। सेवानिवृत्त शिक्षक हुकुमचंद महाजन ने इस साल ही देहदान की घोषणा की थी. बुधवार को उनकी मौत होने के बाद घोषणा के मुताबिक परिवार के सदस्यों ने उनके शव का अंतिम संस्कार न कर उसे मेडिकल कालेज ले गए. ताकि मौत के बाद भी उनकी बॉडी मेडिकल स्टूडेंट्स के रिसर्च के काम आ सके.

सेवानिवृत्त शिक्षक ने देहदान करने का लिया था संकल्प

खंडवा के सेवानिवृत्त शिक्षक हुकुमचंद महाजन ने जिंदगी भर शिक्षा प्रदान की, और मरने के बाद एक संदेश छोड़कर चले गए. संदेश था कि देहदान हुकुमचंद ने नए साल में यह संकल्प लिया था. जिसके बाद उनकी मृत्यु के बाद परिजनों ने संकल्प को पूरा करते हुए शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय खण्डवा में मेडिकल स्टूडेंट्स के रिसर्च के लिए देहदान किया.

मृतक के पोते प्रखर ने बताया की हमारे लिए ये गौरव की बात है कि हमारे नानाजी ने देहदान करने का संकल्प लिया. नानाजी का शव मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स के काम आयेगा .इससे हम सभी परिजन गौरवान्वित है. इससे और लोगों को भी प्रेरणा मिलेगी.

मेडिकल कालेज के डॉक्टर प्रीत कुमार गोहिया ने बताया की लोगों का ऐसा मानना है कि जो पैदा हुआ है उसकी अंतिम यात्रा श्मशान की और जाए . लेकिन आदमी पैदा हुआ है तो उसे एक दिन तो जाना ही है . पर जब शव यात्रा यहां पहुंचती है , तो हमे बड़ा हर्ष महसूस होता है की वे सम्मान पूर्वक यहां शव को लेकर परम कार्य करने लेकर आते हैं . जिसमे हम सहयोगी बन रहे है .

खंडवा। सेवानिवृत्त शिक्षक हुकुमचंद महाजन ने इस साल ही देहदान की घोषणा की थी. बुधवार को उनकी मौत होने के बाद घोषणा के मुताबिक परिवार के सदस्यों ने उनके शव का अंतिम संस्कार न कर उसे मेडिकल कालेज ले गए. ताकि मौत के बाद भी उनकी बॉडी मेडिकल स्टूडेंट्स के रिसर्च के काम आ सके.

सेवानिवृत्त शिक्षक ने देहदान करने का लिया था संकल्प

खंडवा के सेवानिवृत्त शिक्षक हुकुमचंद महाजन ने जिंदगी भर शिक्षा प्रदान की, और मरने के बाद एक संदेश छोड़कर चले गए. संदेश था कि देहदान हुकुमचंद ने नए साल में यह संकल्प लिया था. जिसके बाद उनकी मृत्यु के बाद परिजनों ने संकल्प को पूरा करते हुए शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय खण्डवा में मेडिकल स्टूडेंट्स के रिसर्च के लिए देहदान किया.

मृतक के पोते प्रखर ने बताया की हमारे लिए ये गौरव की बात है कि हमारे नानाजी ने देहदान करने का संकल्प लिया. नानाजी का शव मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स के काम आयेगा .इससे हम सभी परिजन गौरवान्वित है. इससे और लोगों को भी प्रेरणा मिलेगी.

मेडिकल कालेज के डॉक्टर प्रीत कुमार गोहिया ने बताया की लोगों का ऐसा मानना है कि जो पैदा हुआ है उसकी अंतिम यात्रा श्मशान की और जाए . लेकिन आदमी पैदा हुआ है तो उसे एक दिन तो जाना ही है . पर जब शव यात्रा यहां पहुंचती है , तो हमे बड़ा हर्ष महसूस होता है की वे सम्मान पूर्वक यहां शव को लेकर परम कार्य करने लेकर आते हैं . जिसमे हम सहयोगी बन रहे है .

Intro:खंडवा। खंडवा में सेवानिवृत्त शिक्षक हुकुमचंद महाजन ने इस साल ही देहदान की घोषणा की थी. बुधवार को उनकी मौत होने के बाद घोषणा के मुताबिक परिवार के सदस्यों द्वारा उनके शव का अंतिम संस्कार न कर उसे मेडिकल कालेज ले जाया गया. ताकि मौत के बाद भी उनका बॉडी मेडिकल स्टूडेंट्स के रिसर्च के काम आए.

Body:खंडवा के सेवानिवृत्त शिक्षक हुकुमचंद महाजन जिन्होंने उम्रभर शिक्षा प्रदान की। वे मरने के बाद भी समाज के लिए संदेश छोड़कर चले गए। जिनका अंतिम सन्देश था देहदान का। जिन्होने नव वर्ष में देहदान का संकल्प लिया था। जिनके स्वर्गवासी होने पर उनके परिजनों ने संकल्प को पूरा करते हुए शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय खण्डवा में मेडिकल स्टूडेंट्स के रिसर्च के लिए देहदान किया।यही वजह रही कि हुकुमचंद महाजन की शवयात्रा श्मशान घाट पहुंचने की बजाय मेडिकल कालेज पहुंची।


मृतक के पोते प्रखर ने बताया की हमारे लिए यह गौरव की बात है कि हमारे नानाजी ने देहदान करने का संकल्प लिया , नानाजी का शव मेडिकल कालेज के स्टूडेंट्स के काम आयेगा .इससे हम सभी परिजन गौरवान्वित है . इससे और लोगों को भी प्रेरणा मिलेगी.

Byte - प्रखर, परिजन

नेत्रदान एवं देहदान जनजाग्रति समिति खंडवा के नारायण बाहेती ने बताया की हुकुमचंद महाजन ने 1 जनवरी 2020 को नेत्रदान देहदान जन जागृति समिति को देहदान घोषणा पत्र भर कर दिया था . उनके निधन उपरांत उनकी देह को गुरुवार सुबह एकता नगर स्थित उनके निवास स्थान से शव यात्रा के रूप में मेडिकल कॉलेज ले जाया गया. जहां मेडिकल कालेज के डीन और प्रोफेसर को देहदान किया. हमारे द्वारा विभिन्न धार्मिक आयोजनों में जाकर लोगो को नेत्रदान और देहदान हेतु प्रेरित किया जाता है . इसके पूर्व चार शवों का देहदान खंडवा मेडिकल कालेज को दिया जा चुका है. और यह पांचवां देहदान है . 

Byte - नारायण बाहेती, नेत्रदान एवं देहदान जनजाग्रति समिति खंडवा।

 Conclusion:मेडिकल कालेज के डॉक्टर प्रीत कुमार गोहिया ने बताया लोगों का ऐसा मानना है कि जो पैदा हुआ है उसकी अंतिम यात्रा श्मशान की और जाए . लेकिन आदमी पैदा हुआ है तो उसे एक दिन तो जाना ही है . लेकिन जब शव यात्रा यहाँ पहुँचती है , तो हमे बड़ा हर्ष महसूस होता है की वे सम्मान पूर्वक यहाँ शव को लेकर परम कार्य करने लेकर आते है . जिसमे हम सहयोगी बन रहे है . 

Byte - डॉ प्रीत कुमार गोहिया, प्रोफ़ेसर मेडिकल कॉलेज खंडवा।
Last Updated : Jan 24, 2020, 3:37 PM IST
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