खंडवा। कहते हैं हौसले और हिम्मत से हर जंग जीती जा सकती है. क्योंकि इंसान का आत्मविश्वास ही उसकी सबसे बड़ी ताकत होती है. खंडवा जिले के आदिवासी विकास खंड देवली कला गांव में रहने वाली 18 साल की वर्षा काजले भी हौसले और हिम्मत की ऐसी मिसाल है. जिसने दो बार टीबी जैसी गंभीर और घातक बीमारी को मात दी है. वर्षा अब लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरुक कर रही है.
वर्षा काजले टीबी यानी ट्यूबर क्युलोसिस से दो बार संक्रमित हो चुकी हैं. लेकिन उसने टीबी के खिलाफ अपना जुनून और जज्बा दिखाते हुए इसे खत्म कर दिया. यह बीमारी हर किसी को हो जाती है. लेकिन कई लोग इसके प्रति जागरुक नहीं होते. ऐसे में उसने आस-पास के सभी गांवों में साइकिल से घूम घूम कर टीबी से पीड़ित लोगों को जागरुक करने का काम शुरु कर दिया.
घर-घर जाकर लोगों को जागरुक कर रही वर्षा
वर्षा कहती हैं कि उसने टीबी के दर्द को सहा है. आदिवासी क्षेत्रों में यह बीमारी कई लोगों को होती है. इसलिए वह नहीं चाहती कि इस बीमारी से लोग अपनी जान गवाएं. इसलिए वह लोगों को जागरुक करने के काम में जुटी हैं. वर्षा के इस काम में ग्रामीण भी उसकी पूरी मदद कर रहे हैं. ताकि लोगों में टीबी के प्रति जागरुकता आ सके.
खालवा स्वास्थ्य केंद्र के बीएमओ डॉ शैलेंद्र कटारिया ने बताया कि वर्षा टीबी से ग्रसित हो गई थी. लेकिन ठीक होने के बाद उसने अचानक इलाज बंद कर दिया. इसलिए उसे दोबारा टीबी हो गई. यही वजह है कि वह लोगों को जागरुक करने में जुटी है. टीबी जैसी बीमारी में लापरवाही न बरतें.
वाकई लोगों को टीबी के प्रति जागरुक करने की वर्षा की यह पहल काबिले तारीफ हैं. क्योंकि टीबी एक संक्रामक बीमारी है. इस बीमारी का सबसे अधिक प्रभाव इंसान के फेफड़ों पर होता है. फेफड़ों के अलावा ब्रेन, यूट्रस लीवर, और गले में भी हो सकती है. जहां सही इलाज न मिलने पर इंसान की मौत भी हो जाती है. लेकिन वर्षा इस बीमारी से सभी को बचाने में जुटी है.