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राजस्थान के कोटा में नवजातों की मौत के बाद खंडवा के एसएनसीयू के हाल, बीते एक साल के दौरान 245 नवजातों की मौत

स्वास्थ्य विभाग के तमाम कोशिशों के बावजूद बीते 1 साल में जिले के एसएनसीयू में 245 नवजात दम तोड़ चुके हैं. सालभर के इन आंकड़े को एसएनसीयू के प्रभारी डॉ कृष्णा वास्केल ने बताया कि पिछली 1 जनवरी 2019 से 31 दिसंबर 2019 तक यहां 2135 नवजात बच्चे भर्ती हुए जिनमें से 133 नवजातों को हायर सेंटर रैफर किया गया.

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एसएनसीयू के हाल
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Published : Jan 8, 2020, 3:17 AM IST

खंडवा। राजस्थान के कोटा में अल्प समय में नवजातों की मौत से हड़कंप मचा हुआ है वहीं यदि बात जिले की जाए तो यहां भी स्थिति अच्छी नहीं हैं. स्वास्थ्य विभाग के तमाम कोशिशों के बावजूद बीते 1 साल में जिले के एसएनसीयू में 245 नवजात दम तोड़ चुके हैं.

एसएनसीयू के हाल


सालभर के इन आंकड़े को एसएनसीयू के प्रभारी डॉ कृष्णा वास्केल ने बताया कि पिछली 1 जनवरी 2019 से 31 दिसंबर 2019 तक यहां 2135 नवजात बच्चे भर्ती हुए जिनमें से 133 नवजातों को हायर सेंटर रैफर किया गया. 79 नवजात ट्रीटमेंट बीच में छोड़कर चले गए उसके अलावा 245 नवजात बच्चों की मृत्यु हो गई. मृत्यु का मुख्य कारण प्री मैच्योर बर्थ और लो बर्थ वेट को बताया जा रहा हैं. हालांकि मौत के कई और भी कारण हैं उन्होंने आगे बताया 60 बच्चे बर्थ एक्सोफ़िया (यानी जन्म के समय नही रोए), 56 बच्चे संक्रमण, 40 बच्चे शवसन संबंधी बीमारी, और 10 बच्चों की मौत म्यूकोनियम के चलते हुई हैं.


एसएनसीयू के प्रभारी के मुताबिक कि वे इस यूनिट को पिछले 8 से 10 साल से संभाल रहे हैं इस दौरान हर साल तकरीबन यही स्थिति रहती है और इसी संख्या में बच्चों की मौतें हुई है लगभग प्रति 10 बच्चों की मौत होती हैं. और इसमें मौत का प्रमुख कारण संक्रमण ही रहता है उन्होंने कहा कि हमारा एसएनसीयू level-2 का है.

खंडवा। राजस्थान के कोटा में अल्प समय में नवजातों की मौत से हड़कंप मचा हुआ है वहीं यदि बात जिले की जाए तो यहां भी स्थिति अच्छी नहीं हैं. स्वास्थ्य विभाग के तमाम कोशिशों के बावजूद बीते 1 साल में जिले के एसएनसीयू में 245 नवजात दम तोड़ चुके हैं.

एसएनसीयू के हाल


सालभर के इन आंकड़े को एसएनसीयू के प्रभारी डॉ कृष्णा वास्केल ने बताया कि पिछली 1 जनवरी 2019 से 31 दिसंबर 2019 तक यहां 2135 नवजात बच्चे भर्ती हुए जिनमें से 133 नवजातों को हायर सेंटर रैफर किया गया. 79 नवजात ट्रीटमेंट बीच में छोड़कर चले गए उसके अलावा 245 नवजात बच्चों की मृत्यु हो गई. मृत्यु का मुख्य कारण प्री मैच्योर बर्थ और लो बर्थ वेट को बताया जा रहा हैं. हालांकि मौत के कई और भी कारण हैं उन्होंने आगे बताया 60 बच्चे बर्थ एक्सोफ़िया (यानी जन्म के समय नही रोए), 56 बच्चे संक्रमण, 40 बच्चे शवसन संबंधी बीमारी, और 10 बच्चों की मौत म्यूकोनियम के चलते हुई हैं.


एसएनसीयू के प्रभारी के मुताबिक कि वे इस यूनिट को पिछले 8 से 10 साल से संभाल रहे हैं इस दौरान हर साल तकरीबन यही स्थिति रहती है और इसी संख्या में बच्चों की मौतें हुई है लगभग प्रति 10 बच्चों की मौत होती हैं. और इसमें मौत का प्रमुख कारण संक्रमण ही रहता है उन्होंने कहा कि हमारा एसएनसीयू level-2 का है.

Intro:खंडवा। राजस्थान के कोटा में अल्प समय में नवजातों की मौत से हड़कंप मचा हुआ है वहीं यदि बात जिले की जाए तो यहां भी स्थिति अच्छी नहीं हैं स्वास्थ्य विभाग के तमाम प्रयासों के बावजूद बीते 1 साल में जिले के एसएनसीयू में 245 नवजात दम तोड़ चुके हैं.


Body:सालभर के इन आंकड़े को एसएनसीयू के प्रभारी डॉ कृष्णा वास्केल ने बताया कि पिछली 1 जनवरी 2019 से 31 दिसंबर 2019 तक यहां 2135 नवजात बच्चे भर्ती हुए जिनमें से 133 नवजातों को हायर सेंटर रैफर किया गया 79 नवजात ट्रीटमेंट बीच में छोड़कर चले गए उसके अलावा 245 नवजात बच्चों की मृत्यु हो गई. मृत्यु का मुख्य कारण प्री मैच्योर बर्थ और लो बर्थ वेट को बताया जा रहा हैं. हालांकि मौत के कई और भी कारण हैं उन्होंने आगे बताया 60 बच्चे बर्थ एक्सोफ़िया (यानी जन्म के समय नही रोए) , 56 बच्चे संक्रमण, 40 बच्चे शवसन संबंधी बीमारी, और 10 बच्चों की मौत म्यूकोनियम के चलते हुई हैं.

byte - डॉ कृष्णा वास्केल, प्रभारी एसएनसीयू


Conclusion:एसएनसीयू के प्रभारी के मुताबिक कि वे इस यूनिट को पिछले 8 से 10 साल से संभाल रहे हैं इस दौरान प्रति वर्ष तकरीबन यही स्थिति रहती है और इसी संख्या में बच्चों की मौतें हुई है लगभग प्रति 10 बच्चों की मौत होती हैं. और इसमें मौत का प्रमुख कारण संक्रमण ही रहता है उन्होंने कहा कि हमारा एसएनसीयू level-2 का है.
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