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सालों बाद भी नहीं बन पाई सड़क, कीचड़ भरे रास्ते से गुजरने को मजबूर ग्रामीण

कटनी जिले धुरी गांव में पक्का रास्ता आज तक नहीं बनी है. जिससे ग्रामीण कीचड़ भरे रास्ते से होकर गुजरने को मजबूर हैं. ग्रामीणों की मांग है कि रास्ते को जल्द बनवाया जाए, जिससे लोगों को समस्या से निजात मिल सके.

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Published : Sep 26, 2020, 1:18 AM IST

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सालों बाद भी नहीं बन पाई एक किमी सड़क

कटनी। एक ओर सरकार गांवों का तेजी से विकास करने का दावा किया जाता है. इसके लिए ग्राम उदय से भारत उदय जैसे अभियान भी चलाए जाते हैं. वहीं दूसरी ओर आज भी क्षेत्र के अनेक गांव हैं, जो सड़क के लिए तरस रहे हैं. आलम ये है कि बरसात का मौसम आते ही गांव तक पहुंचने के लिए कीचड़ से होकर गुजरना ग्रामीणों की मजबूरी बन चुकी है.

कीचड़ भरे रास्ते से गुजरने को मजबूर ग्रामीण

बहोरीबंद विकासखंड में दर्जनों ऐसे गांव हैं, जो सड़क का इंतजार कर रहे हैं . इनमें से एक धुरी गांव भी है, जहां महज 1 किलोमीटर की सड़क आज तक नहीं बन पाई है. सड़क के अभाव में यहां के निवासी कीचड़ से जूझते हुए आवाजाही करने मजबूर हैं. ग्रामीण बताते हैं कि अभी तो स्कूल बंद हैं वर्ना स्कूल जाने वाली छात्राएं कीचड़ में लिपटी स्कूल पहुंचती हैं. कीचड़ तो कीचड़ एक नाला भी आने-जाने वालों के लिए आए दिन मुसीबत बना रहता है. इस दोहरी परेशानी को झेल कर स्कूल जाना छात्रों के लिए मजबूरी रहती है.

ग्रामीणों ने की वैकल्पिक व्यवस्था

प्रशासन की उदासीनता और बरसात के मौसम होने वाली परेशानियों को ध्यान में रखते हुए ग्रामीणों ने बारिश के पहले ही जन सहयोग से वार्ड क्रमांक 13 में रेत आदि डालकर रास्ते की मरम्मत की थी लेकिन बाद में सड़क फिर कीचड़ में तब्दील हो गई है. जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ग्राम वासियों की मांग है कि प्रशासन इस ओर ध्यान दें, जिससे यहां के रहवासियों को इस समस्या से निजात मिल सके.

मीडिया से नहीं मिलना चाहते अधिकारी

वहीं जब ईटीवी भारत की टीम ने अधिकारियों से इस मामले में बात की तो वे मीडिया के सामने आने से बचते रहे. अधिकारियों का कहना है कि कोरोना संक्रमण खत्म होने के बाद ही वे कैमरे के सामने कुछ बता पाएंगे. अब कोरोना कब खत्म होगा और सड़क कब बनेगी, ये भविष्य की गर्त में है.

कटनी। एक ओर सरकार गांवों का तेजी से विकास करने का दावा किया जाता है. इसके लिए ग्राम उदय से भारत उदय जैसे अभियान भी चलाए जाते हैं. वहीं दूसरी ओर आज भी क्षेत्र के अनेक गांव हैं, जो सड़क के लिए तरस रहे हैं. आलम ये है कि बरसात का मौसम आते ही गांव तक पहुंचने के लिए कीचड़ से होकर गुजरना ग्रामीणों की मजबूरी बन चुकी है.

कीचड़ भरे रास्ते से गुजरने को मजबूर ग्रामीण

बहोरीबंद विकासखंड में दर्जनों ऐसे गांव हैं, जो सड़क का इंतजार कर रहे हैं . इनमें से एक धुरी गांव भी है, जहां महज 1 किलोमीटर की सड़क आज तक नहीं बन पाई है. सड़क के अभाव में यहां के निवासी कीचड़ से जूझते हुए आवाजाही करने मजबूर हैं. ग्रामीण बताते हैं कि अभी तो स्कूल बंद हैं वर्ना स्कूल जाने वाली छात्राएं कीचड़ में लिपटी स्कूल पहुंचती हैं. कीचड़ तो कीचड़ एक नाला भी आने-जाने वालों के लिए आए दिन मुसीबत बना रहता है. इस दोहरी परेशानी को झेल कर स्कूल जाना छात्रों के लिए मजबूरी रहती है.

ग्रामीणों ने की वैकल्पिक व्यवस्था

प्रशासन की उदासीनता और बरसात के मौसम होने वाली परेशानियों को ध्यान में रखते हुए ग्रामीणों ने बारिश के पहले ही जन सहयोग से वार्ड क्रमांक 13 में रेत आदि डालकर रास्ते की मरम्मत की थी लेकिन बाद में सड़क फिर कीचड़ में तब्दील हो गई है. जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ग्राम वासियों की मांग है कि प्रशासन इस ओर ध्यान दें, जिससे यहां के रहवासियों को इस समस्या से निजात मिल सके.

मीडिया से नहीं मिलना चाहते अधिकारी

वहीं जब ईटीवी भारत की टीम ने अधिकारियों से इस मामले में बात की तो वे मीडिया के सामने आने से बचते रहे. अधिकारियों का कहना है कि कोरोना संक्रमण खत्म होने के बाद ही वे कैमरे के सामने कुछ बता पाएंगे. अब कोरोना कब खत्म होगा और सड़क कब बनेगी, ये भविष्य की गर्त में है.

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