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रहवासी इलाके में संचालित हो रही डोलोमाइट खदान, विस्फोट से चिंतित ग्रामीण - katni news

कटनी के आदिवासी गांव भादावर में डोलोमाइट की खदान में किये जाने वाले विस्फोट से ग्रामीण परेशान हैं, लेकिन कोई उनकी फरियाद सुनने वाला नहीं है.

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विस्फोट से चिंतित हैं ग्रामीण
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Published : Aug 26, 2020, 7:27 AM IST

कटनी। जिले के बड़वारा विकास खंड में आने वाले भादावर ग्राम के रहवासी इलाके में डोलोमाइट की एक खदान संचालित होती है. खदान में जब पत्थर निकालने के लिए विस्फोट किया जाता है, उस वक्त आदिवासी मोहल्ले के लोग चिंतित हो जाते हैं कि कहीं पत्थर के टुकड़े घरों में न पहुंच जाएं और ऐसा कई बार हुआ भी है.

रहवासी इलाके में संचालित हो रही डोलोमाइट की खदान

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि रहवासी क्षेत्र से लगभग 500 मीटर की दूरी पर एक डोलोमाइट की खदान संचालित होती है, खदान में जब ब्लास्ट किया जाता है तो पत्थर के टुकड़े घरों तक पहुंच जाते हैं. एक साल पहले ग्रामीण गुलाब सिंह के घर में लगभग पांच किलो का पत्थर छप्पर पर गिरा था, जिसकी शिकायत लोगों ने कलेक्टर से की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. साथ ही ब्लास्टिंग की वजह से ग्रामीणों के मकानों में दरारें पड़नी शुरू हो गई है.

खदान के आसपास किसी भी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था नहीं है. जिससे इंसानों के साथ-साथ जानवरों की जान जाने की आशंका बनी रहती है. जाहिर तौर पर इस लापरवाही का खमियाजा यहां के बेकसूर बाशिन्दों को कभी भी उठाना पड़ सकता है. हैरानी की बात ये है कि ग्रामीणों की लगातार शिकायत के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी खामोश हैं. जिससे साफ होता है कि इस पूरे खेल में जिम्मेदारों की अहम भूमिका है.

कटनी। जिले के बड़वारा विकास खंड में आने वाले भादावर ग्राम के रहवासी इलाके में डोलोमाइट की एक खदान संचालित होती है. खदान में जब पत्थर निकालने के लिए विस्फोट किया जाता है, उस वक्त आदिवासी मोहल्ले के लोग चिंतित हो जाते हैं कि कहीं पत्थर के टुकड़े घरों में न पहुंच जाएं और ऐसा कई बार हुआ भी है.

रहवासी इलाके में संचालित हो रही डोलोमाइट की खदान

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि रहवासी क्षेत्र से लगभग 500 मीटर की दूरी पर एक डोलोमाइट की खदान संचालित होती है, खदान में जब ब्लास्ट किया जाता है तो पत्थर के टुकड़े घरों तक पहुंच जाते हैं. एक साल पहले ग्रामीण गुलाब सिंह के घर में लगभग पांच किलो का पत्थर छप्पर पर गिरा था, जिसकी शिकायत लोगों ने कलेक्टर से की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. साथ ही ब्लास्टिंग की वजह से ग्रामीणों के मकानों में दरारें पड़नी शुरू हो गई है.

खदान के आसपास किसी भी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था नहीं है. जिससे इंसानों के साथ-साथ जानवरों की जान जाने की आशंका बनी रहती है. जाहिर तौर पर इस लापरवाही का खमियाजा यहां के बेकसूर बाशिन्दों को कभी भी उठाना पड़ सकता है. हैरानी की बात ये है कि ग्रामीणों की लगातार शिकायत के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी खामोश हैं. जिससे साफ होता है कि इस पूरे खेल में जिम्मेदारों की अहम भूमिका है.

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