कटनी। जिले के एक शिक्षक ने ऐसा अभियान छेड़ा की उससे प्रदेश सरकार तक प्रभावित हो गई, और अब उसे प्रेदश में बतौर नियम लागू कर दिया गया है. लुहावरा शासकीय स्कूल के शिक्षक राजा भैया सोनी ने महिलाओं और बच्चियों के सम्मान में एक अनूठा अभियान छेड़ रखा है. वे पिछले दो दशक से स्कूल में पढ़ाने से पहले वहां की सभी बच्चियों(कन्याओं) की पूजा करते हैं. यानि पढ़ाने से पहले कन्या पूजन. कभी नवरात्र के अलावा कन्या पूजन के बारे में सुना था. नहीं न. लेकिन इस सरकारी स्कूल में तो रोज ही कन्याओं की पूजा होती है.
नहीं है भेदभाव
शिक्षक राजा भैया सोनी रोजाना प्रार्थना के दौरान बिना भेदभाव किए, सभी वर्ग की छात्राओं के पैर धोते हैं.पैर धोने के बाद वे उनकी पूजा करते हैं. वे पिछले 23 सालों से लगातार ऐसा ही करते आ रहे हैं.
कोरोना काल में भी नहीं थमा कारवां
लॉकडाउन के दौरान जब प्रदेश में 'हमारा घर, हमारा विद्यालय' और 'मोहल्ला क्लासेस' शुरू हुईं, तब भी शिक्षक राजा भैया का ये कारवां थमा नहीं. उस दौरान संचालित होने वाली कक्षाओं में भी वे पढ़ाने से पहले कन्या पूजन करते थे.
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सीएम शिवराज ने बनाय नियम
25 दिसंबर 2020 को होशंगाबाद में सीएम शिवराज ने कार्यक्रम की शुरूआत से पहले कन्याओं की पूजा की थी. उसके बाद उन्होंने आदेश जारी किया था कि अब से हर सरकारी कार्यक्रम में पहले कन्या पूजन करना अनिवार्य होगा. वहीं मध्य प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां सरकारी कामों से पहले अब कन्या पूजन (woman worship) की जाएगी.
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कन्याओं के पैर छूकर सीएम शिवराज ने की शुरूआत
25 दिसंबर 2020 को होशंगाबाद में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के तहत मिलने वाले वित्तीय लाभ की अगली किस्त जारी करने का प्रोग्राम था. जहां सीएम शिवराज ने कार्यक्रम शुरू होने से पहले मंच पर कन्या पूजन की. इसके बाद किसानों के खातों में राशि ट्रांसफर करने का कार्यक्रम शुरू हुआ. यहीं शिवराज ने कन्याओं के पैर छुए और मध्यप्रदेश को देश का पहला राज्य बना दिया, जहां किसी भी सरकारी कार्यक्रम की शुरूआत कन्याओं के पैर छूकर होगी.
दर्ज किया रिकॉर्ड अपने नाम
महिलाओं और बच्चियों का लगातार सम्मान करने के लिए शिक्षक राजू भैया का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में भी दर्ज किया गया है. उनके इस अनूठे अभियान के लिए उन्हें हर स्तर पर सराहना भी मिलती है. राजा भैया स्थानीय, जिला स्तर से लेकर प्रदेश- देश स्तर पर सम्मानित हो चुके हैं. उन्होंने इंडिया के अलावा एशिया बुक रिकॉर्डस में भी अपना नाम दर्ज करवाया है.
भेदभाव मिटाने की कोशिश
शिक्षक राजा भैया सोनी ने बताया कि समाज को महिलाओं और बच्चियों के प्रति संदेश देने के लिए ये उनकी एक कोशिश है. वे मानते हैं कि कन्या पूजन छात्राओं और महिलाओं का सम्मान बढ़ाने और भेदभाव को मिटाने की कोशिश है. इसके लिए उन्हें परिवार से प्रेरणा मिली. उन्होंने ठानी कि लोगों की सोच बदलने के लिए महिलाओं का सम्मान करूंगा ताकि लोंगो में नैतिकता का वातावरण जागे. देश में आए दिन हो रहीं दुष्कर्म की घटनाओं पर भी ऐसे में विराम लगेगा. साथ ही महिलाओं को सम्मान जनक जीवन जीने का अच्छा माहौल मिलेगा.
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सीएम शिवराज का किया आभार व्यक्त
राजा भैया ने मध्य प्रदेश शासन द्वारा हर कार्यक्रम में कन्या पूजन शुरू करने के लिए सीएम शिवराज सिंह का आभार व्यक्त किया है. उनकी कोशिश है कि स्कूली पाठ्यक्रम में महिलाओं के सम्मान को शामिल किया जाए. स्कूल के नैतिक शिक्षा विषय में ऐसे एक पाठ शामिल को शामिल किया जाना चाहिए.
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के नारे को शिक्षक राजा भैया ने सही अर्थों में सार्थक किया है. उनके कन्या पूजन करने से न सिर्फ स्कूल में पढ़ने वाली बच्चियों में उत्साह का संचार है, बल्कि लोगों में भी जागरुकता आई है. यही कारण है कि लोग शिक्षक राजा भैया की इस पहल की सराहना करते नहीं थकते हैं.
क्या होती है कन्या पूजन
मध्य प्रदेश सहित देश के कई हिस्सों में कन्या पूजन का बड़ा महत्व है, आमतौर पर कन्या पूजन नवरात्रि के वक्त होती है, जब नौ दिन के उपवास खत्म होने पर लोग छोटी-छोटी बच्चियों जिनकी उम्र 10 साल तक होती है, उन्हें अपने घर बुलाते हैं और उनके पैर धुलकर, उनकी पूजा कर खाना खिलाते हैं. कन्या पूजन नवरात्रि एवं दुर्गा पूजा का एक अत्यन्त महत्वपूर्ण अनुष्ठान है.
कन्या पूजन से जुड़ी क्या है मान्यता
कुमारी पूजा को कन्या पूजा तथा कुमारिका पूजा के नाम से भी जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि पर कन्या पूजन करने से मां प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देकर उनकी सभी इच्छाओं को पूरा करती हैं.
मध्य प्रदेश में बेटियों को मानते हैं देवी का अवतार
हमारे देश में छोटे बच्चों में भगवान का रूप माना जाता है, वहीं बच्चियों को तो देवी का अवतार माना जाता है. इसी तरह मध्यप्रदेश में लड़कियों को तो देवी का अवतार माना जाता है, यहां बेटियां बड़ी हों या छोटी वह किसी के पैर नहीं छूती हैं, क्योंकि प्रदेश में लड़कियों को देवी का रूप मानते हुए उनसे पैर नहीं छुवाते हैं.
साल 2014 में कन्या पूजन की हुई थी शुरूआत
मंत्रालय कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष सुधीर नायक ने कहा की कन्या पूजन की शुरुआत 2014 में मंत्रालयीन कर्मचारी संघ द्वारा आयोजित दीपावली मिलन समारोह में पहली बार कन्या पूजन कर की थी. उसके बाद से पूरे प्रदेश के कार्यक्रमों में अनौपचारिक रूप से कन्या पूजन होनी लगी थी. अब उसे अधिकृत रुप दिया गया है. सभी सरकारी कार्यकमों में कन्या पूजन की इस परंपरा को जारी रखना होगा.