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बप्पा के मूर्तिकारों पर रोजी-रोटी का संकट, शासन-प्रशासन से मदद की उम्मीद

इस कोरोना काल में मूर्तिकारों पर रोजी-रोटी का संकट आ गया है. गणेश उत्सव पास में है, लेकिन मूर्तिकारों को अच्छा काम मिलने की उम्मीद कम नजर आ रही है.

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Published : Jul 30, 2020, 11:54 AM IST

katni
बप्पा के मूर्तिकारों पर रोजी-रोटी का संकट

कटनी। कोरोना काल का असर तीज-त्योहारों के साथ-साथ त्योहारों की सामग्री बनाने वाले व्यापारियों पर भी पड़ रहा है. मार्च माह में चैत नवरात्र पर कोरोना वायरस का साया रहा, जिसकी वजह से पूजन सामग्री और अन्य कार्य से जुड़े व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ा. वहीं सावन माह में भोले की भक्ति भी लोगों को मंदिरों की जगह अपने घरों से करनी पड़ रही है, साथ ही रक्षाबंधन के त्योहार पर भी लॉकडाउन का ग्रहण लगा हुआ है. बाजार बंद होने से राखी बेचने वाले छोटे व्यापारी घर पर बैठे अपनी किस्मत को कोस रहे हैं.

बप्पा के मूर्तिकारों पर रोजी-रोटी का संकट

वहीं आने वाले गणेश उत्सव पर भी कोरोना काल का असर हुआ है. कटनी में कोलकाता सहित अन्य क्षेत्रों से हर साल गणेश चतुर्थी से 1 माह पहले ही मूर्तिकारों का पहुंचना शुरू हो जाता था और छोटी से लेकर विशाल मूर्ति बनाने का काम शुरु हो जाता था.

इस साल शहर में बाहर से आने वाले मूर्तिकार अभी तक नहीं पहुंचे हैं, वहीं जिले के मूर्तिकारों को भी गणेश उत्सव पर अच्छा काम मिलने की उम्मीद कम नजर आ रही है. शहर के मूर्तिकारों का कहना है कि बाकी त्योहारों की तरह ही गणेश पर्व पर भी कोरोना वायरस का साया रहेगा और इसके चलते उन लोगों ने अभी तक बड़ी प्रतिमाएं नहीं बनाई हैं. उनका कहना है कि जो छोटी-छोटी प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं, उनको भी भक्तों द्वारा ले जाने को लेकर संशय की स्थिति है.

कोरोना की वजह से वर्षों से चला आ रहा मूर्तिकारों का व्यापार पूरी तरह से समाप्त होने के आसार बने हुए हैं. मूर्तिकारों का कहना है कि गणेश उत्सव, दुर्गा पूजा के दौरान प्रतिमाओं का निर्माण कर वो साल भर अपने परिवार को 2 जून की रोटी उपलब्ध कराने के लिए जुगाड़ कर लेते थे, लेकिन इस गणेश उत्सव पर कोरोना वायरस का ग्रहण लगा हुआ है, जिसके चलते उनके सामने रोजी-रोटी का संकट नजर आ रहा है. मूर्तिकार कहते हैं कि पहले नोटबंदी, फिर जीएसटी और अब कोरोना काल का सीधा उनके व्यापार पर पड़ा है. अब शासन-प्रशासन से ही उम्मीद है कि वो उनका कुछ ख्याल करेंगे.

कटनी। कोरोना काल का असर तीज-त्योहारों के साथ-साथ त्योहारों की सामग्री बनाने वाले व्यापारियों पर भी पड़ रहा है. मार्च माह में चैत नवरात्र पर कोरोना वायरस का साया रहा, जिसकी वजह से पूजन सामग्री और अन्य कार्य से जुड़े व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ा. वहीं सावन माह में भोले की भक्ति भी लोगों को मंदिरों की जगह अपने घरों से करनी पड़ रही है, साथ ही रक्षाबंधन के त्योहार पर भी लॉकडाउन का ग्रहण लगा हुआ है. बाजार बंद होने से राखी बेचने वाले छोटे व्यापारी घर पर बैठे अपनी किस्मत को कोस रहे हैं.

बप्पा के मूर्तिकारों पर रोजी-रोटी का संकट

वहीं आने वाले गणेश उत्सव पर भी कोरोना काल का असर हुआ है. कटनी में कोलकाता सहित अन्य क्षेत्रों से हर साल गणेश चतुर्थी से 1 माह पहले ही मूर्तिकारों का पहुंचना शुरू हो जाता था और छोटी से लेकर विशाल मूर्ति बनाने का काम शुरु हो जाता था.

इस साल शहर में बाहर से आने वाले मूर्तिकार अभी तक नहीं पहुंचे हैं, वहीं जिले के मूर्तिकारों को भी गणेश उत्सव पर अच्छा काम मिलने की उम्मीद कम नजर आ रही है. शहर के मूर्तिकारों का कहना है कि बाकी त्योहारों की तरह ही गणेश पर्व पर भी कोरोना वायरस का साया रहेगा और इसके चलते उन लोगों ने अभी तक बड़ी प्रतिमाएं नहीं बनाई हैं. उनका कहना है कि जो छोटी-छोटी प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं, उनको भी भक्तों द्वारा ले जाने को लेकर संशय की स्थिति है.

कोरोना की वजह से वर्षों से चला आ रहा मूर्तिकारों का व्यापार पूरी तरह से समाप्त होने के आसार बने हुए हैं. मूर्तिकारों का कहना है कि गणेश उत्सव, दुर्गा पूजा के दौरान प्रतिमाओं का निर्माण कर वो साल भर अपने परिवार को 2 जून की रोटी उपलब्ध कराने के लिए जुगाड़ कर लेते थे, लेकिन इस गणेश उत्सव पर कोरोना वायरस का ग्रहण लगा हुआ है, जिसके चलते उनके सामने रोजी-रोटी का संकट नजर आ रहा है. मूर्तिकार कहते हैं कि पहले नोटबंदी, फिर जीएसटी और अब कोरोना काल का सीधा उनके व्यापार पर पड़ा है. अब शासन-प्रशासन से ही उम्मीद है कि वो उनका कुछ ख्याल करेंगे.

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