कटनी। पूरे प्रदेश में बारिश ने अपना कहर बरपाया है. ज्यादा बारिश होने के चलते सबसे ज्यादा परेशान किसान हो रहे हैं. खेतों में जलभराव हो गया है, जिसके चलते पूरी फसलें चौपट हो गई हैं. इसका एक बड़ा असर सब्जी की खेती करने वाले किसानों पर हुआ है. जिनकी पूरी की पूरी खेती ही पानी की भेंट चढ़ गई है. किसानों के मुताबिक उन्हें इतना ज्यादा बरसात होने की उम्मीद नहीं थी. जिसके चलते उनकी फसल तो डूबी उनकी लागत भी बारिश की भेंट चढ़ गई. वहीं लॉकडाउन से भी उन्हें भारी नुकसान हुआ.
इंदौर के रलायता गांव के किसान मुकेश राठौर का कहना है कि उनकी 52 बीघा फसल बारिश के कारण पूरी नष्ट हो चुकी है. पटवारी के पास सर्वे के लिए गए तो बैंक का हवाला देकर बैंक पहुंचाया जाता है और बैंक में जाएं तो सर्वे करने वालों से बात करने को कहा जाता है.
कटनी में किसान विजय कुशवाहा पीढ़ी दर पीढ़ी खेती के कारोबार से ही अपना घर चलाते हैं. लेकिन इस बार हुई बरसात ने इनके सारे सपने को खत्म कर दिया है. उन्होंने जुलाई के महीने में गोभी की खेती शुरू की थी और उन्हें उम्मीद थी कि अक्टूबर-नवंबर में जब फूल गोभी खिलेगी तो इनकी किस्मत भी चमक जाएगी. लेकिन हुआ कुछ उल्टा. भारी बरसात के चलते पूरे पौधे सड़ गए. अब यह उस खेत में गेहूं की खेती की तैयारी कर रहे हैं.
किसान के साथ व्यापारी भी त्रस्त
फसल के नुकसान का असर सिर्फ किसानों पर ही नहीं पड़ा इसका एक बड़ा असर उन व्यापारियों पर ही पड़ा है, जो सब्जियों का कारोवार करते हैं. इन कारोबारियों के मुताबिक किसानों की फसल नष्ट होने के चलते सब्जी के रेट आसमान छू रहे हैं.
दुकानदार बताते हैं पिछले साल टमाटर 20 से 30 रूपे, आलू 10 से 15 रूपए, बैगन 10 से 12 रूपए और प्याज 20 रुपए किलो हुआ करती थी. लेकिन इस साल टमाटर 40 से 50 रूपए, आलू 40 से 45 रूपए, बैगन 25 से 30 रूपए किलो बिक रहे हैं. कुल मिलाकर सभी सब्जियों के दाम पिछले साल से कई गुना अधिक बढ़े हैं.
लॉकडाउन का भी पड़ा गहरा असर
ऊपर से लॉकडाउन के बाद लोगों की माली हालत खराब होने का असर भी बाजार पर नजर आ रहा है. आढ़ती यह मानते हैं कि अभी इस कारोबार में मुनाफा नहीं है. किसी तरह से घर चलाने का जरिया बच गया है. सब्जियों के बढ़ते रेट ने लोगों के जायके को खराब कर दिया है. अब लोगों की थाली से हरी सब्जियां नदारद हो गई हैं और इनकी जगह मटर, छोले, पनीर और सोयाबीन ने ले ली है.
जाहिर तौर पर कोरोनावायरस संक्रमण के चलते लगाए गए लॉकडाउन के अब व्यापक असर अनलॉक डाउन में नजर आ रहा है. जिसमें लोग अपनी मूलभूत जरूरत की चीजें भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं. इधर कुदरत के कहर के चलते भी किसानों की भी कमर टूट गई है.