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शौर्य चक्र से सम्मानित शहीद के परिजनों को नहीं मिली कोई आर्थिक सहायता, दर- दर की ठोकर खाने को हैं मजबूर

कटनी जिले के परमानंद पटेल को असम में उग्रवादियों ने 7 फरवरी 2001 को मार गिराया था. शहीद परमानंद के परिजन सरकार की सहायता न मिलने से नाराज हैं.

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Published : Jul 25, 2019, 11:50 PM IST

शहीद के परिजनों को नहीं मिली कोई आर्थिक सहायता

कटनी| देश के लिए शहीद हुए सैनिकों के परिजनों के लिए सरकार बडी-बड़ी घोषणाएं करती है. लेकिन देश के लिए कुर्बान शहीदों के परिजन आज भी सरकारी मदद के लिए भटक रहे हैं और शहीदों के परिजनों की आंखें आज भी उन्हें याद करते हुए नम हो जाती हैं.

शहीद के परिजनों को नहीं मिली कोई आर्थिक सहायता

शौर्य चक्र से सम्मानित कटनी जिले के परमानंद पटेल को असम में उग्रवादियों ने 7 फरवरी 2001 को मार गिराया था. भारी गोलीबारी और हथगोले से घायल परमानंद देश के लिए शहीद हो गए. लेकिन शहीद परमानंद के परिजन सरकार की तरफ से कोई सहायता न मिलने से नाराज हैं. उनके बच्चे आज भी नौकरी के लिए दर- दर की ठोकरें खा रहे हैं. लेकिन उन्होंने आस नहीं छोड़ी है.

कटनी| देश के लिए शहीद हुए सैनिकों के परिजनों के लिए सरकार बडी-बड़ी घोषणाएं करती है. लेकिन देश के लिए कुर्बान शहीदों के परिजन आज भी सरकारी मदद के लिए भटक रहे हैं और शहीदों के परिजनों की आंखें आज भी उन्हें याद करते हुए नम हो जाती हैं.

शहीद के परिजनों को नहीं मिली कोई आर्थिक सहायता

शौर्य चक्र से सम्मानित कटनी जिले के परमानंद पटेल को असम में उग्रवादियों ने 7 फरवरी 2001 को मार गिराया था. भारी गोलीबारी और हथगोले से घायल परमानंद देश के लिए शहीद हो गए. लेकिन शहीद परमानंद के परिजन सरकार की तरफ से कोई सहायता न मिलने से नाराज हैं. उनके बच्चे आज भी नौकरी के लिए दर- दर की ठोकरें खा रहे हैं. लेकिन उन्होंने आस नहीं छोड़ी है.

Intro:कटनी । कारगिल में शहीद सैनिकों के सम्मान में को दिन को याद करते हुए 26 जुलाई को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। पाकिस्तानी घुसपैठियों भारतीय भूमि को आजाद कराने में सैनिकों के बलिदान को पूरा देश याद कर रहा है ।


Body:वीओ - भारत के दूध और जांबाज सैनिकों ने 26 जुलाई 1999 को भारतीय सीमा घुसपैठियों को मार गिराया था । इस दौरान भारतीय सैनिक भी लड़ाई में शहीद हो गए थे । उन शहीदों को जहां पूरा देश याद कर रहा है वही शहीदों के परिजनों की आंखें आज भी उन्हें याद करते हुए नम हो जाती है ।
सरकारें बड़े बड़े आयोजन करती हैं । लेकिन सैनिक के लिए कुर्बान शहीदों के परिजन आज भी नौकरी के लिए भटक रहे हैं ।


Conclusion:फाईनल - शौर्य चक्र से सम्मानित कटनी जिले के सहित परमानंद पटेल के बच्चे आज भी नौकरी के लिए भटक रहे हैं । जी हां आपको बता दें कि असम जिले के चराई खोचरा गांव में उग्रवादियों को 7 फरवरी 2001 में हवलदार परमानंद पटेल ने मार गिराया । भारी गोलीबारी और हथगोले से घायल परमानंद देश के लिए शहीद हो गए लेकिन शहीद परमानंद के परिजन सरकार की सहायता न मिलने से नाखुश नजर आ रही हैं हालांकि उन्होंने आज भी आस नहीं छोड़ी है ।

बाईट - मुन्नी बाई पटेल - वीरांगना
बाईट - केप्टन परमानन्द त्रिपाठी - जिला सैनिक अधिकारी
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