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जिला चिकित्सालय में डॉक्टरों की बड़ी लापरवाही, नसबंदी के बाद फर्श पर लेटाई गई महिलाएं

एक बार फिर कटनी जिला चिकित्सालय के डॉक्टरों की लापरवाही सामने आई है. नसबंदी ऑपरेशन के बाद महिलाओं को फर्श पर लिटा दिया गया. वहीं महिलाओं की ठीक से देखरेख नहीं की गई.

After the sterilization operation, the women were laid on the floor.
नसबंदी ऑपरेशन के बाद महिलाओं को लिटाया फर्श पर
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Published : Dec 15, 2019, 12:05 PM IST

कटनी। जिला चिकित्सालय के अधिकारियों की एक बार फिर से बड़ी लापरवाही सामने आई है. यहां नसबंदी कैंप के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों से आई 60 महिलाओं का नसबंदी ऑपरेशन होना था, जिसमें 35 महिलाओं के ऑपरेशन के बाद उनकी ठीक से देखरेख नहीं की गई. यहां तक की महिलाओं को जिला चिकित्सालय के फर्श पर ही लिटा दिया गया.

नसबंदी ऑपरेशन के बाद महिलाओं को लिटाया फर्श पर

जिम्मेदार अफसर महिलाओं को एक पलंग तक उपलब्ध नहीं करा सके. परिजनों का कहना है कि सरकार सब कुछ देती है, लेकिन अस्पताल प्रबंधक एक कंबल तक नहीं दे रहा है. नियमानुसार नसबंदी ऑपरेशन के बाद महिलाओं को ठंड और संक्रमण से बचाने के लिए पलंग पर ही लिटाना जरूरी होता है. जबकि जिला चिकित्सालय में 200 बेड हैं, लेकिन ऑपरेशन के बाद महिलाओं को अस्पताल के फर्श पर ही लिटा दिया गया.

वहीं ऑपरेशन इंचार्ज डॉक्टर ने जानकारी देते हुए बताया कि गाइडलाइन के अनुसार महिलाओं को पलंग पर ही लिटाना चाहिए. यहां पर कम से कम 3 घंटे तक डॉक्टरों और एएनएम की सुरक्षा में रहती हैं. जनरल वार्ड और अन्य मरीजों के साथ रखने पर इंफेक्शन का खतरा रहता है. फर्श पर लिटाए जाने के सवाल पर ऑपरेशन इंचार्ज ने कहा कि पलंग की कमी के चलते फर्श पर व्यवस्था कर उन्हें लिटाया गया है.

कटनी। जिला चिकित्सालय के अधिकारियों की एक बार फिर से बड़ी लापरवाही सामने आई है. यहां नसबंदी कैंप के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों से आई 60 महिलाओं का नसबंदी ऑपरेशन होना था, जिसमें 35 महिलाओं के ऑपरेशन के बाद उनकी ठीक से देखरेख नहीं की गई. यहां तक की महिलाओं को जिला चिकित्सालय के फर्श पर ही लिटा दिया गया.

नसबंदी ऑपरेशन के बाद महिलाओं को लिटाया फर्श पर

जिम्मेदार अफसर महिलाओं को एक पलंग तक उपलब्ध नहीं करा सके. परिजनों का कहना है कि सरकार सब कुछ देती है, लेकिन अस्पताल प्रबंधक एक कंबल तक नहीं दे रहा है. नियमानुसार नसबंदी ऑपरेशन के बाद महिलाओं को ठंड और संक्रमण से बचाने के लिए पलंग पर ही लिटाना जरूरी होता है. जबकि जिला चिकित्सालय में 200 बेड हैं, लेकिन ऑपरेशन के बाद महिलाओं को अस्पताल के फर्श पर ही लिटा दिया गया.

वहीं ऑपरेशन इंचार्ज डॉक्टर ने जानकारी देते हुए बताया कि गाइडलाइन के अनुसार महिलाओं को पलंग पर ही लिटाना चाहिए. यहां पर कम से कम 3 घंटे तक डॉक्टरों और एएनएम की सुरक्षा में रहती हैं. जनरल वार्ड और अन्य मरीजों के साथ रखने पर इंफेक्शन का खतरा रहता है. फर्श पर लिटाए जाने के सवाल पर ऑपरेशन इंचार्ज ने कहा कि पलंग की कमी के चलते फर्श पर व्यवस्था कर उन्हें लिटाया गया है.

Intro:कटनी । जिला चिकित्सालय के अधिकारियों की एक बार फिर से बड़ी लापरवाही आई सामने । यहां नसबंदी कैंप के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों से आई 60 महिलाओं के नसबंदी ऑपरेशन होना था , जिसमे 35 ऑपरेशन ऑपरेशन के बाद उनके ठीक से देखरेख नहीं की गई यहां तक की महिलाओं को जिला चिकित्सालय के फर्श पर ही लिटा दिया गया । नसबंदी ऑपरेशन के बाद महिलाओं को ठंड और संक्रमण से बचने के लिए पलंग पर ही लिटाना जरूरी होता है । जबकि जिला चिकित्सालय 200 बैठे हैं लेकिन ऑपरेशन के बाद महिलाओं को अस्पताल के फर्श पर ही लेटा दिया गया ।


Body:वीओ - यह मामला जिला अस्पताल में महिला नसबंदी शिविर के आयोजन का है शिविर में 35 महिलाओं ने नसबंदी का ऑपरेशन भी कराया ऑपरेशन के बाद उन महिलाओं को अस्पताल परिसर के फर्श पर ही हटा दिया गया जिम्मेदार अफसर महिलाओं को एक पलंग तक उपलब्ध नहीं करा सके । अभिभावक का कहना है कि सरकार सब कुछ देती है लेकिन अस्पताल प्रबंधक एक कंबल तक नहीं दे रहा है , यहां तक की जिन महिलाओं के ऑपरेशन हुए उन्हें ठंड व संक्रमण बीमारी से बचाने के लिए पलंग पर लेट आया जाता है । लेकिन अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के चलते महिलाओं को फर्श पर ही गिरा दिया गया ।


Conclusion:फाईनल - वहीं ऑपरेशन इंचार्ज डॉक्टर ने जानकारी देते हुए बताया कि गाइडलाइन के अनुसार महिलाओं को पलंग पर ही लेटना चाहिए लेकिन संख्या अधिक होने की वजह से उन्हें पर्याप्त सुविधा वाले कक्ष में ही प्रबंध करते हैं , यहां पर कम से कम 3 घंटे तक डॉक्टरों और एएनएम की सुरक्षा में रहती हैं , जनरल वार्ड या अन्य मरीजों के साथ रखने पर इंफेक्शन का खतरा रहता है । फर्श पर लिटाये जाने के सवाल पर बोले की पलंग नहीं होने के कारण फर्श पर कपड़े व सहित अन्य व्यवस्था कर उन्हें लिटाया गया है ।

बाईट - चंपा बाई बैन - अभिवावक
बाईट - डॉक्टर राजसिंह ठाकुर
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