कटनी। पूरा विश्व आज कोरोना महामारी से जंग लड़ रहा है. इस महामारी ने समाज के सभी वर्गों को प्रभावित किया है. जिसके चलते कोर्ट-कचहरी परिसर में भी सन्नाटा पसरा हुआ है. कटनी जिले में करीब 11 सौ के आसपास पंजीकृत अधिवक्ता हैं, लेकिन कोरोना वायरस के चलते सभी वकीलों के चेंबरों में ताले लगे हुए हैं. ऐसे में अपनी विद्वता और श्रम से न्याय दिलाने में लगे रहने वाला अधिवक्ता वर्ग आर्थिक तंगी से जूझ रहा है.
वकालत को सेवा क्षेत्र का उत्कृष्ट कार्य माना जाता रहा है. युवाओं के इस क्षेत्र में झुकाव से अधिवक्ताओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. कटनी में बहुसंख्यक अधिवक्ताओं की आर्थिक स्थिति दैनिक मुकदमों की सुनवाई पर ही निर्भर है. मुकदमों की पैरवी से मिलने वाली फीस ही अधिवक्ता परिवारों के जीविकोपार्जन का साधन है. जानकारी के अनुसार जिले में मध्यमवर्गीय और कई गरीब परिवार से आने वाले वकील हैं, जिन्हें हर दिन कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
कोरोना महामारी के चलते न्यायालय भी बंद हैं, जनता कर्फ्यू के पहले से न्यायालय ने सावधानी बरतनी शुरू कर दी थी. जिसके कारण न्यायालय के काम ठप हो गए और अधिवक्ताओं की आर्थिक स्थिति अब खराब हो गई है. ऐसे में सरकार ने वकीलों के परिवारों को दैनिक आवश्यताओं के लिए कुछ सहायता राशि का आवंटन किया है, जो परिवार चलाने के लिए पर्याप्त नहीं है. ऐसे में जिले के वकीलों ने मांग की है कि, जो निम्न और मध्यमवर्गीय वकील हैं उन्हें सरकार से मदद मिलनी चाहिए.