झाबुआ। 1994 में आई राजश्री प्रोडक्शन की मशहूर फिल्म 'हम आपके हैं कौन' का गाना...'' लो चली मैं अपने देवर की बारात लेकर ना बैंड बाजा और ना ही बाराती " जो आज प्रासंगिक बन गया है. इन दिनों जो शादियां हो रही है उसमें ना बैंड बाजा है ना बाराती है और ना ही शादियों में दिखने वाली चमक दमक. सब कोरोना के कारण फीका हो गया है. शादी केवल रस्म का नाम रह गई है, जिसमें दूल्हा-दुल्हन के रिश्तेदार तक शामिल नहीं हो पा रहे. शादियों की ये बदहाली करने के लिए जिम्मेदार कोरोना वायरस ने ना सिर्फ लोगों की खुशियां छीन ली बल्कि हजारों लाखों लोगों का रोजगार भी छीन लिया.
खर्चों में आई कमी
शादियों में भारतीय अपनी क्षमता से ज्यादा दिल खोलकर खर्च करते हैं. शादी से जुड़े अलग-अलग कामों से लाखों लोगों को रोजगार भी मिलता है. कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन के कारण देश में शादी का सीजन बदहाली की कगार पर आ गया है. शादी में होने वाले कामों के व्यवसाय से जुड़े लोगों को शादियां ना होने से आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. शादियों में बैंड-बाजा ,फोटोग्राफी और घोड़ी का खर्च तो अमूमन हर परिवार वहन करता है मगर अब कोरोना काल के कारण इनके सामने भी रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है.
झाबुआ जिले में 50 से अधिक बैंड पार्टी हैं, जिसमें एक हजार के करीब लोगों को अप्रैल-मई और शादियों के सीजन में अच्छा रोजगार मिल जाया करता था. फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी में 600 लोगों का रोजगार जुड़ा है. घोड़ी की डिमांड शादियों में होने के चलते झाबुआ के एक दर्जन घोड़ी मालिकों को पिछले 40 दिनों से कोई काम नहीं मिला, जिसके चलते इन घोड़ियों के लिये चारे पानी की व्यवस्था करना चुनौती बनती जा रही है. कोरोना के चलते शादियां कैंसिल हुईं, जिसके चलते इन लोगों के सामने आर्थिक बदहाली के साथ-साथ इन पर आश्रित मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है अब इन लोगों ने सरकार से मदद की गुहार भी लगाई है.
नजर नहीं आ रही आशा की किरण
लॉकडाउन के चलते देश भर में शादी विवाह के तय कार्यक्रम अनिश्चित समय के बढ़ा दिए गए हैं और जो कि ज्योतिष गणना के आधार पर शुभ मुहूर्त पर ही आयोजित होते हैं. ऐसी स्थिति शादी विवाह में चमकने वाले कारोबार भी ठप हो गए हैं. इससे जुड़े लोगों को साल भर के लिए यही दो महीने कामाई के होते हैं, जिसकी आशा अब लगभग खत्म ही नजर आ रही है.