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ट्रेंचिंग ग्राउंड में गंदगी का अंबार, जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर छात्र

झाबुआ के थांदला में न तो स्वच्छता अभियान का ख्याल रखा जा रहा है और न ही स्कूली छात्रों पर हो रहे प्रदूषण के असर का, नवोदय विद्यालय से सटे ट्रेंचिंग ग्राउंड की वजह से छात्र जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं.

trenching ground near school
ट्रेंचिंग ग्राउंड में गंदगी का अंबार
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Published : Dec 11, 2019, 3:13 PM IST

झाबुआ। आदिवासी बहुल झाबुआ जिले के थांदला में नगर परिषद स्वच्छता अभियान को किस तरह से पलीता लगा रहा है, इसका जीता-जागता नजारा थांदला नगर परिषद के ट्रेंचिंग ग्राउंड पर देखा जा सकता है. यहां शहर से निकलने वाला सैकड़ों टन कचरा जलाया जाता है. जिससे प्रदूषण फैल रहा है. एनजीटी के नियमों की धज्जियां भी किस तरह से उड़ाई जा रही हैं, ये भी इस ग्राउंड की तस्वीरें खुद-ब-खुद बयां करती हैं. खास बात तो ये है कि इसी ट्रेंचिंग ग्राउंड से सटा हुआ है जवाहर नवोदय विद्यालय, जहां के छात्र जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं.


कैसे लें शुद्ध हवा में सांस

डंपिंग यार्ड के पास ही बने जवाहर नवोदय विद्यालय में पढ़ने वाले 250 से ज्यादा छात्र-छात्राएं ट्रेंचिंग ग्राउंड पर डाले जाने वाली कचरे और गंदगी की दुर्गंध से परेशान हैं. इतना ही नहीं वहां फैली मक्खियों का प्रकोप इतना ज्यादा है कि छात्रों के परिजन बच्चों के स्वास्थ्य के लिए परेशान हैं. स्कूली बच्चों का कहना है कि एक ओर देशभर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वच्छता अभियान चला रहे हैं. लेकिन स्कूल के पास कचरा फेंक कर क्या सरकार उन्हें बीमार करना चाहती है? छात्रों ने बताया कि वे स्कूल के प्ले ग्राउंड में खेल नहीं पाते हैं. पास में ही कचरा डंप भी किया जाता है और जलाया भी. जिससे हवा काफी प्रदूषित रहती है. इस मामले में बच्चों और उनके अभिभावकों ने स्थानीय प्रशासन से लेकर कलेक्टर और विधायक से लेकर संसद तक कई बार गुहार लगाई है, लेकिन समस्या जस की तस बनीं हुई है.

डंपिंग यार्ड हटाओ !


प्रभावित हो रही खेती-किसानी भी

ट्रेचिंग ग्राउंड पर फेंके जाने वाले कचरे में प्लास्टिक भी होता है. जो यार्ड के अनकवर्ड होने की वजह से पास के खेतों में उड़ता है. जिस कारण खेती भी प्रभावित होने लगी है. किसानों का कहना है कि प्लास्टिक के कारण उनके खेतों में उपज कम हो रही है. तो वहीं दूसरी ओर यार्ड में मृत मवेशियों के अवशेष भी फेंके जाते हैं. जिसकी दुर्गंध न सिर्फ स्कूल के बच्चों बल्कि स्कूल में रहने वाले शिक्षक और उनके परिजनों को भी परेशान कर रही है.

एनजीटी के नियमों की उड़ रही धज्जियां

खुले में कचरा जलाने पर एनजीटी ने सख्त एतराज जताया है. बावजूद इसके इस नियम को दरकिनार करते हुए सरकारी निकाय खुद ही प्रदूषण फैला रहे हैं. सोचने की बात है कि जब सरकारी निकाय ही ऐसा करेंगे तो इन पर जुर्माना कौन लगाएगा.


प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान

आलम ये है कि थांदला पेटलावद स्टेट हाइवे से गुजरने वाले वाहन चालकों को भी अपनी नाक बंद कर इस यार्ड के सामने से रोज गुजरना पड़ता है. साथ ही स्कूल के बच्चों को रोज इसी डंपिंग यार्ड के रास्ते स्कूल आना-जाना पड़ता है. गंदगी के कारण बच्चों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. बावजूद इसके स्थानीय प्रशासन ना तो ट्रेंचिंग ग्राउंड को व्यवस्थित करने में रुचि दिखा रहा है और ना ही इसका स्थान परिवर्तन करने पर जिला प्रशासन कोई गंभीर प्रयास कर रहा है.

झाबुआ। आदिवासी बहुल झाबुआ जिले के थांदला में नगर परिषद स्वच्छता अभियान को किस तरह से पलीता लगा रहा है, इसका जीता-जागता नजारा थांदला नगर परिषद के ट्रेंचिंग ग्राउंड पर देखा जा सकता है. यहां शहर से निकलने वाला सैकड़ों टन कचरा जलाया जाता है. जिससे प्रदूषण फैल रहा है. एनजीटी के नियमों की धज्जियां भी किस तरह से उड़ाई जा रही हैं, ये भी इस ग्राउंड की तस्वीरें खुद-ब-खुद बयां करती हैं. खास बात तो ये है कि इसी ट्रेंचिंग ग्राउंड से सटा हुआ है जवाहर नवोदय विद्यालय, जहां के छात्र जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं.


कैसे लें शुद्ध हवा में सांस

डंपिंग यार्ड के पास ही बने जवाहर नवोदय विद्यालय में पढ़ने वाले 250 से ज्यादा छात्र-छात्राएं ट्रेंचिंग ग्राउंड पर डाले जाने वाली कचरे और गंदगी की दुर्गंध से परेशान हैं. इतना ही नहीं वहां फैली मक्खियों का प्रकोप इतना ज्यादा है कि छात्रों के परिजन बच्चों के स्वास्थ्य के लिए परेशान हैं. स्कूली बच्चों का कहना है कि एक ओर देशभर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वच्छता अभियान चला रहे हैं. लेकिन स्कूल के पास कचरा फेंक कर क्या सरकार उन्हें बीमार करना चाहती है? छात्रों ने बताया कि वे स्कूल के प्ले ग्राउंड में खेल नहीं पाते हैं. पास में ही कचरा डंप भी किया जाता है और जलाया भी. जिससे हवा काफी प्रदूषित रहती है. इस मामले में बच्चों और उनके अभिभावकों ने स्थानीय प्रशासन से लेकर कलेक्टर और विधायक से लेकर संसद तक कई बार गुहार लगाई है, लेकिन समस्या जस की तस बनीं हुई है.

डंपिंग यार्ड हटाओ !


प्रभावित हो रही खेती-किसानी भी

ट्रेचिंग ग्राउंड पर फेंके जाने वाले कचरे में प्लास्टिक भी होता है. जो यार्ड के अनकवर्ड होने की वजह से पास के खेतों में उड़ता है. जिस कारण खेती भी प्रभावित होने लगी है. किसानों का कहना है कि प्लास्टिक के कारण उनके खेतों में उपज कम हो रही है. तो वहीं दूसरी ओर यार्ड में मृत मवेशियों के अवशेष भी फेंके जाते हैं. जिसकी दुर्गंध न सिर्फ स्कूल के बच्चों बल्कि स्कूल में रहने वाले शिक्षक और उनके परिजनों को भी परेशान कर रही है.

एनजीटी के नियमों की उड़ रही धज्जियां

खुले में कचरा जलाने पर एनजीटी ने सख्त एतराज जताया है. बावजूद इसके इस नियम को दरकिनार करते हुए सरकारी निकाय खुद ही प्रदूषण फैला रहे हैं. सोचने की बात है कि जब सरकारी निकाय ही ऐसा करेंगे तो इन पर जुर्माना कौन लगाएगा.


प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान

आलम ये है कि थांदला पेटलावद स्टेट हाइवे से गुजरने वाले वाहन चालकों को भी अपनी नाक बंद कर इस यार्ड के सामने से रोज गुजरना पड़ता है. साथ ही स्कूल के बच्चों को रोज इसी डंपिंग यार्ड के रास्ते स्कूल आना-जाना पड़ता है. गंदगी के कारण बच्चों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. बावजूद इसके स्थानीय प्रशासन ना तो ट्रेंचिंग ग्राउंड को व्यवस्थित करने में रुचि दिखा रहा है और ना ही इसका स्थान परिवर्तन करने पर जिला प्रशासन कोई गंभीर प्रयास कर रहा है.

Intro:झाबुआ : आदिवासी बहुल झाबुआ जिले की थांदला नगर परिषद द्वारा स्वच्छता अभियान को किस तरह से पलीता लगाया जा रहा है उसकी तस्वीर थांदला नगर परिषद के ट्रेंचिंग ग्राउंड पर देखी जा सकती है। यहा शहर से निकलने वाले सेकड़ो टन कचरे को जलाकर इससे प्रदूषण फैलाया जा रहा है। एनजीटी ने खुले में कचरा जलाने पर सख्त एतराज जताया हुआ है ऐसे में सरकारी निकायों द्वारा ही यदि प्रदूषण फैलाया जाए तो उस पर जुर्माना कौन करेगा। नगर पालिका जिस स्थान पर कचरे को डंप करती है उसी से सटकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय का जवाहर नवोदय विद्यालय भी संचालित होता है।


Body:डंपिंग यार्ड के पास बने जवाहर नवोदय विद्यालय में पढ़ने वाले ढाई सौ से अधिक छात्र-छात्राएं डंपिंग यार्ड पर डाले जाने वाली गंदगी की दुर्गंध और वहां फैली मक्खियों के प्रकोप से इन दिनों खासे परेशान हैं। स्कूली बच्चों का कहना है कि एक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वच्छता अभियान देशभर में चला रहे हैं मगर उनकी स्कूल के पास में कचरा फेंक कर क्या सरकार उन्हें बीमार करना चाहती है? इस मामले में बच्चों और उनके अभिभावकों ने स्थानीय प्रशासन से लेकर कलेक्टर और विधायक से लेकर संसद तक गुहार लगा ली है मगर समस्या सुलझने का नाम नहीं।


Conclusion:ट्रेचिंग ग्राउंड पर फेंके जाने वाले कचरे में प्लास्टिक भी होता है जो यार्ड के अनकवर्ल्ड होने के कारण पास के खेतों में उड़ता है जिससे खेती भी प्रभावित होने लगी। किसानों का कहना है कि प्लास्टिक के कारण उनके खेतों में उपज कम हो रही है तो दूसरी ओर जहां मृत मवेशियों के अवशेष भी फेंके जाते हैं जिसकी दुर्गंध न सिर्फ स्कूल के बच्चों बल्कि स्कूल में रहने वाले शिक्षक और उनके परिवारजनों को भी परेशान कर रही है। आलम यह है थांदला पेटलावद स्टेट हाइवे से गुजरने वाले वाहन चालकों को भी अपनी नाक बंद कर कर इस यार्ड के सामने से रोज गुजरना पड़ता है। मॉडल स्कूल के बच्चों को इसी डंपिंग यार्ड के रास्ते अपने स्कूल रोज आना जाना करना पड़ता है। गंदगी के कारण बच्चों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है बावजूद इसके स्थानीय प्रशासन ना तो ट्रेचिंग ग्राउंड को व्यवस्थित करने में रुचि दिखा रहा है और ना ही इसका स्थान परिवर्तन करने पर जिला प्रशासन कोई गंभीर प्रयास कर रहा है, ऐसे में आने वाले दिनों में भी जवाहर नवोदय विद्यालय के बच्चों को राहत मिलेगी इसके आसार कम ही है।
बाइट श्यामलाल, स्थानीय किसान
बाइट : सविता डामोर ,अभिभावक
बाइट: लाल चंद्र देवल ,अभिभावक
बाइट :स्कूल छात्रा
बाइट: स्कूल छात्र
बाइट : अंतिमबाला पांचाल, स्टाफ नर्स
बाइट : स्कूल प्रभारी

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