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सैकड़ों किलोमीटर से झाबुआ पैदल पहुंच रहे मजदूर, प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान - laborers coming from many states

झाबुआ में कई राज्यों से अपने घर पैदल ही मजदूर लौट रहे हैं. जिनकी सीमाओं में किसी भी प्रकार की कोई जांच नही की जा रही है. जिससे जिले में कोरोना वायरस आने का भी खतरा हो सकता है.

There is no testing of laborers coming from many states in Jhabua
सैकड़ों किलोमीटर से पैदल आ रहे मजदूर
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Published : Mar 26, 2020, 9:53 PM IST

Updated : Mar 27, 2020, 12:00 AM IST

झाबुआ। 21 दिनों के लॉकडाउन के चलते सबसे ज्यादा परेशानी श्रमिक वर्ग को उठानी पड़ रही है. जिले से हजारों की संख्या में रोजगार की तलाश में गुजरात के महानगरों में अस्थायी रूप से बसे श्रमिको को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. लॉकडाउन से आदिवासी समुदाय मजदूरों को ना तो मजदूरी मिल रही है और ना ही खाने-पीने की चीजें.

सैकड़ों किलोमीटर से पैदल आ रहे मजदूर

लोक परिवहन के संसाधनों और यातायात संबंधी तमाम साधन भी बंद हैं. लिहाजा ये आदिवासी समुदाय के श्रमिक अपने परिवार के साथ सैकड़ो किलोमीटर पैदल ही अपने वतन लौटने लगे हैं. गरीब और मजदूरों की इस स्थिति को लेकर ना तो गुजरात सरकार और ना ही मध्य प्रदेश सरकार संवेदनशील दिखाई दे रही है. लोक परिवहन के साधन न होने के चलते बड़ी संख्या में यह श्रमिक जिले की अलग-अलग सीमाओं से प्रवेश कर रहे हैं. गुजरात से आने वाले कई प्रवेश द्वारों पर मेडिकल कैंप नही है. जिनसे इनकी टेस्टिंग भी नही हो पा रही है, ऐसे में किसी मजदूर के कोरोना संक्रमण से पीड़ित होने से बड़ा खतरा जिले में आ सकता है.

गुजरात के अहमदाबाद, अंकलेश्वर और बड़ौदा से पैदल आ रहे श्रमिकों की जानकारी थांदला के कुछ जागरूक लोगों ने प्रशासन को दी. जिसके बाद मौके पर पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दर्जनों मजदूरों की स्क्रीनिंग और जांच के बाद जाने दिया गया. मजदूरों ने बताया कि आधा रास्ता पैदल ही तय करके पहुंचे हैं. इनमें कई मजदूर रतलाम जिले के बाजना के है तो कई मुरैना के थे.

झाबुआ। 21 दिनों के लॉकडाउन के चलते सबसे ज्यादा परेशानी श्रमिक वर्ग को उठानी पड़ रही है. जिले से हजारों की संख्या में रोजगार की तलाश में गुजरात के महानगरों में अस्थायी रूप से बसे श्रमिको को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. लॉकडाउन से आदिवासी समुदाय मजदूरों को ना तो मजदूरी मिल रही है और ना ही खाने-पीने की चीजें.

सैकड़ों किलोमीटर से पैदल आ रहे मजदूर

लोक परिवहन के संसाधनों और यातायात संबंधी तमाम साधन भी बंद हैं. लिहाजा ये आदिवासी समुदाय के श्रमिक अपने परिवार के साथ सैकड़ो किलोमीटर पैदल ही अपने वतन लौटने लगे हैं. गरीब और मजदूरों की इस स्थिति को लेकर ना तो गुजरात सरकार और ना ही मध्य प्रदेश सरकार संवेदनशील दिखाई दे रही है. लोक परिवहन के साधन न होने के चलते बड़ी संख्या में यह श्रमिक जिले की अलग-अलग सीमाओं से प्रवेश कर रहे हैं. गुजरात से आने वाले कई प्रवेश द्वारों पर मेडिकल कैंप नही है. जिनसे इनकी टेस्टिंग भी नही हो पा रही है, ऐसे में किसी मजदूर के कोरोना संक्रमण से पीड़ित होने से बड़ा खतरा जिले में आ सकता है.

गुजरात के अहमदाबाद, अंकलेश्वर और बड़ौदा से पैदल आ रहे श्रमिकों की जानकारी थांदला के कुछ जागरूक लोगों ने प्रशासन को दी. जिसके बाद मौके पर पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दर्जनों मजदूरों की स्क्रीनिंग और जांच के बाद जाने दिया गया. मजदूरों ने बताया कि आधा रास्ता पैदल ही तय करके पहुंचे हैं. इनमें कई मजदूर रतलाम जिले के बाजना के है तो कई मुरैना के थे.

Last Updated : Mar 27, 2020, 12:00 AM IST
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