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कलयुग के श्रवण कुमार, पिता को कंधे पर बिठाकर बेटे ने तय किया गुजरात से झाबुआ का सफर

झाबुआ में मजदूरों की एक मजबूरी भरी तस्वीर सामने आई है. जहां एक मजदूर अपने दिव्यांग पिता को कांधे पर बिठाकर गुजरात से पैदल चलकर झाबुआ पहुंचा. जिसे देखकर हर कोई हैरान रह गया. हालांकि युवक को झाबुआ से बस से घर भेज दिया गया.

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झाबुआ न्यूज
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Published : May 13, 2020, 3:24 PM IST

झाबुआ। मजदूरों की घर वापसी लगातार जारी है. लेकिन कई मजदूर, मजबूरी के चलते कुछ इस तरह अपना सफर तय कर रहे हैं, जिसे देखकर हर कोई हैरान रह जाता है. झाबुआ से लगे गुजरात बॉर्डर पर ऐसा ही एक नजारा देखने को मिला. जहां एक बेटे अपने पिता को कांधे पर बिठाकर गुजरात से पैदल चलता हुआ झाबुआ पहुंचा था.

कलयुग के श्रवण कुमार

ये भी पढ़ेंः शिव'राज' के दावों की 83 मजदूरों ने खोली पोल, घर पहुंचने के लिए चुकाए लाखों रुपए

बुधवार सुबह एक युवक अपने कंधों पर दिव्यांग पिता को उठाकर गुजरात से प्रदेश की सीमा में दाखिल हुआ. उसने बताया कि वो गुजरात से इसी तरह पैदल चल रहा है. लेकिन उसे इस दौरान किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिली. हालांकि झाबुआ में पहुंचते ही मजदूर को बस से घर भेजा गया. इस दौरान उसकी स्क्रीनिंग और जांच भी की गई. जबकि रास्ते के लिए खाने की व्य्वस्था कर उसे घर रवाना किया गया.

ये भी पढ़ेंः कोरोना से बंद हुई रोजी-रोटी, पुणे से 1300 किमी के सफर पर पैदल निकले मजदूर

युवक का वीडियो सोशल मीडिया पर कलयुगी श्रवण कुमार के रूप में खूब वायरल हो रहा है. लॉकडाउन के चलते देशभर में श्रमिकों की अलग-अलग तस्वीरें सामने आई हैं लेकिन ये तस्वीर मार्मिक कर देने वाली है. बता दें कि झाबुआ से सटी गुजरात की सीमा पर प्रवासी मजदूर लगातार पहुंच रहे हैं. जिन्हें घर भेजने के काम में प्रशासन लगा हुआ है. इस दौरान मजदूरों की कई परेशानियां सामने आ रही हैं.

झाबुआ। मजदूरों की घर वापसी लगातार जारी है. लेकिन कई मजदूर, मजबूरी के चलते कुछ इस तरह अपना सफर तय कर रहे हैं, जिसे देखकर हर कोई हैरान रह जाता है. झाबुआ से लगे गुजरात बॉर्डर पर ऐसा ही एक नजारा देखने को मिला. जहां एक बेटे अपने पिता को कांधे पर बिठाकर गुजरात से पैदल चलता हुआ झाबुआ पहुंचा था.

कलयुग के श्रवण कुमार

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बुधवार सुबह एक युवक अपने कंधों पर दिव्यांग पिता को उठाकर गुजरात से प्रदेश की सीमा में दाखिल हुआ. उसने बताया कि वो गुजरात से इसी तरह पैदल चल रहा है. लेकिन उसे इस दौरान किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिली. हालांकि झाबुआ में पहुंचते ही मजदूर को बस से घर भेजा गया. इस दौरान उसकी स्क्रीनिंग और जांच भी की गई. जबकि रास्ते के लिए खाने की व्य्वस्था कर उसे घर रवाना किया गया.

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