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प्रशासन की मौन स्वीकृति से पहाड़ियों की हो रही कटाई, सवालों के घेरे में अधिकारियों की कार्रवाई

निजी लाभ के लिए पहले तो सरकारी सर्वे की पहाड़ियों को काट दिया गया. बाद में निजी सर्वे की भूमियों की पहाड़ियों को काटा जा रहा है.

पहाड़ियों की खुदाई
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Published : Jun 19, 2019, 11:30 PM IST

झाबुआ। जिले में सरकारी जमीन पर जमकर अतिक्रमण हो रहा है. इन अतिक्रमण पर बड़ी-बड़ी बिल्डिंग भी तनती जा रही हैं. ताजा मामला शहर के रतनपुरा का है, जहां प्राकृतिक महत्व की पहाड़ियों के अस्तित्व को समाप्त कर कॉलोनी काटी जा रही है.

रतनपुरा के सर्वे क्रमांक 5 पर पहाड़ी मौजूद थी, जो नक्शे और पुराने रिकॉर्ड में भी दर्ज है. निजी लाभ के लिए पहले तो सरकारी सर्वे की पहाड़ियों को काट दिया गया. बाद में निजी सर्वे की भूमियों की पहाड़ियों को काटा जा रहा है. यह पहाड़ शहर के मुख्य हाथीपावा पहाड़ की श्रृंखला है, जहां सालों से फॉरेस्ट पुलिस और दूसरी सामाजिक संस्थाएं वृक्षारोपण करते आ रहे हैं.

प्रशासन की मौन स्वीकृति से पहाड़ियों की हो रही कटाई

हाथी पावा की पहाड़ी पर वृक्षारोपण कर पूर्व एसपी महेश चंद्र जैन ने राष्ट्रपति अवॉर्ड भी हासिल किया था. पहाड़ियों की अंधाधुंध कटाई की शिकायत पर तहसीलदार झाबुआ ने पिछले दिनों दो पोकलेन, दो जेसीबी, 3 डंपर मशीन जब्त किए थे, जिन्हें बिना अनुमति खनिज संपदा के खनन और परिवहन का दोषी पाने पर राजसात करने का प्रतिवेदन एसडीएम को दिया गया था. एसडीएम ने तहसीलदार की रिपोर्ट के उलट अपनी रिपोर्ट में सब कुछ नियमों के अनुसार बता कर खननकर्ताओं को राहत दे दी, जो कहीं ना कहीं जांच का विषय है.

भू राजस्व संहिता की धारा 247(1) कहती है कि जमीन का ऊपरी सतह पर भूस्वामी का मालिकाना हक होता है. लेकिन भीतरी सतह पर निकलने वाली खनिज संपदा पर शासन का अधिकार होता है. यहां करोड़ों टन मुरुम खनन किया गया है. इस नियम के तहत निकलने वाले मुरुम पर सरकार का राजस्व बनता है, बावजूद न तो इस मामले में एसडीएम कुछ बता रहे और ना ही कलेक्टर कुछ बताने को तैयार हैं, जिससे पूरा मामला संदिग्ध बनता जा रहा है.

झाबुआ। जिले में सरकारी जमीन पर जमकर अतिक्रमण हो रहा है. इन अतिक्रमण पर बड़ी-बड़ी बिल्डिंग भी तनती जा रही हैं. ताजा मामला शहर के रतनपुरा का है, जहां प्राकृतिक महत्व की पहाड़ियों के अस्तित्व को समाप्त कर कॉलोनी काटी जा रही है.

रतनपुरा के सर्वे क्रमांक 5 पर पहाड़ी मौजूद थी, जो नक्शे और पुराने रिकॉर्ड में भी दर्ज है. निजी लाभ के लिए पहले तो सरकारी सर्वे की पहाड़ियों को काट दिया गया. बाद में निजी सर्वे की भूमियों की पहाड़ियों को काटा जा रहा है. यह पहाड़ शहर के मुख्य हाथीपावा पहाड़ की श्रृंखला है, जहां सालों से फॉरेस्ट पुलिस और दूसरी सामाजिक संस्थाएं वृक्षारोपण करते आ रहे हैं.

प्रशासन की मौन स्वीकृति से पहाड़ियों की हो रही कटाई

हाथी पावा की पहाड़ी पर वृक्षारोपण कर पूर्व एसपी महेश चंद्र जैन ने राष्ट्रपति अवॉर्ड भी हासिल किया था. पहाड़ियों की अंधाधुंध कटाई की शिकायत पर तहसीलदार झाबुआ ने पिछले दिनों दो पोकलेन, दो जेसीबी, 3 डंपर मशीन जब्त किए थे, जिन्हें बिना अनुमति खनिज संपदा के खनन और परिवहन का दोषी पाने पर राजसात करने का प्रतिवेदन एसडीएम को दिया गया था. एसडीएम ने तहसीलदार की रिपोर्ट के उलट अपनी रिपोर्ट में सब कुछ नियमों के अनुसार बता कर खननकर्ताओं को राहत दे दी, जो कहीं ना कहीं जांच का विषय है.

भू राजस्व संहिता की धारा 247(1) कहती है कि जमीन का ऊपरी सतह पर भूस्वामी का मालिकाना हक होता है. लेकिन भीतरी सतह पर निकलने वाली खनिज संपदा पर शासन का अधिकार होता है. यहां करोड़ों टन मुरुम खनन किया गया है. इस नियम के तहत निकलने वाले मुरुम पर सरकार का राजस्व बनता है, बावजूद न तो इस मामले में एसडीएम कुछ बता रहे और ना ही कलेक्टर कुछ बताने को तैयार हैं, जिससे पूरा मामला संदिग्ध बनता जा रहा है.

Intro:झाबुआ: सत्ता का रसूख रखने वाले प्रशासन को भी अपने जूते की नोक पर रखते हैं , ऐसा सुना तो खूब था मगर झाबुआ में इसकी बानगी भी नजर आ गई । यहां सरकारी जमीनों पर जमकर अतिक्रमण हो रहा है और इन अतिक्रमण पर बड़ी- बड़ी बिल्डिंग भी तनती जा रही है। ताजा मामला शहर के रतनपुरा का है जहां प्राकृतिक महत्व की पहाड़ियों के अस्तित्व को समाप्त कर कॉलोनी काटी जा रही है ।


Body:रतनपुरा के सर्वे क्रमांक 5 पर पहाड़िया मौजूद थी जो नक्शे और पुराने रिकॉर्ड में भी दर्ज है। निजी लाभ के लिए पहले तो सरकारी सर्वे की पहाड़ियों को काट दिया गया बाद में निजी सर्वे की भूमियों की पहाडियो को काटा जा रहा है । यह पहाड़ शहर के मुख्य हाथीपावा पहाड़ की श्रंखला है जहाँ सालो से फॉरेस्ट पुलिस और अन्य सामाजिक संस्थाएं वृक्षारोपण करते आ रहे हैं। ज्ञातव्य है कि हाथी पावा की पहाड़ी पर वृक्षारोपण कर पूर्व एसपी महेश चंद्र जैन ने राष्ट्रपति अवार्ड भी हासिल किया था ।


Conclusion:पहाड़ियों की अंधाधुंध कटाई की शिकायत पर तहसीलदार झाबुआ ने पिछले दिनों दो पोकलेन, दो जेसीबी, 3 डंपर मशीन जप्त किए थे जिन्हें बिना अनुमति खनिज संपदा के खनन और परिवहन का दोषी पाते राजसात करने का प्रतिवेदन एसडीएम को दिया गया था। एसडीएम ने तहसीलदार की रिपोर्ट के उलट अपनी रिपोर्ट में सब कुछ नियमों के अनुसार बता कर खनन कर्ताओ को राहत दे दी । जो कहीं ना कहीं जांच का विषय है । भू राजस्व संहिता की धारा 247(1) कहती है कि जमीन का ऊपरी सतह पर भूस्वामी का मालिकाना हक होता है मगर भीतरी सतह पर निकलने वाली खनिज संपदा पर शासन का अधिकार होता है । यहाँ करोड़ो टन मुरम खंनन किया गया है । इस नियम के तहत निकलने वाले मुहर्रम पर सरकार का राजस्व बनता है, जिसका नुकसान यह हो रहा है बावजूद न तो इस मामले में एसडीएम,कुछ बता रहे और ना एएडीएम से साथ कलेक्टर कुछ बताने को तैयार है, जिससे पूरा मामला संदिग्ध बनता जा रहा है ।
बाइट : आदित्य वाजपेई, शिकायतकर्ता

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