झाबुआ। सरकार ने खेलो इंडिया के तहत ग्रामीण क्षेत्रों से प्रतिभा तराशने की योजना के तहत लाखों रुपये खर्च कर इसका प्रसार प्रचार किया, लेकिन जिम्मेदार ही सरकार की योजनाओं को पलीता लगा रहे हैं. मध्यप्रदेश सरकार ने झाबुआ के खवासा गांव में 80 लाख रुपए खर्च कर ग्रामीण खेलों और खेल प्रतिभाओं को उभारने के लिए स्टेडियम का निर्माण कराया था. इससे सुदूर इलाकों में रहने वाले खिलाड़ियों को एक नया जोश आया कि अब उनकी प्रतिभा को विश्व पटल दिखेगी लेकिन अफसोस ग्रामीण क्षेत्र के युवा आज भी सुविधाओं के अभाव में खेल रहा है.
खवासा में बनाया गया स्टेडियम निर्माण के बाद से ही जर्जर होता जा रहा है. 2018 के अंत में बना ये स्टेडियम आज देखने पर 10 साल से भी पुराना लगने लगा है, वह भी बिना उपयोग में आये. ये खेल मैदान निर्माण एजेंसी ने किसको हैंड ओवर किया इसकी जानकारी ना तो स्थानीय लोगों को है और ना ही गांव की पंचायत को है.
बदहाल होता स्टेडियम
2016 में आरआईएस विभाग (जिला पंचायत) ने निजी ठेकेदारों के माध्यम से इसका निर्माण कराया था. हैरानी तो इस बात की है कि जिन खिलाड़ियों और खेल प्रतिभाओं के लिए खेल मैदान और मिनी स्टेडियम का निर्माण हुआ, उनके उपयोग से पहले ही खेल मैदान बदहाल और जर्जर हो गया.
80 लाख से बने स्टेडियम में भ्रष्टाचार
मध्यप्रदेश में ग्रामीण खेल और खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए हर विकासखंड में खेल नीति के तहत खेल मैदान और मिनी स्टेडियम बनाने का लक्ष्य रखा था. जिले में विकासखंड स्तर पर खेल मैदानों के लिए जरूरत के अनुसार जमीने ना मिलने से झाबुआ जिले की 3 विधानसभाओं में एक-एक ग्रामीण खेल परिसर बनाए गए. झाबुआ विधानसभा के लिए ग्राम कल्याणपुरा में 3 हेक्टेयर भूमि पर खेल परिसर और मिनी स्टेडियम बनाया गया, जबकि पेटलावद विधानसभा के लिए ग्राम जामली में 4 हेक्टेयर भूमि पर खेल मैदान बनकर तैयार है. इन खेल परिसर और स्टेडियम की लागत 80 से 90 लाख है, जो खेल एवं युवा कल्याण विभाग को संचालित करना था, लेकिन खवासा में निर्माण के बाद से ना तो विभाग और ना ही प्रशासन ने यहां कोई खेल प्रतियोगिता आयोजित कराई.
घटिया निर्माण से हुआ स्टेडियम का निर्माण
खिलाड़ियों के मुताबिक मैदान का ना तो समतलीकरण किया गया और ना ही उस पर कोई ट्रैक तैयार किया गया. मैदान में बनाया गया मिनी स्टेडियम खराब गुणवत्ता के चलते उपयोग में नहीं लिया जा रहा है. थांदला जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष राजू भगत ने बताया कि निर्माण एजेंसी के इंजीनियरों ने ठेकेदार के घटिया कामों को कमीशन के चलते ऐसा बना दिया, जिसका खामियाजा अब स्टेडियम को उठाना पड़ रहा है.
आज तक नहीं हुई कोई प्रतियोगिता
खवासा के सरपंच रमेश बारिया का कहना है कि खेल परिसर को बने दो साल हो चुके हैं, लेकिन यहां कोई खेल प्रतियोगिता नहीं हुई. खेल परिसर का रखरखाव का जिम्मा किसके पास है, उन्हें इसकी जानकारी नहीं है. खिलाड़ियों को स्टेडियम में बैठने से इसलिए डर लगता है, क्योंकि उसकी छत झुकने लगी है. संबंधित विभाग द्वारा अनदेखा करने से असामाजिक तत्व का अड्डा बन रहा है.
प्रशासनिक अधिकारियों ने नहीं ली सुध
सरकार ने खिलाड़ियों के खेल कौशल को बढ़ाने और प्रादेशिक स्तर पर खेलों में प्रदेश का नाम रोशन करने के लिए गांवों में खेल मैदान बनाए हैं, लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा के चलते यह खेल मैदान उपयोग से पहले ही बदहाल होते जा रहे हैं.