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झाबुआ: कौशल विकास विभाग ने औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान तो बनाए पर नहीं खोले ट्रेड, दो साल से बिल्डिंग पड़ी है खाली

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Published : Nov 14, 2020, 12:35 AM IST

झाबुआ के मध्यप्रदेश सरकार ने कौशल विकास विभाग के माध्यम से झाबुआ जिले में तीन नए औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान(आईटीआई) की निर्माण करवाया गया, लेकिन इनमें ट्रेड का संचालन नहीं होने से छात्रों को मेघनगर के बामनिया के आईटीआई में प्रशिक्षण के लिए जाना पड़ रहा है.Jhabua News

ITI building vacant
आईटीआई की बिल्डिंग खाली

झाबुआ। शिक्षित छात्र-छात्राओं को तकनीकी शिक्षा देने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने कौशल विकास विभाग के माध्यम से झाबुआ जिले में तीन नए औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के लिए करोड़ों रुपए का बजट दिया. इस बजट से झाबुआ जिले के मेघनगर ब्लॉक के फुट तालाब, थांदला ब्लॉक और पेटलावद ब्लॉक के रोटला में आईटीआई भवन के साथ में बालक- बालिकाओं के लिए छात्रावास और प्राचार्य निवास का निर्माण होना था. निर्माण कार्य का जिम्मा पीआईयू को सौंपा गया. एक आईटीआई भवन बनाने के लिए 995.21 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति और 882.66 लाख रुपए की तकनीकी स्वीकृति दी गई, ताकि यहां पढ़ने वाले छात्रों को तमाम सुविधाएं उपलब्ध हो सके, मगर सरकार द्वारा इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बाद भी विभाग इन आईटीआई में अभी तक सभी ट्रेड शुरू नहीं हो पाए है.

दो साल से बिल्डिंग पड़ी है खाली

पांच में से एक ट्रेड हो रही संचालित

मेघनगर विकासखंड के ग्राम फुट तालाब में संचालित हो रही आईटीआई में केवल एक ट्रेड (इलेक्ट्रिशियन) संचालित हो रही है, जबकि 2016 में बिल्डिंग का निर्माण 5 ट्रैड के हिसाब से किया गया. बीते तीन सालों में इन आईटीआई के लिए विभाग ना तो ट्रेनर की नियुक्ति कर पाया और ना ही आईटीआई के लिए जरूरी स्टॉफ की, लिहाजा बिना ट्रेनर और बिना छात्रों के ये करोड़ों की बिल्डिंग सरकारी नीतियों का मुंह चिढ़ा रही है. औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षण लेने वाले छात्र-छात्राओं को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने के लिए सरकार इन संस्थाओं में छात्र-छात्राओं को तकनीकी शिक्षा देती है, मगर केवल इमारते खड़ी करने से इन बच्चों को न तकनीकी शिक्षा मिलेगी और ना ही वे रोजगार पा सकेंगे, ऐसे में सरकार को अपनी नीति में बदलाव करने की जरूरत है.

झाबुआ जिले में पांच आईटीआई है, जिनमें से तीन आईटीआई में केवल इलेक्ट्रिशियन ट्रेड संचालित हो रहा है. नवीन आईटीआई के लिए सरकार ने 35 पद स्वीकृत किए हैं, मगर इन 35 पदों के विरुद्ध केवल एक पद ही विभाग पिछले 3 सालों में भर पाया है, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मध्य प्रदेश सरकार की तकनीकी शिक्षा किस दिशा में जा रही है. ऐसे में वे छात्र भी अब सरकार की नीतियों पर सवाल खड़ा कर रहे हैं, जो छात्र इन आईटीआई में अलग-अलग ट्रेडों में प्रशिक्षण लेने के एडमिशन की राह तक रहे थे, उन्हें ट्रैड और ट्रेनर की कमी के चलते जिले की बामनिया आईटीआई में एडमिशन लेना पड़ा.

कुछ छात्रों ने पसन्दीदा ट्रैड की शुरुआत ना होने से कॉलेज में एडमिशन ले लिया. क्षेत्रीय विधायक वीर सिंह भुरिया कह रहे हैं कि आईटीआई बना कर सरकार ने पैसों की बर्बादी की है, सरकार की प्रॉपर प्लानिंग ना होने के चलते झाबुआ जिले में आईटीआई के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं, जिससे ना तो जिले के बच्चों को लाभ मिल रहा है और न ही इन इमारतों का सही उपयोग हो रहा है. विधायक ने आईटीआई की बिल्डिंगों को धर्मशाला तक बता दिया है. जिले की तीन आईटीआई ट्रैड ना होने को लेकर नोडल अधिकारी और झाबुआ आईटीआई के प्राचार्य जीएस हरवाल कहते हैं कि यह शासन स्तर का मामला है, जैसे आदेश शासन स्तर से आएंगे वैसे आगे की कार्रवाई की जाएगी.

झाबुआ। शिक्षित छात्र-छात्राओं को तकनीकी शिक्षा देने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने कौशल विकास विभाग के माध्यम से झाबुआ जिले में तीन नए औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के लिए करोड़ों रुपए का बजट दिया. इस बजट से झाबुआ जिले के मेघनगर ब्लॉक के फुट तालाब, थांदला ब्लॉक और पेटलावद ब्लॉक के रोटला में आईटीआई भवन के साथ में बालक- बालिकाओं के लिए छात्रावास और प्राचार्य निवास का निर्माण होना था. निर्माण कार्य का जिम्मा पीआईयू को सौंपा गया. एक आईटीआई भवन बनाने के लिए 995.21 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति और 882.66 लाख रुपए की तकनीकी स्वीकृति दी गई, ताकि यहां पढ़ने वाले छात्रों को तमाम सुविधाएं उपलब्ध हो सके, मगर सरकार द्वारा इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बाद भी विभाग इन आईटीआई में अभी तक सभी ट्रेड शुरू नहीं हो पाए है.

दो साल से बिल्डिंग पड़ी है खाली

पांच में से एक ट्रेड हो रही संचालित

मेघनगर विकासखंड के ग्राम फुट तालाब में संचालित हो रही आईटीआई में केवल एक ट्रेड (इलेक्ट्रिशियन) संचालित हो रही है, जबकि 2016 में बिल्डिंग का निर्माण 5 ट्रैड के हिसाब से किया गया. बीते तीन सालों में इन आईटीआई के लिए विभाग ना तो ट्रेनर की नियुक्ति कर पाया और ना ही आईटीआई के लिए जरूरी स्टॉफ की, लिहाजा बिना ट्रेनर और बिना छात्रों के ये करोड़ों की बिल्डिंग सरकारी नीतियों का मुंह चिढ़ा रही है. औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षण लेने वाले छात्र-छात्राओं को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने के लिए सरकार इन संस्थाओं में छात्र-छात्राओं को तकनीकी शिक्षा देती है, मगर केवल इमारते खड़ी करने से इन बच्चों को न तकनीकी शिक्षा मिलेगी और ना ही वे रोजगार पा सकेंगे, ऐसे में सरकार को अपनी नीति में बदलाव करने की जरूरत है.

झाबुआ जिले में पांच आईटीआई है, जिनमें से तीन आईटीआई में केवल इलेक्ट्रिशियन ट्रेड संचालित हो रहा है. नवीन आईटीआई के लिए सरकार ने 35 पद स्वीकृत किए हैं, मगर इन 35 पदों के विरुद्ध केवल एक पद ही विभाग पिछले 3 सालों में भर पाया है, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मध्य प्रदेश सरकार की तकनीकी शिक्षा किस दिशा में जा रही है. ऐसे में वे छात्र भी अब सरकार की नीतियों पर सवाल खड़ा कर रहे हैं, जो छात्र इन आईटीआई में अलग-अलग ट्रेडों में प्रशिक्षण लेने के एडमिशन की राह तक रहे थे, उन्हें ट्रैड और ट्रेनर की कमी के चलते जिले की बामनिया आईटीआई में एडमिशन लेना पड़ा.

कुछ छात्रों ने पसन्दीदा ट्रैड की शुरुआत ना होने से कॉलेज में एडमिशन ले लिया. क्षेत्रीय विधायक वीर सिंह भुरिया कह रहे हैं कि आईटीआई बना कर सरकार ने पैसों की बर्बादी की है, सरकार की प्रॉपर प्लानिंग ना होने के चलते झाबुआ जिले में आईटीआई के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं, जिससे ना तो जिले के बच्चों को लाभ मिल रहा है और न ही इन इमारतों का सही उपयोग हो रहा है. विधायक ने आईटीआई की बिल्डिंगों को धर्मशाला तक बता दिया है. जिले की तीन आईटीआई ट्रैड ना होने को लेकर नोडल अधिकारी और झाबुआ आईटीआई के प्राचार्य जीएस हरवाल कहते हैं कि यह शासन स्तर का मामला है, जैसे आदेश शासन स्तर से आएंगे वैसे आगे की कार्रवाई की जाएगी.

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