झाबुआ। प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सरकार भले ही लाख जतन करने के दावे क्यों न कर ले, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. पिपलिया के भाबोर फलिए की प्राथमिक स्कूल बदहाली से जूझ रहा है. आदिवासी बाहुल्य जिले में शिक्षा को लेकर लापरवाही बरती जा रही है. कहीं स्कूलों में शिक्षक नहीं है तो जिन स्कूलों में शिक्षक हैं, वहां उन्हें दूसरे कामों में लगा दिया गया है.
कमलनाथ सरकार ने 'स्कूल चले हम' अभियान की शुरुआत बड़े जोर शोर से की थी, लेकिन जजर्र स्कूल भवन, छतों से टपकता पानी और शिक्षकों की कमी यहां के बच्चों के भविष्य पर भारी पड़ रही है.
विधानसभा उपचुनाव के चलते मंत्री लगातार दौरे कर रहे हैं. पर इन जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को इतनी भी फुर्सत नहीं कि स्कूल का निरीक्षण कर ले. लिहाजा सरकार को नई नीति के जरिए इस समस्या का निराकरण करना होगा.
झाबुआः शिक्षक नहीं होने से स्कूल में लटका ताला, बच्चे भी कर रहे आराम
झाबुआ उपचुनाव को लेकर मंत्री से संतरी तक सब व्यस्त हैं, विपक्ष भी झाबुआ के विकास के बड़े-बड़े वादे कर रही है, लेकिन यहां के स्कूलों की बदहाली किसी से छिपी नहीं है, शिक्षक नहीं होने की वजह से स्कूल में ताला लटक रहा है.
झाबुआ। प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सरकार भले ही लाख जतन करने के दावे क्यों न कर ले, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. पिपलिया के भाबोर फलिए की प्राथमिक स्कूल बदहाली से जूझ रहा है. आदिवासी बाहुल्य जिले में शिक्षा को लेकर लापरवाही बरती जा रही है. कहीं स्कूलों में शिक्षक नहीं है तो जिन स्कूलों में शिक्षक हैं, वहां उन्हें दूसरे कामों में लगा दिया गया है.
कमलनाथ सरकार ने 'स्कूल चले हम' अभियान की शुरुआत बड़े जोर शोर से की थी, लेकिन जजर्र स्कूल भवन, छतों से टपकता पानी और शिक्षकों की कमी यहां के बच्चों के भविष्य पर भारी पड़ रही है.
विधानसभा उपचुनाव के चलते मंत्री लगातार दौरे कर रहे हैं. पर इन जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को इतनी भी फुर्सत नहीं कि स्कूल का निरीक्षण कर ले. लिहाजा सरकार को नई नीति के जरिए इस समस्या का निराकरण करना होगा.
Body:प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने झाबुआ से जिसबस्कूल चलो हम अभियान की शुरुआत की थी उसे जिले के अधिकारी पलीता लगा रहे है । जिला मुख्यालय से महज 8 किलोमीटर दूर पिपलिया के भाबोर फलिए की प्राथमिक स्कूल के बच्चे बदहाली में शिक्षा पाने को मजबूर है। जजर्र स्कूल भवन , छतों से टपकता पानी और शिक्षक की कमी यहां के बच्चो को खल रही है । उम्र कम होने के कारण यहाँ के बच्चे अपनी शिकायत भी दर्ज नहीं करा पाते । इससे पता चलता है कि जिले की प्राथमिक शिक्षा कितनी बदहाली के दौर से गुजर रही है ।
Conclusion: विधानसभा उपचुनाव के चलते कैबिनेट मंत्रियों के दौरे लगातार झाबुआ में जारी है, मगर इन मंत्रियों को और भोपाली अधिकारियों को इतनी फुर्सत कहां की दौरे के दौरान जिले की किसी स्कूल का औचक निरीक्षण कर ले। झाबुआ के सरकारी स्कूल में प्राथमिक ओर माध्यमिक शिक्षा की बदहाली के चलते स्वर्णिम मध्य प्रदेश का कमलनाथ का सपना झाबुआ से तो पूरा होता दिखाई नहीं दे रहा, लिहाजा कमलनाथ को नई नीति पर काम करना होगा जिससे बच्चों का भला हो सके ।
पीटीसी : ग्राउंड ज़ीरो से