झाबुआ। किसान नेता शिवकुमार कक्काजी ने कहा कि हम हर पांच साल में चुनाव के पहले एक बार यात्रा निकालते हैं. जब कांग्रेस की सरकार थी तो हमने प्रतिमाह दो आंदोलन किए. तब वो लोग कहते थे कि आप संघ और बीजेपी के आदमी हैं. अब जब सरकार बीजेपी की है और हम यात्रा निकालते हैं तो कहते हैं कि ये कांग्रेस की यात्रा है. वे ऐसा कहकर किसानों के प्रति अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते. कक्काजी ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने 22 बड़े उद्योगपतियों का 18 लाख हजार करोड़ का कर्ज माफ किए. जबकि देश के 110 करोड़ किसानों पर महज 4 लाख हजार करोड़ का कर्ज बाकी है. सरकार को किसानों की बजाए पूंजीपतियों की चिंता है.
ये सरकार उद्योगपतियों की : ये तमाम निर्णय सरकार के इस बात को पुष्ट करते हैं कि ये उद्योगपतियों की सरकार है. यह सरकार किसान और देश की जनता की नहीं है. कक्काजी ने बताया कि बीजेपी ने 2008 में अपने घोषणा पत्र में लिखा था हम किसानों का 50 हजार तक का कर्ज माफ करेंगे. 18 साल हो गए लेकिन 5 पैसे भी हमारे माफ नहीं किए. केंद्र और राज्य सरकार द्वारा निरंतर किसानों व मजदूरों के हितों की अपेक्षा की जा रही है. किसान आंदोलन के बाद 19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए कृषि कानून को वापस लेने की घोषणा की थी. साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा की 5 मांगों को भी पूरा करने की प्रतिबद्धता जताई थी. ये मांगें आज तक अधूरी हैं.
मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर : कक्काजी ने शिवराज सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है. इसके चलते अमानक बीज, अमानक कीटनाशक और अमानक खाद की बिक्री धड़ल्ले से जारी है. सरकार द्वारा इन पर कठोर कार्रवाई नहीं करने से खेती किसानी चौपट हो रही है और किसान कर्ज के दलदल में धंसता जा रहा है. कक्काजी ने कहा कि सरकार को डब्ल्यूटीओ से बाहर आना पड़ेगा. अगर ऐसा नहीं करते हैं तो देश का किसान और मजदूर पूरी तरह खत्म हो जाएगा. डब्लूटीओ की शर्त है कि भारत सरकार किसानों का अनाज एमएसपी पर नहीं खरीदेगी.
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एमएसपी पर हो फसल की खरीद : कक्काजी ने कहा कि हालांकि चुनाव के चलते सरकार अभी खरीदी कर रही है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत सरकार को एमएसपी पर खरीदी बंद करना पड़ेगी. ऐसे में सरकार के पास एक ही विकल्प है कि वो डब्ल्यूटीओ की सदस्यता से त्याग कर दे. राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ की मांग है कि भारत में हरित क्रांति के जनक और किसान आयोग के अध्यक्ष स्वर्गीय एमएस स्वामीनाथन की रिपोर्ट के अनुसार एमएसपी पर फसल की खरीदी की जाए. इस रिपोर्ट के अनुसार 2007 जनवरी से एमएसपी मिलना चाहिए था, जो नहीं मिली. इसके साथ ही किसानों की संपूर्ण ऋण मुक्ति की जाए. इसके अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है.