झाबुआ। बीते 6 सालों से झाबुआ जिले में रॉक फास्फेट कई खदानें बंद हैं, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार के लिए दूसरे शहरों की तरफ पलायन करना पड़ता है. झाबुआ जिले में रॉक फास्फेट अच्छी मात्रा में मिलता है. लेकिन प्रशासन की उदासीनता और लापरवाहियों से खदाने बंद बड़ी हैं. जिससे न सिर्फ लोगों का रोजगार गया है. बल्कि प्रदेश सरकार को मिलने वाले राजस्व को भी इन खदानों के बंद होने से नुकसान हो रहा है.
झाबुआ जिले में रॉक फास्फेट की खदानें बंद जिले के मेघनगर विकासखंड के ग्राम कचलदरा में 37.70 और ग्वाली में 2.29 हेक्टेयर क्षेत्र में रॉक फास्फेट की दो खदानें हैं. इन खदानों से ही 2.5 लाख मीट्रिक टन रॉक का उत्पादन हर साल होता था. लेकिन पिछले कई सालों से ये खदानें बंद हैं. ऐसा नहीं है कि सरकार और निगम के पास रॉक फास्फेट के खरीददारों की कमी है. निगम की खदानों से 20 किलोमीटर दूर मेघनगर औद्योगिक क्षेत्र में लगे बीआरपी कारखानों ने निगम से तीन लाख मीट्रिक टन सालाना खरीदी का एमओयू भी साइन किया था. बावजूद इसके कॉरपोरेशन अपने ही एमओयू से पलट गया. जिससे इन कारखानों के सामने बदहाली की स्थिति आ गई है. वही जिस खदान से निकलने वाले कच्चे माल के भरोसे निवेशकों ने करोड़ों रुपए लगाकर बेनिफिशियल रॉक फास्फेट के प्लांट लगाए थे. वे अब भंगार में तब्दील होते जा रहे हैं. इन रॉक फास्फेट की खदानों से हर साल स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता था. लेकिन खदानें बंद होने से अब मजदूरों को गुजरात और अन्य राज्यों में पलायन करना पड़ता है. खदानें बंद होने से नुकसान
- मध्य प्रदेश सरकार को मिलने वाले करोड़ों रुपए के राजस्व की हानि
- वर्तमान में विदेशी रॉक आने से विदेशी मुद्रा भंडार का नुकसान
- खदान बंद होने से हजारों लोगों छिना रोजगार
- क्षेत्र व्यापार व्यवसाय को हुआ नुकसान
- उद्योगपतियों को वित्तीय हानि होने से निवेशकों ने बनाई मध्य प्रदेश से दूरी
- खदान बंद होने से औद्योगिक क्षेत्र में नहीं लग रहे नए उद्योग