झाबुआ। प्रदेश सरकार खाद्यान्न वितरण में पारदर्शिता लाने के लिए पीओएस मशीन के माध्यम से राशन की दुकानों में खाद्यान्न का वितरण करवा रही है. लेकिन बिना तकनीकी और सुविधाओं के विस्तार के चलते ग्रामीण इलाकों के हितग्राहियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. झाबुआ जिले में 2,28,000 पात्र हितग्राही है जिन्हें सरकार एक रुपए किलो गेहूं, चावल, नमक और सबसीडी वाला केरोसिन देती है.
लेकिन आदिवासी बाहुल्य झाबुआ जिले में पिछले तीन-चार महीनों से पीओएस मशीन में तकनीकी दिक्कत के साथ सर्वर डाउन है. जबकि इंटरनेट कनेक्टिविटी ना मिलने के चलते हजारों पात्र हितग्राहियों को हर महीने अपने राशन से वंचित रहना पड़ रहा है. कई बार कनेक्टिविटी होने के बावजूद पीओएस मशीन में पात्र हितग्राही के अंगूठे के निशान नहीं मिलते, जिसके चलते सेल्समैन उन्हें राशन नहीं देता. इस परेशानी के चलते उपचुनाव के पहले झाबुआ में पात्रता पर्ची के आधार पर ही राशन वितरण की घोषणा की गई थी. तब इसे मौखिक रूप से पूरे जिले में लागू किया गया था. मगर चुनाव जीतने के बाद सरकार और कांग्रेस ने इस प्रणाली से मुंह फेर लिया.
अब सवाल यह है कि पूरे झाबुआ जिले में 5 हजार 292 मीट्रिक टन गेहूं और1 हजार 236 मीट्रिक टन चावल, के अलावा 1 हजार 895 मीट्रिक टन नमक का विरतरण हर महीनें हितग्राहियों को दिया जाता है. जबकि 448 किलो लीटर केरोसिन का आवंटन हर महीने दिया जाता है. लेकिन पीएसओ मशीन में सर्वर न आने के कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
खाद्य विभाग की अनिमितताओं को कारण परेशान हो रहे लोग
जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन दुकानों से लेकर खाद्यान्न आबंटन में भारी अनियमितता चल रही है. मगर विभागीय अधिकारियों और दलालों के साथ-साथ ठेकेदारों की मिलीभगत से ना तो कलेक्टर इस मामले में कोई संज्ञान ले रहे हैं न ही प्रदेश सरकार के मंत्री इस महत्वपूर्ण मामले में अपनी दखल अंदाजी दिखा रहे हैं. जिसका खामियाजा आम गरीब को उठाना पड़ रहा है.
मामले में खाद्य विभाग के अधिकारी जल्द ही इस समस्या को दुरस्त करने की बात कह तो रहे हैं. लेकिन यह काम कब होगा यह बड़ा सवाल है. पीएसओ मशीन में पात्र हितग्राही के अंगूठे के निशान ना आने और उसे पात्रता सूची में नाम होने के बावजूद राशन न दिए जाने के मामले को लेकर पूर्व में सरकार के मंत्रियों ने मौखिक आदेश दिए थे. लेकिन इन आदेशों को अब राशन की दुकानों पर तैनात सेल्समैन नहीं मान रहे हैं. जिसके चलते परेशान केवल आम आदमी हो रहा है.