झाबुआ। झाबुआ जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर सुदूर जंगल में महंत जमुना दासजी महाराज का पवित्र तीर्थ स्थल, अंचल में चार धाम के समान माना जाता है. सुदूर जंगल में बसे होने के चलते यहां की प्राकृतिक सौंदर्यता देखते ही बनती है. यहां दर्शन करने वाले ना सिर्फ झाबुआ जिले से, बल्कि गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और प्रदेश के विभिन्न प्रांतों से आते हैं. जिले का अति प्राचीन तीर्थ स्थल होने के चलते इसे लाखों लोगों की आस्था का केंद्र भी माना जाता है.
![Peepal Khunta Hanumant Ashram](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/9143950_thum.png)
चमत्कारिक हनुमान जी की प्रतिमा है मौजूद
इस स्थान की महत्ता इतनी है कि, पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत मोरारजी देसाई भी यहां दर्शन करने के लिए पहुंचे थे. मंदिर में चमत्कारिक हनुमान जी की प्रतिमा विराजमान है. इस मंदिर में 12 द्वादश ज्योतिर्लिंग, 24 तीर्थंकर के साथ अनेक देवी देवताओं के मंदिर बने हुए हैं.
सिद्ध हनुमंत स्थल से भी जाना जाता है मंदिर
पद्मावती नदी के किनारे बसे पीपलखुटा गांव में दिवंगत महंत जमुना दास जी महाराज ने कठोर तपस्या की थी और इस स्थान को सिद्ध किया था, तब से लेकर आज तक इस स्थान को सिद्ध हनुमंत स्थल के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक लोग इसे पिप्पलाद ऋषि की कर्म स्थली भी मानते हैं. जिसके चलते आसपास के आदिवासी समुदायों में धर्म के प्रति अपार आस्था देखने को मिलती है.
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सरकार ने घोषित किया तीर्थ स्थल
नदी किनारे आश्रम में सिद्धि प्राप्त करने वाले कई महंतों की समाधि बनी हुई है, जिनके दर्शन करने के लिए भक्त दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं. जिले के इस स्थान को संवारने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने भी पहल की है और इसे जिले का तीर्थ स्थल भी घोषित किया है.
ये है इस मंदिर की महत्ता
पीपलखूंटा हनुमंत आश्रम में 1976-77 में 2,525 कुंडीय यज्ञ हुआ था. 1983-84 में 1,111 कुंडीय यज्ञ संपन्न हुआ. जिसमे देशभर के अलग-अलग प्रांतों से लाखों लोग यहां पहुंचे थे. मध्य प्रदेश में 2,525 कुंड हवन का विशाल आयोजन सबसे पहले पीपलखूंटा स्थित हनुमंत आश्रम में हुआ था. पीपल खूंटा को चमत्कारिक दैवीय स्थल के रूप में माना जाता है. यहां कई तरह के चमत्कार होने का दावा भी किया जाता है.
हर मनोकमाना होती है पूरी
हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोगों का कहना है कि, यहां विराजित हनुमान जी की प्रतिमा साक्षात भगवान स्वरूप है और यहां से मांगी गई हर मनोकामना भी पूरी होती है, जिसके चलते चुनाव के दौरान जनप्रतिनिधि भी बड़ी संख्या में अपनी जीत की कामना लेकर यहां पहुंचते हैं.
मंदिर को विकसित करने का कार्य शुरू
पिंपलखुटा को धार्मिक स्थल का दर्जा मिलने के बाद अब इसे विकसित करने का काम किया जा रहा है. मंदिर के गादीपति दयाराम दास जी महाराज कहते हैं कि, मंदिर के स्वरूप को बृहद और विशाल किया जा रहा है. मंदिर में गौशाला संचालित हो रही है. भक्तों के लिए धर्मशाला, भोजनशाला , सत्संग हाल का निर्माण किया जा रहा है.