झाबुआ। निजी शैक्षणिक संस्थाएं अब आपदा को अवसर में बदलने का काम करने लगी हैं. कोरोना संक्रमण के चलते देशभर में इन दिनों शैक्षणिक संस्थाओं पर ताले लगे हैं. स्कूलों में पढ़ाई ना होने के चलते एक ओर बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है तो दूसरी ओर निजी शैक्षणिक संस्थाओं को लाभ से वंचित रहना पड़ रहा है.
झाबुआ के प्राइवेट स्कूल आईपीएस ने अपनी हानि को लाभ में बदलने के लिए स्कूल छोड़ रहे बच्चों से टीसी (ट्रांसफर सर्टिफिकेट) के नाम पर वसूली शुरू कर दी है, ताकि अपने नुकसान की भरपाई कर सकें. देशभर की सरकारें इन दिनों लोगों के जीवन बचाने में लगी हैं, ऐसे में निजी स्कूल अभिभावकों से ज्यादा फीस की मांग करने से बाज नहीं आ रहे. ताजा मामला झाबुआ के आईपीएस स्कूल का है, जहां अभिभावकों ने स्कूल के खिलाफ फीस वसूली के मामले में मोर्चा खोल दिया है.
अभिभावकों की शिकायत है कि उनके बच्चों की टीसी के लिए स्कूल द्वारा उनसे 5 हजार रुपए की मांग की है. कई अभिभावकों ने अपने दो बच्चों की टीसी के लिए स्कूल में 10 हजार रुपए जमा किए हैं, जिसके बाद स्कूल ने टीसी जारी की है. अभिभावकों का कहना है कि मध्यप्रदेश शासन के निर्देश के मुताबिक किसी भी प्रकार की कोई फीस स्कूल इस शैक्षणिक सत्र में नहीं ले सकता, लेकिन उनसे नियम के इतर जाकर स्कूल ने फीस वसूली है. इस मामले पर जिले के कई अभिभावकों ने स्कूल पर गंभीर आरोप लगाकर उसकी शिकायत प्रशासन से की है.
इस पूरे मामले पर स्कूल प्रबंधन का कहना है कि उन्होंने जो भी फीस ली है वो वैध है. स्कूल की प्रिंसिपल का कहना है कि बच्चों ने उनकी स्कूल में जो ऑनलाइन पढ़ाई की है, उसकी फीस देना अभिभावकों का कर्तव्य है, लिहाजा उन्होंने कोई गलत फीस नहीं वसूली.
इधर अभिभावकों का कहना है कि बिना उनकी रजामंदी के उनके बच्चों को ऑनलाइन क्लास अटेंड करवाई गई. कई बच्चे तो ऐसे हैं, जिन्होंने 1 महीने भी ऑनलाइन क्लास अटेंड नहीं की, लेकिन उनसे पूरे सेमेस्टर की फीस वसूलना गलत है. अभिभावकों का साफ कहना है कि जितने दिन बच्चों ने पढ़ाई की हो उतनी फीस वो देने को तैयार हैं, लेकिन स्कूल पूरे सेशन की फीस वसूल कर रहा है.
झाबुआ के प्राइवेट स्कूल आईपीएस ने टीसी के नाम पर जो फीस वसूली, उसकी शिकायत अभिभावकों ने जिला शिक्षा अधिकारी और कलेक्टर से की है. अभिभावकों का मानना है कि गलत तरीके से स्कूल द्वारा वसूली गई राशि उन्हें लौटाई जाए और स्कूल के खिलाफ कार्रवाई की जाए. इस पूरे मामले में जिला शिक्षा अधिकारी ने भी माना है कि स्कूल का व्यवहार ठीक नहीं है और अभिभावकों की शिकायत के आधार पर स्कूल को नोटिस जारी किए जा रहे हैं.
एक ओर लोग कोरोना से जंग लड़ रहे हैं, तो दूसरी ओर अब निजी स्कूलों की मनमानी फीस भी अभिभावकों के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है. जिन अभिभावकों के बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ते हैं, उन्हें अब स्कूल अलग-अलग तरह की फीस के नाम पर प्रताड़ित करने में लगे हैं.