झाबुआ। पारा क्षेत्र के ग्राम धमोई की रहने वाली चंपा निनामा ने महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश की है. वह शीतला माता के नाम से स्वयं सहायता समूह चलाने के साथ नवदीप संकुल स्तरीय संगठन पारा की अध्यक्ष भी हैं. इस संगठन से 50 गांवों की महिलाएं जुड़ी हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के झाबुआ आगमन पर चंपा भी इन दिनों सुर्खियों में हैं क्योंकि प्रधानमंत्री पूर्व में न केवल उनसे संवाद कर चुके हैं बल्कि 20 नवंबर 2018 को झाबुआ में चुनावी सभा के दौरान उन्होंने मंच से चंपा का नाम भी लिया था.
कौन हैं चंपा निनामा: चंपा निनामा झाबुआ के धमोई गांव की रहने वाली हैं. कभी दो वक्त की रोटी के लिए मजदूरी करने वाली चंपा आज हर साल लाखों रुपये कमा रही हैं. चंपा कड़कनाथ पालन के जरिए आर्थिक रूप से सक्षम बनीं और अब किराना दुकान भी चला रही हैं. पांच साल पहले तक जहां कड़कनाथ मुर्गे पालन के जरिए चंपा सलाना एक लाख रुपए मुनाफा कमा रही थीं तो अब हर महीने की कमाई ही करीब 50 हजार रुपये पहुंच गई है.
कैसे सुर्खियों में आई थीं चंपा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के झाबुआ आगमन पर चंपा भी इन दिनों सुर्खियों में हैं क्योंकि प्रधानमंत्री पूर्व में न केवल उनसे संवाद कर चुके हैं बल्कि 20 नवंबर 2018 को झाबुआ में चुनावी सभा के दौरान उन्होंने मंच से चंपा का नाम भी लिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 जून 2018 को नरेंद्र मोदी एप के जरिए कृषि विज्ञान केंद्र झाबुआ में चंपा निनामा से सीधे संवाद किया था. इस दौरान चंपा हाथ में कड़कनाथ लेकर आई थीं.
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पीएम ने चंपा से क्या पूछा था: पीएम मोदी से चर्चा करते हुए चंपा ने उस दौरान अपनी आर्थिक प्रगति से अवगत कराते हुए कहा था-कड़कनाथ पालन से उसकी जिदंगी बदल गई, पहले वह दाहोद-अहमदाबाद तक मजदूरी करने जाती थीं. इस पर प्रधानमंत्री की मुंह से निकला अरे वाह ! चूंकि चंपा उस वक्त चांदी के गहने पहने हुई थीं तो प्रधानमंत्री बोले आपने इतने गहने पहन रखे हैं इससे ही लगता है कि आपकी आवक बढ़ गई है. प्रधानमंत्री ने चंपा से उसके पास अभी कितने कडक़नाथ हैं और गांव की कितनी महिलाएं इसका पालन कर रही हैं इसे लेकर भी सवाल किए थे.
पीएम मोदी ने मंच से क्या कहा था: नवंबर 2018 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झाबुआ में कॉलेज मैदान पर चुनावी सभा लेने आए थे तो उस वक्त उन्होंने मंच से चंपा का नाम लिया था. मोदी बोले थे-मैने चंपाबेन निनामा से बात की थी. वह कड़कनाथ मुर्गे को लेकर आईं थीं. उसने कहा था ये हमारे झाबुआ की आन बान शान कड़कनाथ है. ये कड़कनाथ मुर्गा झाबुआ की समृद्ध विरासत, आर्थिक शक्ति और पूरे क्षेत्र को कड़क बनाने का काम करता है.
कड़कनाथ से कैसे बदली जिंदगी: मजदूरी करने वाली चंपा ने कड़कनाथ मुर्गे का पालन शुरू किया. शुरुआती दौर में थोड़ी मुश्किल हुई लेकिन फिर भी इससे उसकी सालाना कमाई 1 लाख रुपए तक हो जाती थी लेकिन पिछले पांच साल में धीरे धीरे आय बढ़ती रही और अब हर महीने कम से कम पचास हजार रुपये कमाई कर रहीं हैं यानि सालाना 6 लाख रुपये. इसके अलावा किराना दुकान भी चलाती हैं.
एक बार फिर चंपा की है चर्चा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के झाबुआ आगमन पर चंपा भी इन दिनों सुर्खियों में हैं. चुनावी दौर ने उनके कारोबार में जबरदस्त उछाल लाने का काम किया है. अभी स्थिति यह है कि उनके पास के सभी कड़कनाथ मुर्गे बिक गए. अब सिर्फ 30 मुर्गियां और ब्रीडिंग के लिए 3 मुर्गे ही बचे रह गए हैं. चंपा कहती हैं ये सीजन उनके लिए काफी अच्छा रहा है.