झाबुआ। कोरोना संकट ने लाखों लोगों के जीवन जीने के तरीका तो बदल ही दिया है. इसके असर से भगवान की भक्ति भी प्रभावित हो रही है. कोरोना काल में जहां लोग धार्मिक स्थलों से दूर होते जा रहे हैं, वहीं धार्मिक आयोजनों पर लगी पाबंदिया उत्सवों को निरस बनाती जा रही हैं. देश भर में मनाया जाने वाला गणेशोत्सव इस बार फीका नजर आया, इस बार ये केवल रस्म अदायगी बनकर ही रह गया. घट स्थापना से लेकर विसर्जन तक सब कुछ बदला- बदला नजर आया.
पंचायतों के पास रहा विसर्जन की जिम्मा
दस दिनों तक घरों में भगवान गणेश की पूजा करने के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन प्रतिमाओं का नदी तालाबों में विसर्जन किया जाता है, लेकिन इस बार विसर्जन पर कोरोना का असर साफ दिखाई दिया. प्रशासन ने जिले की सीमा में बहने वाले जल स्त्रोतों में गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन पर रोक लगाए रखी और विसर्जन का जिम्मा सभी निकायों और ग्राम पंचायतों को सौंपा गया.
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परिषद के कर्मचारियों ने किया विसर्जन
झाबुआ में इस बार गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन का जिम्मा नगर पालिका को सौंपा गया, चारों नगर परिषदों ने अलग-अलग स्थानों पर प्रतिमाओं के लिए संग्रहण केंद्र बनाए, जहां शहर भर से प्रतिमाएं संग्रहित की गईं, परिषद के कर्मचारियों ने अस्थाई पोखरों में प्रतिमाएं विसर्जित की.
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पुलिस बल भी रहा तैनात
नदी तालाबों में प्रत्यक्ष रूप से गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने पुलिस बल भी तैनात किए थे. झाबुआ, मेघनगर, थांदला, पेटलावद और राणापुर में दो दर्जन से ज्यादा स्थानों पर प्रतिमा संग्रहण केंद्र बनाए गए. हर साल अनंत चतुर्दशी के दिन गाजे- बाजे और आकर्षक झांकियों के साथ बप्पा की विदाई होती थी, लेकिन इस बार कोरोना संकट की वजह से विसर्जन का तरीका बदल गया.
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