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गणेशोत्सव पर छाया रहा कोरोना का असर, बदल गया विसर्जन का तरीका - method of Ganpati immersionin corona era

झाबुआ में गणेशोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन इस बार यह केवल रस्म अदायगी बनकर ही रह गया. घट स्थापना से लेकर विसर्जन तक सब कुछ बदला- बदला नजर आया.

method of Ganpati immersion Changed in corona era
बदल गया गणपति विसर्जन का तरीका
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Published : Sep 1, 2020, 9:46 PM IST

Updated : Sep 1, 2020, 9:56 PM IST

झाबुआ। कोरोना संकट ने लाखों लोगों के जीवन जीने के तरीका तो बदल ही दिया है. इसके असर से भगवान की भक्ति भी प्रभावित हो रही है. कोरोना काल में जहां लोग धार्मिक स्थलों से दूर होते जा रहे हैं, वहीं धार्मिक आयोजनों पर लगी पाबंदिया उत्सवों को निरस बनाती जा रही हैं. देश भर में मनाया जाने वाला गणेशोत्सव इस बार फीका नजर आया, इस बार ये केवल रस्म अदायगी बनकर ही रह गया. घट स्थापना से लेकर विसर्जन तक सब कुछ बदला- बदला नजर आया.

बदल गया गणपति विसर्जन का तरीका

पंचायतों के पास रहा विसर्जन की जिम्मा
दस दिनों तक घरों में भगवान गणेश की पूजा करने के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन प्रतिमाओं का नदी तालाबों में विसर्जन किया जाता है, लेकिन इस बार विसर्जन पर कोरोना का असर साफ दिखाई दिया. प्रशासन ने जिले की सीमा में बहने वाले जल स्त्रोतों में गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन पर रोक लगाए रखी और विसर्जन का जिम्मा सभी निकायों और ग्राम पंचायतों को सौंपा गया.

method of Ganpati immersion Changed in corona era
गणपति विसर्जन का तरीका

परिषद के कर्मचारियों ने किया विसर्जन
झाबुआ में इस बार गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन का जिम्मा नगर पालिका को सौंपा गया, चारों नगर परिषदों ने अलग-अलग स्थानों पर प्रतिमाओं के लिए संग्रहण केंद्र बनाए, जहां शहर भर से प्रतिमाएं संग्रहित की गईं, परिषद के कर्मचारियों ने अस्थाई पोखरों में प्रतिमाएं विसर्जित की.

method of Ganpati immersion Changed in corona era
गणपति विसर्जन के लिए जाते लोग

पुलिस बल भी रहा तैनात
नदी तालाबों में प्रत्यक्ष रूप से गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने पुलिस बल भी तैनात किए थे. झाबुआ, मेघनगर, थांदला, पेटलावद और राणापुर में दो दर्जन से ज्यादा स्थानों पर प्रतिमा संग्रहण केंद्र बनाए गए. हर साल अनंत चतुर्दशी के दिन गाजे- बाजे और आकर्षक झांकियों के साथ बप्पा की विदाई होती थी, लेकिन इस बार कोरोना संकट की वजह से विसर्जन का तरीका बदल गया.

method of Ganpati immersion Changed in corona era
गणेश प्रतिमाएं

झाबुआ। कोरोना संकट ने लाखों लोगों के जीवन जीने के तरीका तो बदल ही दिया है. इसके असर से भगवान की भक्ति भी प्रभावित हो रही है. कोरोना काल में जहां लोग धार्मिक स्थलों से दूर होते जा रहे हैं, वहीं धार्मिक आयोजनों पर लगी पाबंदिया उत्सवों को निरस बनाती जा रही हैं. देश भर में मनाया जाने वाला गणेशोत्सव इस बार फीका नजर आया, इस बार ये केवल रस्म अदायगी बनकर ही रह गया. घट स्थापना से लेकर विसर्जन तक सब कुछ बदला- बदला नजर आया.

बदल गया गणपति विसर्जन का तरीका

पंचायतों के पास रहा विसर्जन की जिम्मा
दस दिनों तक घरों में भगवान गणेश की पूजा करने के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन प्रतिमाओं का नदी तालाबों में विसर्जन किया जाता है, लेकिन इस बार विसर्जन पर कोरोना का असर साफ दिखाई दिया. प्रशासन ने जिले की सीमा में बहने वाले जल स्त्रोतों में गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन पर रोक लगाए रखी और विसर्जन का जिम्मा सभी निकायों और ग्राम पंचायतों को सौंपा गया.

method of Ganpati immersion Changed in corona era
गणपति विसर्जन का तरीका

परिषद के कर्मचारियों ने किया विसर्जन
झाबुआ में इस बार गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन का जिम्मा नगर पालिका को सौंपा गया, चारों नगर परिषदों ने अलग-अलग स्थानों पर प्रतिमाओं के लिए संग्रहण केंद्र बनाए, जहां शहर भर से प्रतिमाएं संग्रहित की गईं, परिषद के कर्मचारियों ने अस्थाई पोखरों में प्रतिमाएं विसर्जित की.

method of Ganpati immersion Changed in corona era
गणपति विसर्जन के लिए जाते लोग

पुलिस बल भी रहा तैनात
नदी तालाबों में प्रत्यक्ष रूप से गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने पुलिस बल भी तैनात किए थे. झाबुआ, मेघनगर, थांदला, पेटलावद और राणापुर में दो दर्जन से ज्यादा स्थानों पर प्रतिमा संग्रहण केंद्र बनाए गए. हर साल अनंत चतुर्दशी के दिन गाजे- बाजे और आकर्षक झांकियों के साथ बप्पा की विदाई होती थी, लेकिन इस बार कोरोना संकट की वजह से विसर्जन का तरीका बदल गया.

method of Ganpati immersion Changed in corona era
गणेश प्रतिमाएं
Last Updated : Sep 1, 2020, 9:56 PM IST
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